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puja udeshi
#RadheGovinda #good_morning #pujaudeshi sushil Antim Farooq Farooqui Fruti Kumari Chandan Singh Bhumihar
read moreAshutosh Mishra
White --हम सब भारतीय-- ये कैसी रात आई है जिसकी सुबह खो गई है नाम मजहब के ना जाने कितनी मौत हो रही है एक ही आसमां चांद तारे देते शीतलता हमें एक ही धरा का अन्न देता जीवन हमें हैं सभी उसी अदृश्य शक्ति की चेतना फिर,,,, कौन है जो हमें बांटते है!!! बनकर ठेकेदार हमारी मानवता को तार-तार कर रहें है खुद के स्वार्थ पूर्ती हेतू हमारे भारत माता के दामन को उनके बच्चों के लहू से भिगो रहे है ऐ मेरे भारत के वीरो हो जाओ तैयार,,जो उठे हाथ हमारी एकता को की ओर उन्हें खंड-खंड कर डालो,,फोड़ दो उन आंखों को जो हमें मजहब के नाम पर बांटे दूर करो उन जयचंदो को जो घर में सेध लगाते है खुद राजा बनने की लालसा में हमारे अस्तित्व को मिटाने चले अल्फ़ाज मेरे✍️🙏🙏 ©Ashutosh Mishra #good_night # हिंदी कविता # देशभक्ति कविता #नोजोटोहिंदी #शुभरात्रि #आशुतोषमिश्रा Dr. uvsays Mahi R Ojha nita kumari प्रा.शिवाजी ना.वाघमारे
good_night # हिंदी कविता # देशभक्ति कविता नोजोटोहिंदी शुभरात्रि आशुतोषमिश्रा Dr. uvsays Mahi R Ojha nita kumari प्रा.शिवाजी ना.वाघमारे
read moreChandan Kumar
Chandan kumar ©Chandan Kumar #sad_qoute Chandan kumar
#sad_qoute Chandan kumar
read moreAnurag Mankhand
मोमीता देबनाथ : एक ओर बेटी August 23, 2024 To September 10,2024 09:24 A.M. To 12: 53 A.M. सिसकती रहीं और बेबस रहीं वो हैवानियत से भी ज्यादा कुछ और ज़िस्म से भी ज्यादा कुछ अपनी रूह पर सहती रहीं माँ दुर्गा के इस शहर में बेटी आज मारी गयी और ज़िस्म से नौची गयी वो आसूँओ की गूंज कहीं दीवारो से टकराती रहीं बहती सिसकियां और लहू आँखो से ज़मीन भी मातम मनाती रहीं माँ दुर्गा के इस शहर में बेटी आज तड़पती रही और ज़िस्म से नौची गयी दर्द की पराकाष्ठा से भी कुछ परे है तो (चरमसीमा) उस बेटी ने सही होगी उन दरिन्दों की क्रूरता की पराकाष्ठा से हवा भी सहमी होगी कितनी डरी और लाचार होगी वो तब जब वहशीपन की इन्तिहा हुई होगी क्या गुनाह था उसका , इन से पूछो तो सही परवाज़ के लिए तैयार थी वो (उड़ान) एक ख़्वाब था उसका और वो गरूर था माँ- बाप का कितनी बिजली गिराई होगी कितनी पीड़ा से वो निकली होगी इन दरिन्दों को सिर्फ हवस दिखी , न उसमें बहन दिखी, न उसमें माँ दिखी न गर्वित करने वाली समाज की वो औरत दिखी न दिखी उसमें एक उम्मीद न दिखी उसमें एक ज़िन्दगी न दिखी घर से निकलते वक्त चोखट पर खड़ी वो औरत न दिखी जन्म देने वाली और दुवा पढ़ने वाली वो औरत न दिखी खुद की वो छोटी नन्ही सी परी बिटिया दिख जाती तो शायद आज 'मोमीता' जी पाती , जिन्दा होती ©Anurag Mankhand #Stoprape Tribute To Momita Debnath
#Stoprape Tribute To Momita Debnath
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