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ਸੀਰਿਯਸ jatt

इन रंडियों का यही इलाज़ है! साली कुतिया को हिंदू लड़का नहीं मिलता! इनकी बहन की चूत सही मारा इसको! #Videos

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Chini Hub

रामलाल ने चमेली को मारा 🤣🤣 nojoto comedy #Funny #viral #viralcomedy शायरी चुटकुले फनी शायरी जोक्स 'कॉमेडी वीडियो कॉम'

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puja udeshi

पानी सर से ऊपर चला जाता हैं तब पाप का घड़ा फूट ही जाता हैं जो भी इस medical college मे काण्ड हो रहे थे उसका पर्दा फाश होना ही था, गलत रास्ता #SAD

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Vikas Sahni

#पतंगों_के_प्रति आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है पर सुंदर नहीं लग रही है न नहाने-खाने के कारण स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण चिढ

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White 
आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है
पर सुंदर नहीं लग रही है
न नहाने-खाने के कारण
स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण
चिढ भी रही है वह।
होकर नाराज़ नभ देख रही है
और मैं उसकी आँखों में 
देखते-देखते दस बजे सजे
पुस्तक-पन्नों के शब्दाें को फेसबुक; व्हाट्सएप; इंस्टाग्रामादि पर सजा रहा हूँ,
"प्रसन्न बच्चों की आवाज़ें सर्वत्र गूँज रही हैं;
सभी के लिए यह दिवा मेहमान है,
पतंगों से सजा आसमान है,
जिसकी ओर कविता का भी ध्यान है
और उसकी ओर मेरा ध्यान है।
लाल-पीली; हरी-नीली-पतंगें युद्ध-खेल खेल रही हैं
अनंत आसमानी पानी  और बादलों के बगीचे में
मैंने देखा उन्हें कविता की आँखों से
भरी पड़ी प्रत्येक छत है,
प्रत्येक पतंग प्रतिस्पर्धा में रत है,
कई किन्हीं इशारों पर नाच रही हैं,
कई मुक्ति पाने-जाने के लिए छटपटा रहीं हैं,
पिन्नी वाली फटी फटफटा रही हैं,
कई मुक्त हुए जा रही हैं
पश्चिम से पूर्व की ओर मस्ती में ठुमका लगाते हुए
जा रही हैं अपने लक्ष्य की ओर
तो कई कैदी बने रो रही हैं पक्के धागे के पिंजरे में,
जिस प्रकार पक्षी (पतंग)
अपने अंग-अंग को पटकते हैं पिजरे में बड़ी बेरहमी से
फिर कविता की आँखों की नमी से
पूछा मैंने कि क्या हुआ इससे आगे,
क्या टूट गये वे सारे धागे?
कविता ने कहा, "टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी पतंगों के धागे,
टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी भिन्न-भिन्न रंगों के धागे।
है आवश्यक अभी कि काश टूट जाते बुराई के धागे!!"
     .                      ...✍️विकास साहनी

©Vikas Sahni #पतंगों_के_प्रति
आज कविता
जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है
पर सुंदर नहीं लग रही है
न नहाने-खाने के कारण
स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण
चिढ

Devesh Dixit

#kargil_vijay_diwas #nojotohindi #nojotohindipoetry कारगिल दिवस सन् 1999 में, कारगिल का युद्ध शुरू हुआ था। सहज नहीं था युद्ध ये, हमारे जव #Poetry #sandiprohila

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- हसीनों के कातिल इशारों ने मारा  हुआ प्यार तो बेवफ़ाओं ने मारा  थी हसरत बहुत डूब जाने की जिन में  मुझे उन नशीली निगाहों ने मारा  मुहब्ब #शायरी

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White ग़ज़ल :-
हसीनों के कातिल इशारों ने मारा 
हुआ प्यार तो बेवफ़ाओं ने मारा 
थी हसरत बहुत डूब जाने की जिन में 
मुझे उन नशीली निगाहों ने मारा 
मुहब्बत में मुझपे चला जब मुकदमा 
अदालत के झूठे गवाहों ने मारा 
हुआ फिर अचम्भा पलट कर जो देखा 
हमें तो हमारी वफ़ाओं ने मारा 
मुक़द्दर पे अपने वो हैरान होगा
जो पत्थर मुझे गुनहगारों ने मारा 
बचेंगे कहाँ से ये आशिक जहाँ में 
हमेशा इन्हें  बेवफ़ाओं ने मारा 
गरीबों में चाहत सिसकती रहेगी 
हसीनों के ऊँचे ख़यालों ने मारा 
कहाँ हीर रांझा जनम फिर से लेंगे 
उन्हें जबसे जग के रिवाज़ों ने मारा 
नसीहत सभी दे रहें हैं प्रखर को 
पता भी है खंज़र हज़ारों ने मारा 

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-
हसीनों के कातिल इशारों ने मारा 
हुआ प्यार तो बेवफ़ाओं ने मारा 
थी हसरत बहुत डूब जाने की जिन में 
मुझे उन नशीली निगाहों ने मारा 
मुहब्ब
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