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Deepika
चावल.....अगर कुमकुम से मिल जाए, तो किसी के मस्तक तक पहुंच जाते हैं...... और मूंग के साथ मिल जाए , तो खिचड़ी में काम आते हैं.... मतलब.... आप कौन हो ? इसके महत्व से ज्यादा, आप किसके साथ मिले हो यह भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। ©Deepika #friends #Rice #संगत #कुमकुम #लाइफ #Company #Important #Food #RESPECT #Friend
vishnu prabhakar singh
जब बात चली सायली की तो हाइकु याद आया कोलैबोरेशन ओपन 👈😇 सायली विधा -------------- सायली विधान : इसे पाँच पंक्तियों में लिखा जाता है। नियम..... ◆ पहली पंक्ति में एक शब्द ◆ दूसरी पंक्ति में दो शब्द
कोलैबोरेशन ओपन 👈😇 सायली विधा -------------- सायली विधान : इसे पाँच पंक्तियों में लिखा जाता है। नियम..... ◆ पहली पंक्ति में एक शब्द ◆ दूसरी पंक्ति में दो शब्द #तुम #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #yqhindi #सर्वस्व #कुमकुम #nehasinghal
read moreNEERAJ SIINGH
बिन रीत बिन रिवाज हूँ मैं तुम्हारा जीवन पर्यन्त मांग का ताज कोलैबोरेशन ओपन 👈😇 सायली विधा -------------- सायली विधान : इसे पाँच पंक्तियों में लिखा जाता है। नियम..... ◆ पहली पंक्ति में एक शब्द ◆ दूसरी पंक्ति में दो शब्द
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read moreRJ 21
*माथे पर कुमकुम का तिलक* महिलाएं एवं पुरुष माथे पर कुमकुम या तिलक लगाते हैं। *वैज्ञानिक तर्क-* आंखों के बीच में माथे तक एक नस जाती है। कुमकुम या तिलक लगाने से उस जगह की ऊर्जा बनी रहती है। माथे पर तिलक लगाते वक्त जब अंगूठे या उंगली से प्रेशर पड़ता है, तब चेहरे की त्वचा को रक्त सप्लाई करने वाली मांसपेशी सक्रिय हो जाती है। इससे चेहरे की कोशिकाओं तक अच्छी तरह रक्त पहुंचता है.
Vikram Agastya
"मेरी डिबिया की रौशनी"/विक्रम अगस्त्य #बचपन " पुस कि रात और मेरी डिबिया की रौशनी" [ विक्रम अगस्त्य] बेहद ठंड होती हैं, पुस की रात..... वो दौर था उस वक्त का जब हमारे गांव में बिजली नहीं हुआ करता था। डिबिया के रौशनी में पढ़ा करते थे। यकीन मानिए दोस्तों वो दौर ही इतना मनमोहक था। शाम होते ही फिर वहीं छोटीसी प्यारी डिबिया के पास बैठ कर " हल्कू और सिरचन के कहानियां पढ़़ा करते थे। मेरी माँ हमेशा सब घरेलू काम निपटा कर बैठ जाती थी, मेरे पास , जब मैं पढ़ते पढ़ते सो जाता
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