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samandar Speaks
White ये आसमां ज़मीं पर उतर क्यों नहीं जाता ये गुजरता हुआ साल अब ठहर क्यों नहीं जाता ये रुकता तो,बच्चे भी बच्चे रहते,हम भी हम रहते न वो दूर कहीं जाते,ना हम घर के बाहर ठहरते बदलते वक्त के हालात पर ये तरश क्यों नहीं खाता ये गुजरता हुआ साल अब ठहर क्यों नहीं जाता झोपड़ियां सहमी है दुबकी हैं फट्टे शॉल में लिपटी है बकरियां फट्टे बोरे में,टूटी खाट पे हुई जा खड़ी हैं इस बेबसी में नए साल का फितूर उतर क्यों नहीं जाता ये गुजरता हुआ साल अब ठहर क्यों नहीं जाता बाप कि जवानी लेकर बेटे बड़े हो रहे हैं इन्हें जवान करते बाप अधमरे हो रहे हैं रैन बसेरों का डर अब निकल क्यों नहीं जाता ये गुजरता हुआ साल अब ठहर क्यों नहीं जाता राजीव ©samandar Speaks #love_shayari मनीष शर्मा Satyaprem Upadhyay Radhey Ray Poonam bagadia "punit" Sandeep L Guru मनीष शर्मा Satyaprem Upadhyay अंजान S
#love_shayari मनीष शर्मा Satyaprem Upadhyay Radhey Ray Poonam bagadia "punit" Sandeep L Guru मनीष शर्मा Satyaprem Upadhyay अंजान S
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White Upon the soil where silent tears do fall, A hero stands, though mortal he no more. Manish, the name that echoes duty's call, In Rajauri's shadow, his valor soared. For freedom's light, he faced the darkest night, A beacon strong against the vile attack. His courage burned, a flame so fierce, so bright, A shield for kin, though he shall not turn back. O Gopalganj, your son now rests in peace, His sacrifice a tale the winds shall weave. Though grief does swell, let pride in hearts increase, For such a soul, this earth can scarce conceive. Though he departs, his legacy shall stay, A martyr's light to guide our destined way. ©samandar Speaks #sad_quotes Satyaprem Upadhyay Internet Jockey Mukesh Poonia Sandeep L Guru मनीष शर्मा
#sad_quotes Satyaprem Upadhyay Internet Jockey Mukesh Poonia Sandeep L Guru मनीष शर्मा
read moreLalit Saxena
हमने ख़ुद को ज़िंदा जलते देखा है रोशन दिन आँखों में ढलते देखा है सांस-सांस पीर कसमसाती रहती मुर्दा सपने पांवपांव चलते देखा है उगते सूरज के जलवे देखे हर दिन उदास शाम को भी उतरते देखा है ख़्वाहिशें, सारे ही रंग उतार देती है उम्रदराज़ को भी, मचलते देखा है दरवाजे पर नहीं कोई दस्तक हुई हर सुब्ह उन्हें वैसे गुज़रते देखा है दिन बुरे हों, तो ये दरिया भी सूखे बुलंदियों को भी, बिखरते देखा है ©Lalit Saxena ग़ज़ल
ग़ज़ल
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White अब क्या बताऊं ये क्या हैं इक सपना है हिंदी में, या उर्दू में ख्वाब है, चाँद का आइना, सूरज का नक़ाब है। बारिशों की छन-छन, जैसे सितारों की सरगोशी, हवा की सरसराहट, मानो ज़ुबां पर कोई नज़्म रुकी हो। लहरों की हलचल, जैसे धड़कता हो समंदर का दिल, भँवरों की गुनगुनाहट, जैसे मौन की गहराई में छुपा एक गीत। अब क्या बताऊं ये क्या है, ये सुबह का आँचल, जिसमें रौशनी का जादू सिमटा है, ये शाम का सन्नाटा, जैसे थककर कायनात खुद को सुला रही हो। जंगलों की फुसफुसाहट, जैसे पेड़ आपस में राज़ बांट रहे हों, पहाड़ों की बुलंदी, जैसे किसी दुआ की सदा आसमान को छू गई हो। अब क्या बताऊं ये क्या है, ये बूँदें, जो धरती की प्यास बुझाकर मुस्कुराती हैं, ये मिट्टी की