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नवनीत ठाकुर
White "जिंदगी भर की जद्दोजहद, बस एक सफर की बात है, अंत में सबके हिस्से में, एक ही कफ़न की बात है। राहों में कांटे चुनते रहे, फूलों की आस में, अंत में तो सबकी मंज़िल, वही श्मशान है। मिट्टी से उठे हैं, मिट्टी में मिल जाएंगे, जो सोने की ललक में थे, वो भी सो जाएंगे। इंसान था, खुदा बनने की ख्वाहिश रही, हसरतें थीं बुलंद, पर ज्यादा देर ठहर न सकी। जिस जिस्म को संजोया, वो भी खाक हो जाएगी, जिस दौलत पे फख्र था, वो यहीं रह जाएगी। खाली हाथ आए थे, खाली हाथ जाएंगे, ये जीवन का सफर, यूं ही खत्म हो जाएगा। रंग-बिरंगी दुनियादारी, वो शोहरत, वो शान, अंत में सब लुट जाएगा, रह जाएगा बस श्मशान। धुंआ बनके उड़ जाएगा सब, हवाओं में कहीं, वक्त की वो कड़वी सच्चाई, बस राख कहलाई जाएगी। छोड़ जाएंगे यहां अपने निशाँ जो हमने बनाए, लेकिन उन्हीं लहरों में वो भी मिट जाएंगे। अभी वक्त है संभल जाओ, ये दौलत-ओ-शौहरत झूठ है, अंत में बस प्यार का इक दिया, राह रौशन कर जाएगा।" ©नवनीत ठाकुर #कफ़न की बात
#कफ़न की बात
read morenisha Kharatshinde
मुके जाहले शब्द मुके जाहले शब्द वेदनेतून उमललेले गवसले नाही काहीही तरीही शिंपीत सडा गेले मौनाची ती पंक्ती दुसरा गुंता भावनेचा शल्य गवसले त्रीपंक्तीत चौथीत काहूर मनाचा अबोला हा कल्पनेचा की दडलेला समझोता शपथबद्ध भासले जणू दाटला गूढ अर्थ होता ✍️ निशा खरात/शिंदे (काव्यनिश) ©nisha Kharatshinde मुके जाहले शब्द
मुके जाहले शब्द
read moreRam Prakash
White शब्द शब्द वाणों से हृदय और न भेदे कोई निर्णीत मामलों को अबसे और न कुरेदे कोई ©Ram Prakash #good_night शब्द शब्द
#good_night शब्द शब्द
read moreAjit Singh "Prince"
White इसीलिए कूछ कहते नहीं हम, चूभे ना तुम्हें कभी शब्द हमारे। कहा तूमने ही था हथियार नहीं, एक दिन शब्द बाण ही मारेंगे तूम्हारे। ©Ajit Singh "Prince" #Sad_Status शब्द बाण।
#Sad_Status शब्द बाण।
read moreMahesh Patel
White सहेली.... एक शब्द और एक रिश्ते की कीमत तभी पता चलती है.. जब दोनों निकल जाए, एक मुंह से दूसरा जीवन में से... लाला.... ©Mahesh Patel सहेली... शब्द.. लाला...
सहेली... शब्द.. लाला...
read morepramod malakar
तुम कफन में लिपटे हो 000000000000 सनातन से दूर होकर तुम जिहादियों से पीटते हो, मेरी नजरों में तुम सदा कफन में लिपटे हो। कब तक मोहब्बत का नारा लगाते रहोगे, कब तक मोहब्बत में खुद को जलते रहोगे। निशा मिट रहा है तुम्हारा , मिट जाएगा, तुम्हारे भगवान का भजन फिर कौन गाएगा। मुसलमान तुम्हारा ना हुआ है ना होगा कभी, जो बिखरे हो टुकड़ों में एक हो जाओ अभी। कहीं सर तन से जुदा , कहीं बेटी घर से जुदा, इंसानों के हत्यारों का मालिक,वह कैसा है खुदा। धर्म ग्रंथो को पढ़कर अपना ताकत तुम बढ़ा लो, जिहादियों को अपने दिल से अभी तुम हटा लो। पूजा का थाली या पेट का हो दाना, हिंदुओं से कर लो तुम सौदा चाहे मकान हो बनाना। भाईचारा निभाने वालों तुम तो सिर्फ काफिर हो, कट्टर नहीं बने अगर तुम,तो कुछ पल के मुसाफिर हो। धर्म में नहीं जातिवाद में तुम सिमटे हो, मेरी नजरों में तुम सदा कफन में लिपटे हो।। ######################### प्रमोद मालाकार की कलम से...19.08.24 ©pramod malakar # तुम कफ़न में लिपटे हो
# तुम कफ़न में लिपटे हो
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