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Jivan Rajpur
hi jindagi mein jina bhi kya jina Pyar Kiya hai To Darna kya ©Jivan Rajpur #Sheher
प्रतिमा कुमार यादव
वो गांव जो मुझे अनजाना लगता है और ये शहर जो मुझे अपना मेहमान कहता है ना जाने कहां की हूं मैं और कहां वापसी है मेरी???? ©प्रतिमा कुमार यादव #Sheher
abhishek sharma
जब खुशियों की बारिश हो जाएगी! तब ज़िंदगी की हर कमी दूर हो जाएगी! मेहनत करने पर आज नही तो कल कभी एक ना एक दिन जरूर किस्मत संवर जाएगी! कोई रास्ता आसान नही बिना चले पार नही है आहिस्ता से चलने पर सब कठिनाइयाँ पार हो जाएगी! सब कुछ मिल जाएगा जब इमानदारी से किसी काम को तन मन से करने मे उसमें अगर लगन लग जाएगी! ©abhishek sharma #Sheher
Vikash Kamboj
कोई ना कोई, कहीं ना कहीं, वज़ह होता है, किसी ना किसी के लिए। वर्ना धरती पर ये आशियानों का जंगल नही होता। ©Vikash Kamboj #Sheher
Andrews
Good Morning இனிய காலை வணக்கங்கள் ©Andrews #Sheher #news #wish #Music
khush
Khwahishon ke Samandar me apna bhi dabdaba hai... Sabhi na sahi, kisi ko to Puri hona hai... Jo kehte hai kya kar liya hai tumne .. Muje unse bhi kuch puchnaa hai... Tum bhi to jee rahe ho kuch Puri kuch adhoori khwahishon k saath.... To meri hi khwahishon se kyun masla hai... ©khush #Sheher #khwahishein #khwabonkiduniya #khwab
#Sheher #khwahishein #khwabonkiduniya #khwab
read morekamlesh pratap singh
जग से मोह हटाना है, तुझ संग नेह लगाना है, रहना पग- पग साथ मेरे, ए..................ईश्वर, बिना डरे,बिना रुके, निज घर मुझको आना है। ©kamlesh pratap singh #Sheher
SUNIL KUMAR VERMA
हवाएं भी पूछती हैं अब पता जंगलों का. दम जो घुटने लगा शहरों में हवाओं का. ©SUNIL KUMAR VERMA #Sheher
Jaya ki kalam (R)
सारा शहर खिल उठा है आज... गाँव की मिट्टी से मकान बना कर.! ©Jayashree Mishra (R) #Sheher
Anil Ray
नगर के नागर आना कभी गाँव में और देखना जलती हुई मोमबत्ती की झिलमिलाती धुंधली सी रोशनी में, जिसे तुम गंवार समझते हो वों सब एक समूह में सपरिवार पड़ौसी संग चटाई पर बैठकर खाना और गम को जैसे साथ-साथ खुशी से खा रहे हो... तुम मनाते मौत का शोक दो दिन यहाँ महीनों दर्द को बांटा जाता है शायद जिंदो का बचानें का प्रयास अदम्य साहस एवं अटूट प्रेम संगम हम परिचित है घर-घर की दीवारों से बच्चा भी राहगीर को पथ दिखलाता तुम पड़ोसी को भूलें जा रहे हो.... सहर्ष अभिवादन अजनबी का भी आंगन में तुलसी की शोभा और.. बाहर पेड़ों को भी पूजा जाता है, तुम रोशनी में भी नही पहचानते यहाँ अंधेरे में हाथ थामा जाता है साहब तुम्हारी नज़रों में है असभ्य पर तुम संस्कार खोते जा रहे हो... ©Anil Ray 💞💕परेशां दिल को दिलदार नही💕💞 सुनो! शहर तेरी चमक, मुबारक तुमको हम इस भौतिकता के तलबगार नहीं। स्वार्थ साधती है तेरी इंसानियत शहर परस्पर किस प्रकार का कोई प्यार नहीं।
💞💕परेशां दिल को दिलदार नही💕💞 सुनो! शहर तेरी चमक, मुबारक तुमको हम इस भौतिकता के तलबगार नहीं। स्वार्थ साधती है तेरी इंसानियत शहर परस्पर किस प्रकार का कोई प्यार नहीं।
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