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Satish Kumar Meena
बचपन अभी गया नहीं, खेल खिलौने बाकी है। इन मासूमों के हाथों में,, नादानी की राखी है।। जग का इनको पता नहीं, इंसान फरिश्ता धरती का। कुछ ऐसे भी होते है लाड़ो,, जिनका काम है गलती का।। ऐसे सख्शों से बचना है, जिनकी आंखों में शर्म नहीं। अपना पराया कोई नहीं, नियत खोटी और मर्म नहीं।। सच्चे दिल के कम ही मिलेंगे, पहचानना मुश्किल होगा। हे लाड़ो! अपनी रक्षा का,, स्वयं भार उठाना तुझे होगा। कानून की आंखे बन्द है, बस! पट्टी हटाना बाकी है। इन मासूमों के हाथों में,, नादानी की राखी है।। ©Satish Kumar Meena @नादानी की राखी
@नादानी की राखी
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष वर्ग नारी पर भारी , क्यों होता है करो विचार । निकल पड़ो हाथो में लेकर , घर से अपने आज कटार ।। बेटे भाई पति को अपने , दान करो अपने शृंगार । तुम जननी हो इस जग की .... कितनी बहनें कितनी बेटी , होंगी कब तक भला शिकार । चुप बैठी है सत्ता सारी , विवश हुआ है पालनहार ।। मन में अपने दीप जलाओ , नहीं मोम से जग उँजियार । तुम जननी हो इस जग की ..... छोड़ों चकला बेलन सारे , बढ़कर इन पर करो प्रहार । बहुत खिलाया बना-बना कर , इन्हें पौष्टिक तुम आहार ।। बन चंडी अब पहन गले में , इनको मुंडों का तू हार । तुम जननी हो इस जग की .... बन्द करो सभी भैय्या दूज , बन्द करो राखी त्यौहार । ये इसके हकदार नही है , आज त्याग दो इनका प्यार ।। जहाँ दिखे शैतान तुम्हें ये , वहीं निकालो तुम तलवार । तुम जननी हो इस जग की .... सिर्फ बेटियाँ जन्म लिए अब , सुतों का कर दो बहिष्कार । खो बैठें है यह सब सारे , बेटा होने का अधिकार ।। मिलकर जग से दूर करो यह , फैल रहा जो आज विकार । तुम जननी हो इस जग की .... तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष
गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष
read moreRavendra
ग्रामीण इलाकों में धूमधाम से मनाया गया रक्षाबंधन का पर्व बहनों ने भाइयों को बांधी राखी
read moreRavendra
सशस्त्र सीमा बल, बहराइच में ब्रह्मा कुमारी समाज, द्वारा किया गया रक्षाबंधन 42वी वाहिनी के प्रांगण में रक्षाबंधन का पर्व मनाया गया जिसम
read moreDevesh Dixit
White रक्षा बंधन का ये त्यौहार, अब फिर से है आ गया। राखी लेकर बहना बैठी, भाई भी उसका आ गया। खुशी के मारे झूम उठी वो, कि भैया उसका आ गया। करके तिलक बांध के राखी, भेंट भी भैया से पा लिया। वचनों से बंधा ये बंधन प्यारा, रिश्तों को मजबूत बनाता है। भाई बहन का रिश्ता ये प्यारा, रिश्तों को अनमोल बनाता है। हमने भी ये पर्व मनाना है, बहना से राखी बंधवाना है। खुशी के पल को जताना है, तिलक भी फिर करवाना है। देकर वचन उसकी सुरक्षा का, अपना फर्ज भी तो निभाना है। छूकर चरण प्यारी बहना का, प्यारा सा आशीष फिर पाना है। .............................................. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #raksha_bandhan_2024 रक्षा बंधन का ये त्यौहार, अब फिर से है आ गया। राखी लेकर बहना बैठी, भाई भी उसका आ गया। खुशी के मारे झूम उठी वो,
#raksha_bandhan_2024 रक्षा बंधन का ये त्यौहार, अब फिर से है आ गया। राखी लेकर बहना बैठी, भाई भी उसका आ गया। खुशी के मारे झूम उठी वो,
read moreMohan Sardarshahari
आज राखी है बहन - भाई के अटूट स्नेह की साक्षी है। भाई रक्षा सूत्र बंधवाकर बहन को रक्षा का संकल्प देता है यह रस्म पीढ़ियों से चलती आ रही है । घर से बाहर निकाल कर शायद भाई यह संकल्प भूल जाते हैं तभी कार्यालय हो, सफर हो , या हो अस्पताल बहनें लूटी जाती हैं । उसने भी बांधी होगी किसी को राखी, दिया होगा संकल्प फिर भी खत्म कर दिया गया उसके जीने का हर विकल्प । कोलकाता, मेरठ या हो जोधपुर हर जगह राखी तोड़ी गई एक बहन की गर्दन नृशंस रूप से मरोड़ी गई । आज हर एक राखी रो कर कह रही होगी बंद करो यह उपहास नहीं होता रक्षा संकल्प पर विश्वास । राखी में भी आज स्वार्थ की बू आती है सरकारें मुफ्त यात्राएं करवा कर बहनों के वोट लेती हैं जब बारी आती इंसाफ की वही सरकारें एक दूसरे को दोष देती हैं पर इंसाफ करने से कतराती हैं । क्यों राखी के धागों को अब बदनाम करते हो मन के धागों को क्यों नहीं मजबूत करते हो? ©Mohan Sardarshahari आज राखी है
आज राखी है
read moreShalini Nigam
केवल "रेशम की डोर" नहीं~ प्रेम का अहसास है~"राखी" केवल "रक्षा का वचन" नहीं~ लम्बी उम्र की दुआ है~"राखी" ©Shalini Nigam #राखी #रक्षाबंधन #भाई_बहन #Nojoto #Love #yqbaba #yqdidi #Shayari
#राखी #रक्षाबंधन #भाई_बहन Love #yqbaba #yqdidi Shayari
read moreChandrawati Murlidhar Gaur Sharma
White ढूंढ रही हैं नजरे शायद अभी दिख जाएं। आया है फिर राखी का त्यौहारकहीं किसी बहन को बिछड़ा भाई तो किसी भाई को बिछड़ी बहन मिल जाएं। माना राखी महंगी और रिश्ते सस्ते हों गए है। पर कभी तो बाहरी दिखावा छोड़ मन की आंखों से मेल हटा कर मिल लिया करो। जानें कब किसी की अगली सुबह आंख न खुले इसलिए जब याद आए तब ही बात कर लिया करों। ©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma बार कोई त्यौहार आता है, पर तू नज़र नहीं आता है। इस बार भी राखी का त्यौहार आया है, पर यादों को कोई मिटा नहीं पाया है। पूजा की थाली सजाती हूँ
बार कोई त्यौहार आता है, पर तू नज़र नहीं आता है। इस बार भी राखी का त्यौहार आया है, पर यादों को कोई मिटा नहीं पाया है। पूजा की थाली सजाती हूँ
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