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Urmeela Raikwar (parihar)
White आसमान मैं तेरे नाम का भी एक तारा है wrote by Urmee ki Dairy ©Urmeela Raikwar (parihar) #good_night तेरे नाम का
#good_night तेरे नाम का
read moreRamnik
White किसी ने पूछा दिल क्या दर्द क्या होता है... कुछ नहीं कुछ बोझल सा लगता है। क्या है लफ्जों में समझ नही आता। दो आंसू सकूं दे जाते है। खोया किसी ने हो, दिल में वहीं टीस दे जाते है.. ©Ramnik #दिल का दर्द
#दिल का दर्द
read moreहिमांशु Kulshreshtha
White तेरे ना होने का, मलाल एक तरफ मेरा क्यू ना हुआ ये सवाल एक तरफ, यक़ीन कर.. मैं बहुत खुश हूॅं अब फ़िर भी…. तुम जब हिस्सा थे मेरी जिन्दगी का वो लम्हे , वो दिन, वो माह, वो साल, एक तरफ !! ©हिमांशु Kulshreshtha तेरे ना होने का...
तेरे ना होने का...
read moreJashanpreet kaur
White तुम से मोहब्बत का इजहार कर बैठे सुना था इश्क गुना हैं जाने -अनजाने हम वो गुना कर बैठे। ©Jashanpreet kaur #GoodMorning तुम से मोहब्बत का इजहार कर बैठे सुना था इश्क गुना हैं जाने -अनजाने हम वो गुना कर बैठे। Aaj Ka Panchang motivational shayari H
#GoodMorning तुम से मोहब्बत का इजहार कर बैठे सुना था इश्क गुना हैं जाने -अनजाने हम वो गुना कर बैठे। Aaj Ka Panchang motivational shayari H
read moreSk
White महफूज रखती हूँ दिल में, तेरे इश्क का फसाना, आँखों से पढ लिया करो, क्या जरूरी है बताना.. ©Sk महफूज रखती हूँ दिल में, तेरे इश्क का फसाना, आँखों से पढ लिया करो, क्या जरूरी है बताना..
महफूज रखती हूँ दिल में, तेरे इश्क का फसाना, आँखों से पढ लिया करो, क्या जरूरी है बताना..
read moreAnjali Singhal
"इंतज़ार तेरे आने का कुछ ज्यादा हो गया। बैठे-बैठाए मोहब्बत का तमाशा हो गया।।" #Shayari #AnjaliSinghal nojoto
read morePrabhat Singh
हम जले तो सब चिराग समझ बैठे.!! जब महके तो सब गुलाव समझ बैठे.!! मेरे लफ्जों का दर्द किसी ने नहीं देखा.!! शायरी पड़ी तो शायर समझ बैठे.!! ©Ammu हम जले तो सब चिराग समझ बैठे.!! जब महके तो सब गुलाव समझ बैठे.!! मेरे लफ्जों का दर्द किसी ने नहीं देखा.!! शायरी पड़ी तो शायर समझ बैठे.!! हिंद
हम जले तो सब चिराग समझ बैठे.!! जब महके तो सब गुलाव समझ बैठे.!! मेरे लफ्जों का दर्द किसी ने नहीं देखा.!! शायरी पड़ी तो शायर समझ बैठे.!! हिंद
read morenisha Kharatshinde
जगा अन् जगूद्या सध्या पन्नाशीही पार करणे खूप अवघड झालंय अन् आत्महत्या करणे अगदी सोपं झालंय पंचवीस वर्षाच्या नात्याला किंमत राहिली नाही दोन वर्षाच्या प्रेमासाठी कुणी आईचाही उरला नाही त्या रागापुढे सर्वच शून्य अहंकाराने डाव साधला वेदनांनी आवाज न करता भावनांचा गळा घोटला दुनियेचं हसू होईल अन् इज्जतीचा पंचनामा समजून घेऊ जग म्हणतं अन् पडद्याआडून जाहीरनामा इथं कुणी कुणाची निंदा करते स्तुती मात्र क्वचित तिरस्काराने एकमेकांच्या संपली माणुसकीही निश्र्चित अफवांवर पांघरुण घालणारे पडतात फसवणुकीत बळी माहेर आहेर संपलय आता जन्मत:च खुंटते कळी जगा अन् जगूद्या सर्वा या महामारीच्या परिस्थितीत अत्यल्प आयुष्य उरलय बदल करा मनस्थितीत ✍️ निशा खरात/शिंदे (काव्यनिश) ©nisha Kharatshinde जगा अन् जगू द्या
जगा अन् जगू द्या
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