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Pooja
White सच्ची मित्रता एक छोटे से गाँव में दो अच्छे दोस्त रहते थे, अर्जुन और विजय। दोनों का बचपन एक-दूसरे के साथ बीता था, और वे एक-दूसरे के बहुत अच्छे दोस्त थे। एक दिन गाँव में एक बड़ा मेला हुआ। अर्जुन और विजय ने मिलकर मेला देखने का फैसला किया। वे दोनों सुबह-सुबह मेला देखने के लिए निकल पड़े। मेले में बहुत सारी भीड़ थी, और रंग-बिरंगे झूले, मिठाइयाँ, और खेल-खिलौने सब कुछ बहुत आकर्षक लग रहा था। अर्जुन ने झूला झूलने का मन बनाया, लेकिन विजय ने उसे मना किया, क्योंकि विजय को डर था कि झूला झूलते वक्त वह गिर सकता है। अर्जुन को थोड़ा गुस्सा तो आया, लेकिन उसने दोस्त की बात मानी और आगे बढ़ गया। फिर वे दोनों एक साथ झूला झूलने गए, लेकिन जैसे ही झूला ऊँचा गया, अर्जुन का संतुलन बिगड़ने लगा और वह गिरने ही वाला था। विजय ने बिना सोचे-समझे अर्जुन को पकड़ लिया और उसे गिरने से बचा लिया। अर्जुन हैरान था, क्योंकि विजय का डर सच में था, फिर भी उसने उसे बचाया। अर्जुन ने विजय को गले लगाकर कहा, "तुम्हारी सच्ची मित्रता ही तो है, जो तुमने मुझे बचाया, बिना अपनी चिंता किए।" विजय मुस्कराया और बोला, "मित्रता का मतलब ही तो यही है, एक-दूसरे के लिए जान तक जोखिम में डाल देना।" वह दिन उनके जीवन का सबसे खास दिन बन गया। अर्जुन और विजय ने समझ लिया कि सच्ची मित्रता वही है, जिसमें साथी एक-दूसरे के लिए हमेशा खड़े रहते हैं, चाहे स्थिति कैसी भी हो। ©Pooja #Moral story
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White सच्ची दोस्ती एक छोटे से गाँव में दो अच्छे दोस्त रहते थे, रामु और श्यामु। दोनों बचपन से साथ खेलते थे और एक-दूसरे के अच्छे और बुरे समय में हमेशा साथ रहते थे। एक दिन गाँव में एक बड़ा तूफान आया। तेज़ हवाएँ चलने लगीं, और बारिश इतनी तेज़ हुई कि नदी का पानी उफान पर आ गया। रामु और श्यामु अपनी-अपनी झोपड़ियों में थे। रामु की झोपड़ी तो पानी में बह गई, लेकिन श्यामु की झोपड़ी सुरक्षित रही। रामु ने मदद के लिए श्यामु से मदद माँगी। श्यामु बिना सोचे समझे अपनी झोपड़ी छोड़कर रामु के पास दौड़ते हुए पहुँचा। दोनों ने मिलकर बाढ़ के पानी से बाहर निकलने का रास्ता ढूँढ़ा और अंत में सुरक्षित स्थान पर पहुँच गए। वहाँ पहुँचकर श्यामु ने कहा, "तू मेरे लिए हमेशा परिवार की तरह है। सच्चे दोस्त वही होते हैं जो बुरे वक्त में एक-दूसरे का साथ देते हैं।" रामु ने मुस्कराते हुए कहा, "तू मेरी जान है, श्यामु। सच्ची दोस्ती तो वही है, जो बिना किसी स्वार्थ के होती है।" उस दिन से दोनों की दोस्ती और भी गहरी हो गई, और उन्होंने जीवन के हर मुश्किल समय में एक-दूसरे का साथ देने का संकल्प लिया। ©Pooja #Moral story