ख़ुशबू, जैसे कुदरत का इश्क़ ज़मीन से लिपट गया हो। ये फूलों का खिलना, जैसे हर सुबह एक नया अफ़साना लिखती हो, ये तितलियों का नृत्य, जैसे रूहानी ख़्वाबों का रंगीन कारवां। अब क्या बताऊं ये क्या है, ये बादलों का आग़ोश,जैसे किसी मां ने अपने बच्चे को छुपा लिया हो, ये झील का सुकून, जैसे किसी सूफी का दिल। कुदरत का हर रंग, हर सुर, हर अंदाज़, जैसे खुदा ने अपने दिल के सबसे गहरे कोने में हमारे लिए एक नज़्म लिख छोड़ी हो। अब क्या बताऊं ये क्या हैं राजीव@samandar speaks ©samandar Speaks #love_shayari Satyaprem Upadhyay Radhey Ray Mukesh Poonia मनीष शर्मा bewakoof
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Unsplash नीली आँखों का जादू और पलकों का पहरा गुलाबी ये आलम और दिल ठहरा ठहरा तब्बसुम मोतियों सा लबों पे है छाया और सुर्खी ए महरो है पसरा पसरा काले बादलों का घेरा ,और बारिश की बुँदे, चाँद हो जैसे की ,नहाया नहाया इस्लाम सी है ,लाम लट गेसुओं की अदा पे खुदा का ,है नूर, पसरा पसरा सांसो की ताज़गी में, कुदरत, की ख़ुशबू, एक जाम हर अदा जैसे हो छलका छलका Rajeev ©samandar Speaks #camping Radhey Ray Mukesh Poonia मनीष शर्मा Anant bewakoof
#camping Radhey Ray Mukesh Poonia मनीष शर्मा Anant bewakoof
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White मेरी माँ मेरी यादों के चिलमन में आज भी मेरी माँ है, मुझमें ज़िंदा हर पहलू में शामिल मेरी माँ है। रातभर चाँद से गुफ़्तगू करती रोज़, ये मेरी आंखें अब भी रोशन मेरी आंखों में रहती, मेरी माँ है। ढूँढ़ता हूँ उसे मै फ़ज़ा के रास्तों पर हर नई सुबह का पहली तारीख, मेरी माँ है। मेरे कतरे कतरे देते झलकी उसके इल्म की, मेरी घर के हर कोने में दिखती, मेरी माँ है। छोड़ ग़ई है दूर मुझे गुमनाम सी मंजिल पर पर आज भी उसकी आहट कहती,मेरी माँ है। राजीव । ©samandar Speaks #sad_dp Mukesh Poonia Radhey Ray मनीष शर्मा Sandeep L Guru bewakoof
#sad_dp Mukesh Poonia Radhey Ray मनीष शर्मा Sandeep L Guru bewakoof
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White जीना हैं अकेले फिर भी लोगों के पीछे दुख के मेले हैं किसी के साथ होते हुए भी ना जाने क्यों हम अब भी अकेले हैं जलते हैं अकेले ही यादों के दरिया में भी बुझती नहीं वो आग तफ़्दिशे जलन भी झेले हैं किसी के साथ होते हुए भी ना जाने क्यों मगर और भी अकेले हैं नसीब का लिखा वो ही जाने तक़दीर का दिया हुआ दर्द_ए _नसीब हम ने भी झेले है अब इस के बाद न जाने नसीब में क्या है ना आओ साथ हमारे जिंदगी में हमारे बहुत झमेले हैं ना याद आते अब वो लम्हे ना याद आते हो तुम कभी इस कदर मेरे सफ़र में ओ मुसाफ़िर कि अब तन्हाई इस कदर मेरी यादों में घुल गई कि ना अब कोई मिलता ना अब कभी बिछड़ता शायद अब हम अपने आप से भी नहीं मिलते कि अब हम अपने ध्यान से उतरे हुए से आसुओं के रेले हैं के ना अब कभी कहना मुझसे कि साथ चलने को तुम्हारे हम अपना सब कुछ छोड़ चलते हैं अब ना मिलेंगे हम ना वो हमारी मोहब्बत मिलेंगे तो सिर्फ हम और हमारी तन्हाई जिसको दिया तुमने और हमने वो जख्म सदियों से झेले है फिर ये खेल ना खेलो हमारे साथ समझ जरा ज़ख्मी हु और टूटे हुए इस कदर की फ़िर ना जुड़ सकू दोबारा जो खेल लोगों ने सदियों से खेले हैं मत आजमा ए ज़ालिम कि आवाज़ तक नहीं आएगी मेरे दर्द कि हम अब अकेले बहुत अकेले हैं ©Sonuzwrites #good_night ग़ज़ल ✍️
#good_night ग़ज़ल ✍️
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