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Abdul Ashrafi
💞.#प्यार के #दामन में #लिपटे हम #कहाँ तक #आ गए..💞 💞.#हम नज़र तक #चाहते थे, तुम तो #दिल पर छा #गए💞 💞.#तुमसे मोहब्बत के #लिए..! 🫶#मौजूदगी...!!🫶 #कोई जरूरी #तो नहीं,,,💞 💞#मेरी रग# रग में,,,!! 🫶#तेरी रूह #का,,,!🫶 #एहसास काफी है... 💞 ©Abdul Ashrafi
Jeet
💞#लफज़ो में #लिपटे मखमली #अहसास हैं मेरे #सिर्फ उनके #लिए जो #बेहद खास हैं 💞 ©Jeet #Love
Namita Chauhan
जान आप जब पटना आएँगे, तो White सूट , छोटी #बिंदी, कान में silver झुमके, खुले बाल में एक छोटी सी क्लचर, और #झालर वाली किनारी का #लाल दुपट्टा ओढ़ के आपसे मिलने आएँगे हम..,आपके काले कुर्ते में, वो बारिश वाली बादलों की धूप-छाँव में #लिपटे, वहाँ की रूह में बस जाएँगे हम । हम दोनों के मिलन की #ख़ुशबू को मिला के, #इतर की एक शीशी में मेहफ़ूज़कर के रख लूँगी, आप जब वापस चले भी जाएँ ,तो भी आपकी रूह को पटना से #रिहा होने ना दूँगी मैं। शाम को चाय के वक़्त, जब फिर से आपकी #याद आएगी, वो लाल दुपट्टा और आपके#मिलन की ख़ुशबू वाली वही सफेद कुर्ता पहन के बैठ जाएँगे हम, फिर आपकी पसंद की song ❤️❤️ #ना_हो_तू_उदास_तेरे_पास_पास मैं रहूँगा ज़िन्दगी भर सारे संसार का प्यार मैं ने तुझी में पाया तू #मिले_दिल_खिले और #जीने_को_क्या_चाहिये"" ❤️❤️ को सुनते हुए...आपसे मिलने की एक औरतरक़ीब बनाएँगे हम...🙈 आपको वापस, पटना ले आएँगे हम #जान❤️😘... #नमी_पगली ❤️ ©Namita Chauhan
Lalan Kushwaha
#कफ़न में लिपटने से अच्छा है मास्क से #लिपटे रहे| #Maskup ©Lalan Kushwaha #covid19 #mask #Rose
Amit Gupta
*तस्वीर जम्मू कश्मीर की* हां मैं निसंदेह मानता हूं यहां की हसीं वादियों में बसी है मुहब्बत, मगर ये भी तो ज्ञात हो यहीं नित्य पनपते हैं लोगों में बेहिसाब नफरत । आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? हां मैं निसंदेह मानता हूं, कश्मीर की धरती पर पसरा है जन्नत का मंजर, पर यह भी तो सर्वविदित हो कि यहीं चलती है नित्य खूनी खंजर । आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? हां मैं निसंदेह मानता हूं, है यहां झीलों के सीने में लिपटे बहारें, पर क्या यह सच नहीं यहीं से उठती है ताबूत लिपटे तिरंगे से सैनिकों की हमारें । आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? हां मैं निसंदेह मानता हूं यही झिलमिलाती है झीलों की कनक सी जेवर, मगर ये भी तो ज्ञात हो कि यहीं होते हैं अक्सर लोगो के हिंसक तेवर । आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? हां मैं निसंदेह मानता हूं यहां कुदरत भी करती है इसकी इबादत, मगर ये भी तो दृष्टांत हो यहीं अकसर होती है सैनिकों कि शहादत । आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? अमित गुप्ता पुलवामा अटैक
पुलवामा अटैक
read moreAmit Gupta
*तस्वीर जम्मू कश्मीर की* हां मैं निसंदेह मानता हूं यहां की हसीं वादियों में बसी है मुहब्बत, मगर ये भी तो ज्ञात हो यहीं नित्य पनपते हैं लोगों में बेहिसाब नफरत । आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? हां मैं निसंदेह मानता हूं, कश्मीर की धरती पर पसरा है जन्नत का मंजर, पर यह भी तो सर्वविदित हो कि यहीं चलती है नित्य खूनी खंजर । आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? हां मैं निसंदेह मानता हूं, है यहां झीलों के सीने में लिपटे बहारें, पर क्या यह सच नहीं यहीं से उठती है ताबूत लिपटे तिरंगे से सैनिकों की हमारें । आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? हां मैं निसंदेह मानता हूं यही झिलमिलाती है झीलों की कनक सी जेवर, मगर ये भी तो ज्ञात हो कि यहीं होते हैं अक्सर लोगो के हिंसक तेवर । आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? हां मैं निसंदेह मानता हूं यहां कुदरत भी करती है इसकी इबादत, मगर ये भी तो दृष्टांत हो यहीं अकसर होती है सैनिकों कि शहादत । आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? अमित गुप्ता पुलवामा अटैक