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White चमत्कारी बगिया एक छोटे से गांव में एक लड़का था जिसका नाम अर्जुन था। अर्जुन बहुत मेहनती था, लेकिन उसे हमेशा लगता था कि उसकी मेहनत का फल बहुत कम मिलता है। एक दिन, उसे गांव के बाहर एक सुनसान बगिया दिखाई दी। यह बगिया बहुत खूबसूरत थी, और वहाँ तरह-तरह के रंग-बिरंगे फूल खिले हुए थे। अर्जुन ने सुना था कि यह बगिया किसी जादुई ताकत से भरी हुई है। अर्जुन ने सोचा, "अगर मैं यहां काम करूं, तो शायद मेरी किस्मत बदल जाए।" उसने अगले दिन बगिया में काम करना शुरू कर दिया। जैसे ही वह बगिया में काम करता, बगिया की मिट्टी से सोने की सिक्के निकलने लगे। अर्जुन बहुत खुश हुआ, लेकिन उसने जल्दी ही महसूस किया कि बगिया का जादू सिर्फ उस पर ही असर नहीं करता। वह जानता था कि अगर वह यहां कुछ भी गलत करेगा, तो बगिया का जादू खत्म हो सकता है। अर्जुन ने तय किया कि वह बगिया का ख्याल बहुत सावधानी से रखेगा। उसने वहां के सभी पौधों की देखभाल की और कोई भी गलती नहीं की। धीरे-धीरे उसकी मेहनत रंग लाई और वह गांव का सबसे सुखी और संपन्न व्यक्ति बन गया। लेकिन उसने कभी भी बगिया के जादू का गलत फायदा नहीं उठाया, क्योंकि उसने समझ लिया था कि असली जादू मेहनत और ईमानदारी में ही है। सिख: ईमानदारी और मेहनत से ही सफलता मिलती है, और किसी भी चमत्कारी चीज़ का सही इस्तेमाल करना जरूरी है। ©Pooja #Moral story
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White छोटी कहानी: एक अनोखी मित्रता एक गाँव में मोहन नाम का एक लड़का रहता था। वह बहुत ही चंचल और खुशमिजाज था। गाँव के पास एक घना जंगल था, जहाँ मोहन अक्सर खेलता था। एक दिन, खेलते-खेलते मोहन गहरे जंगल में चला गया। अचानक, उसे एक घायल गिलहरी मिली। गिलहरी की टांग टूट गई थी और वह बहुत डर रही थी। मोहन ने तुरंत उसकी मदद करने का फैसला किया। वह उसे घर लेकर आया और अपनी माँ से मदद मांगी। मोहन की माँ ने गिलहरी का इलाज किया और कुछ दिनों में वह ठीक हो गई। गिलहरी ने मोहन को धन्यवाद कहा और वादा किया कि वह हमेशा उसके साथ रहेगी। अगले दिन से, गिलहरी रोज़ मोहन के पास आने लगी। दोनों ने मिलकर खेलना शुरू किया और जल्दी ही गहरी दोस्ती हो गई। समय के साथ, गिलहरी ने मोहन को जंगल के बारे में बहुत कुछ सिखाया। मोहन ने भी उसे अपनी दुनिया के बारे में बताया। एक दिन, जंगल में एक बड़ा तूफान आया। मोहन ने देखा कि गिलहरी डर गई है। उसने उसे सुरक्षित जगह पर ले जाने का फैसला किया। तूफान के बाद, मोहन और गिलहरी ने मिलकर जंगल की सफाई की। उन्होंने अपने दोस्तों को भी बुलाया और सब मिलकर काम करने लगे। इस तरह, मोहन और गिलहरी की दोस्ती ने न सिर्फ उन्हें बल्कि पूरे गाँव को एकजुट कर दिया। मोहन ने सीखा कि सच्ची मित्रता हर मुश्किल का सामना कर सकती है। और इस तरह, गाँव में खुशी और भाईचारा बढ़ता गया। ©Pooja #Moral story
