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Sujit Kumar Kar

करुणा विशाल हृदय की वस्तु है। करुणा, धन और शिक्षा से नहीं जन्म लेती, यह तो हृदय का क्षेत्र है। संस्कृत कवि कृष्णद्वैपायन व्यास अपनी कविता 'महाभारत' में एक प्रसंग में कहते हैं - "भीतम् भक्तम् नान्यदस्तीति चार्ते प्राप्तम् क्षीणम् रक्षणे प्राणलिप्सुम। प्राणत्यागादप्यहम् नैव मोक्तुम् यतेयम् वै नित्यमेतद् व्रतम् मे।।" (महाभारत ➝ महाप्रस्थानिक पर्व ➝ तृतीय अध्याय ➝ श्लोक 12) #Mahabharat #हिंदी_साहित्य #संस्कृतसाहित्यम् #गीताप्रेस_गोरखपुर #महाप्रस्थानिकपर्व #gitapress

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What need the most is harmony.....  करुणा विशाल हृदय की वस्तु है। करुणा, धन और शिक्षा से नहीं जन्म लेती, यह तो हृदय का क्षेत्र है। 

संस्कृत कवि कृष्णद्वैपायन व्यास अपनी कविता 'महाभारत' में एक प्रसंग में कहते हैं - 

"भीतम् भक्तम् नान्यदस्तीति चार्ते प्राप्तम् क्षीणम् रक्षणे प्राणलिप्सुम।
प्राणत्यागादप्यहम् नैव मोक्तुम् यतेयम् वै नित्यमेतद् व्रतम् मे।।"

(महाभारत ➝ महाप्रस्थानिक पर्व ➝ तृतीय अध्याय ➝ श्लोक 12)

Madhav Jha


यदा किंचिज्‍ज्ञोSहंद्विप इव मदान्‍ध: समभवं 
तदासर्वज्ञोSस्‍मीत्‍यभवदवलिप्‍तं मम मन: ।
यदा किंचित्‍किंचिद्बुधजनसकाशादवगतं 
तदा मूर्खोSस्‍मीति ज्‍वर इव मदो मे व्‍यपगत:  ।। 8
 
व्‍याख्‍या -
यदा अहं अल्‍पज्ञ: आसम् तदा गज इव मदान्‍ध: आसम् यत् मत्‍सदृशं नास्ति अस्‍यां पृथिव्‍यां विद्वान् कश्चित् । किन्‍तु यदा विदुषां सम्‍पर्कं प्राप्‍य किंचित्-किंचित् ज्ञानं जातं तदा अवगमनमभवत् यत् अहं तु मूर्ख: एव अस्मि इति, पुनश्‍च मम अभिमानं ज्‍वर इव समाप्‍तमभवत् ।

 हिन्‍दी -
जब मैं अल्‍पज्ञ था तब हाथी की भांति मुझे अभिमान था, तब मैं ही सर्वज्ञ हूँ ऐसा मेरा मन समझता था । जब मैं विद्वानों के सम्‍पर्क में रहकर कुछ-कुछ जानकार हुआ तब मुझे यह ज्ञात हुआ कि वस्‍तुत: मैं मूर्ख हूँ और मेरा अभिमान ज्‍वर की भांति उतर गया ।

छन्‍द - शिखरिणी छन्‍द: ।
छन्‍दलक्षणम् - रसे रुद्रैश्छिन्‍ना यमनसभलाग: शिखरिणी ।

हिन्‍दी छन्‍दानुवाद - 
गज के समान था मदान्‍ध लिये छुद्र-ज्ञान, सोंचा करता था कोई क्‍या मेरे समान है ।
मैं हूँ सर्वज्ञ, मुझको है सब कुछ ज्ञात, जितने भी नीति, वेद, शास्‍त्र व पुराण हैं ।
विदुषों की संगति में बैठ के जो सीखा कुछ तो पता चला कि अभी तुच्‍छ-लव-ज्ञान है ।
विज्ञ नहीं अज्ञ हूँ मैं इसकी प्र‍तीति हुई, ज्‍वर के समान दूर हुआ अभिमान है ।।
 #संस्कृतसाहित्यम् #संस्कृतश्लोक


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