पुलवामा अटैक
read moreRahul Ranjan sandilya
ये जो दर्द सह रहे हो और कुछ ना कह रहे हो। तो एक बात कान खोल के सुन लो, और थोड़ी सी गरम खून अपने कलेजे पे बून लो। कह के चला गया वो बेटा वो भाई वो जवान अब जिये चाहे जौसे ये पूरा हिंदुस्तान, क्योंकि फर्क किसको पड़ता है कौन किसके लिए लड़ता है, सब तो अखबारों में लिपटे है सोख मनाते चादर ओढ़े समाचारो में ही सिमटे है, जबाब आज नही दिए तो कल फिर कोई क़ुर्बान होगा फिर इसका जिम्मेदार अपना पूरा हिंदुस्तान होगा। पूरा पाक झाँक को साफ कर अखंड भारत का नाम रखो , इन पाकिस्तानी दरिन्दों का पूरी तरह लगाम कसो। अबकी होली में कैसा रंग लाए ये सोच आँखे भर जाते है। फिर लाल रंग के लहू और वो समाधी याद आते है कैसे खेलु अब होली यहां दिल पे खंज़र, आखो में आशुओ के बरसाते है। व यादो में ही आकर मेरा सारे भूख मिटाते है।। हमे बचाये वो जवान ,तो उसे कौन बचाएगा आग के गोले के सामने क्यो सिर्फ उसके ही छाती आएगा हम टवीट पे रिट्वीट करे वो कफन में लिपटे घर वापस खामोशी लेकर आएगा। माँ का आँचल ,प्रानप्रिय का सिंधुर मिटा चल जाएगा। चलो श्रधांजलि दे कर एक औपचारिकता तो निभाये हम पर जहां एक परिवार बने उस आँगन को कैसे मनाये हम। कैसे समझाये उस बहन को जो आँशु जहर-सा पी रही है टूटा सारा आसमां उस माँ पे ऐसे तरप के बेजान जी रही है।। जिंदगी है जो क़ीमती ,तो मृत्यु शस्ती नही है यारो। हिंदुस्तान कोई कब्रिस्तान की बस्ती नही है यारो।। ये पाकिस्तानी हमारे पैरों के धूल है इसकी हमारे सामने कोई हस्ती नही है यारो। #NojotoQuote @देश #भक्ति #देशकेजवान्न #माँ #बहन #भाई #पत्नि #हिंदुस्तान #poem #शायरी
@देश #भक्ति #देशकेजवान्न #माँ #बहन #भाई #पत्नि #हिंदुस्तान #poem #शायरी
read morekatib_official
Hindi shayari quotes ओस की बूंदे ओढ़े, बड़े आराम से वो सो रहा था। ठिठुरते चांद को बेपरवाह कर, वो सपने बड़े बुन रहा था।। या शायद जंग जारी थी, ठिठुराती ठंड भी नहीं कर पा रही थी, ठंडी आग जो पेट में लगी थी।। वो गरीब,हजरतगंज की चौराहे पर, मा भूमि से लिपटे सो रहा था।। तन पर लिपटी थी उसकी, ग़रीबी की भारी पोशाक।। सांसों को ऐतबार न था , अगला सवेरा देखने का।। शरीर बस धड़कन की गति से, कांप रहा था।। और भी लिपटे थे मा भूमि से, अपने दिल की व्यथा कह रहे थे। काल बैठा था वहीं बगल में, अट्टहास भर रहा था। वो भी इंतजार में था, कीसिके धड़कन के रुक जाने की, किसीकी सांसे थम जाने की। सब इंतजार में थे, संघर्ष जीने मरने की जारी थी, जनाब जंग जारी थी।। - आर्यावर्त वेद प्रकाश।। #NojotoQuote Jung jaari thi Akash Kumar kaushalendra kumar dubey Mohd Nadeem Chandrashekhar Rajbhar Achal Sharma
Jung jaari thi Akash Kumar kaushalendra kumar dubey Mohd Nadeem Chandrashekhar Rajbhar Achal Sharma
read morePratyush Saxena
रील और धागा मै किसी रील से लिपटे धागे के एक कोने की तरह , एक कोना तुम्हारे हाथों में थमा कर , खुल जाना चाहता हूँ । घुटन सी होती है देखो यूँ लिपटे हुए , बंधे हुए । तुम , हाँ तुम , अगर इस एक कोने को संभाल लो , तो कुछ देर खुल जाऊँगा मैं , जहाँ से उल्झा हूँ सुलझ जाऊँगा मैं । पर हाँ जो भरोसे से तुम्हारे हाथ में अपना कोना दिया है , इसे खो मत देना , वरना बिखर जाऊँगा मैं । जब खुलूँगा तो तुम देखना की ये रील पे लिपटा धागा जो इतना मजबूत लगता है , अंदर कहीं कहीं से कमजोर भी है , बस इतना कस के लिपटा है की दिखाई नहीं देता । देखो , तुम्हे दिखला रहा हूँ सब , बताना मत किसी को , वरना ये जो बाहर मशीन है न ज़माने की , वो कमज़ोर धागों का उपयोग नहीं करती है , उसे एक कोने में डालकर भूल जाती है । #NojotoQuote Reel aur Dhaaga #PS #Nojoto #NojotoHindi #Reel #Dhaaga #Bikharna #Sambhalna
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