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White एक अनोखी दोस्ती गाँव में एक छोटा सा बच्चा था जिसका नाम था अर्जुन। अर्जुन बहुत ही चंचल और खुशमिजाज था। उसे हर दिन नई-नई चीज़ें खोजने का शौक था। एक दिन, जब वह जंगल में खेल रहा था, उसे एक घायल चिड़िया मिली। चिड़िया की एक पंख टूटी हुई थी और वह उड़ नहीं पा रही थी। चिड़िया की देखभाल अर्जुन ने चिड़िया को अपने घर ले जाने का फैसला किया। उसने उसे पानी और खाना दिया और हर दिन उसकी देखभाल करने लगा। धीरे-धीरे, चिड़िया ठीक होने लगी। अर्जुन ने उसे "चिंकी" नाम दिया। चिंकी भी अर्जुन के साथ खेलती और उसकी बातें सुनती। दोस्ती का बंधन कुछ हफ्तों बाद, चिंकी पूरी तरह से ठीक हो गई। अब वह उड़ सकती थी, लेकिन अर्जुन ने उसे जाने नहीं दिया। उसने चिंकी से कहा, "तुम मेरी सबसे अच्छी दोस्त हो, मैं तुम्हें कभी नहीं छोड़ूँगा।" चिंकी ने भी अपनी आँखों से यह समझाया कि वह अर्जुन को छोड़ना नहीं चाहती। विदाई का समय एक दिन, चिंकी ने उड़ान भरने का मन बनाया। उसने अर्जुन से कहा, "मैं तुम्हें छोड़कर नहीं जा रही, लेकिन मुझे उड़ने की ज़रूरत है।" अर्जुन ने थोड़ी उदासी के साथ कहा, "मैं समझता हूँ, लेकिन तुम हमेशा मेरे दिल में रहोगी।" चिंकी ने उड़ान भरी और आसमान में छा गई। अर्जुन ने उसे दूर जाते हुए देखा, लेकिन उसने महसूस किया कि उनकी दोस्ती हमेशा बनी रहेगी। निष्कर्ष इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सच्ची दोस्ती कभी खत्म नहीं होती। चाहे हम दूर हों या पास, जो प्यार और देखभाल हम एक-दूसरे के लिए रखते हैं, वही सबसे महत्वपूर्ण होता है। अर्जुन और चिंकी की यह अनोखी दोस्ती हमेशा याद रहेगी। ©Pooja #Moral story
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White सपनों की उड़ान एक छोटे से गाँव में मोहन नाम का एक लड़का रहता था। उसे उड़ान भरने का बहुत शौक था। वह हमेशा आसमान की ओर देखता और सोचता, "काश! मैं भी पंछियों की तरह उड़ सकूं।" एक दिन, गाँव में एक कलाकार आया। उसने एक बड़ा और रंग-बिरंगा पतंग बनाया। मोहन की आँखों में चमक आ गई। उसने सोचा, "अगर मैं इस पतंग को उड़ाऊँ, तो मुझे उड़ने का अनुभव होगा।" मोहन ने अपने पिता से पैसे माँगे और वह पतंग खरीदने गया। उसने पतंग को ऊँचा उड़ाने की कोशिश की, लेकिन पहली बार में वह सफल नहीं हुआ। उसने हार नहीं मानी और बार-बार कोशिश करता रहा। आखिरकार, एक दिन, उसने पतंग को सही से उड़ाया। वह आसमान में उड़ता हुआ पतंग देखकर खुशी से झूम उठा। उसने महसूस किया कि उड़ान केवल पंखों से नहीं, बल्कि अपने सपनों को पूरा करने की कोशिश से भी मिलती है। मोहन ने सोचा, "अगर मैं प्रयास करता रहूँ, तो मैं अपने सपनों को साकार कर सकता हूँ।" इस तरह, मोहन ने अपने सपनों की उड़ान भरना शुरू किया और गाँव में सभी के लिए प्रेरणा बन गया। उसकी मेहनत और जिद ने उसे सफलता दिलाई, और उसने साबित कर दिया कि अगर इरादा मजबूत हो, तो कोई भी सपना सच हो सकता है। ©Pooja #Moral story
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