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Updated Mirzapuri
White मिर्जापुर शहर नही, नशा हैं।। ©Updated Mirzapuri #sad_shayari #मिर्जापुर #शहर #नशा
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read moreCricket
Lõkêsh
White कितने दर्द दबाए बैठे है, कितने जख्म छिपाये बैठे है ।यहां गांव सी भोर नहीं ,घर आंगन का छोर नहीं । नहीं यहां वो मित्र सखा,नहीं यहां वो सुख चैना। अब रास नहीं आते यह महल अटारी , हमको अपनी बस्ती प्यारी । पल पल हर पल संघर्ष यहां,खुशी का स्वांग रचाए बैठे है । न जाने इस शहर में , कितने दर्द दबाए बैठे है ... ©Lõkêsh शहर… #Poetry
शहर… #Poetry
read moretripti agnihotri
White तृप्ति की कलम से मुक्तक विषय-गाँव और शहर *************************************** गाँव को छोड़ शहर आया सुख की तलाश में। शहर में निजी घर बसाया सुख की तलाश में। रह गयी बस सुबह-शाम भागम-भाग जिंदगी- शान्ति,अपनापन गवाया सुख की तलाश में। ************************************* रह गयी अब बस सुखद यादें मेरे गांव की खो गयी ठंडी हवा उन पेड़ों की छांव की। शहर आकर क्या-क्या खोया हमने अब जाना- जब घिसी चप्पलों को देखा अपने पांव की। *************************************** स्वरचित तृप्ति अग्निहोत्री लखीमपुर खीरी(उ०प्र०) ©tripti agnihotri विषय -गाँव और शहर
विषय -गाँव और शहर #कविता
read moreGhumnam Gautam
White रिंद जब मैक़दे को जाते हैं पुर-अदब मैक़दे को जाते हैं मेरे ग़म ने ये मुझसे पूछ लिया― आप कब मैक़दे को जाते हैं? जितने भी हैं नए ज़माने के सारे रब मैक़दे को जाते हैं क्या ग़ज़ब है कि बे-अदब हैं जो बा-अदब मैक़दे को जाते हैं जब कोई ख़ास ग़म सताता है लोग तब मैक़दे को जाते हैं उफ़! तेरे ये नशीले तिश्ना लब क्या ये लब मैक़दे को जाते हैं? शह्र में कौन रोए बुत के पास! सब-के-सब मैक़दे को जाते है ©Ghumnam Gautam #love_shayari #शहर #लोग #ghumnamgautam
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read moreSatish Kumar Meena
White शहर में क्या है सिर्फ ऊंची इमारतें और छोटे मन वाले व्यक्ति जो पैसे के प्रति अपने प्रेम को अभिव्यक्त ना कर केवल अपने काम पर ध्यान केंद्रित कर देता है,परिवार का महत्व उसके लिए ज्यादा अहमियत वाला नहीं है। ©Satish Kumar Meena शहर
शहर #विचार
read moreSatish Kumar Meena
White आजकल शहर की हवा काजल की कोठरी जैसी है इसमें पता ही नहीं चलता कि बारिश के बादल छाए है या हवा धुएं से बीमार हैं। ©Satish Kumar Meena शहर की हवा
शहर की हवा #विचार
read morek. k
White मैं शहर हूं अपने पराये से बेखबर हूं हां, मैं शहर हूं लाखों लोग बसे हैं मुझमें लाखों ढूंढ रहें आसयाना उन लाखों लोगों की मैं नजर हूं, मैं शहर हूं अपने पराए से बेखबर हूं ©k. k #Sad_shayri शहर 2
#Sad_shayri शहर 2 #SAD
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