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Rashmi Hule
धुंद रात्री चंद्र नभात होता चांदण्यांच्या सवे दंग होता प्रभा भोवताली शुभ्र तारकांची चंद्र मोहरला साथ रोहिणीच्या अभेची. Rashmi लाल गुलाबी गोरी मोरी ती झाली गालावरी पसरली लज्जालाली मिठीत चंद्राच्या काळरात्र उजळून आली प्रहर पहाटेचे ऊलटले मखमाली... Rashmi #चंद्र#रोहिणी#रात्र #yqtaai #yqbaba #yqdidi#yqtales #bestmarathiquote
Rohini Pande
•••घटस्थापना••• नवरात्रीचा सोहळा, घरोघरी रंगलेला घट स्थापना करुनी,उत्साहात सजलेला |धृ| तत्व रुजण्याचे आम्हा, काळी माती शिकविते रास धान्याची रचता, मृद घट मी स्थापिते घट पाण्याचा त्यावर,तृण धान्य अंकुरते देवी घरात येताना, तिचा जागर मांडला घट स्थापना करुनी, उत्साहात सजलेला ||१|| माळ सोन चाफ्याची ही ,आज देवीला घातली कलशाच्या पूजनाने,पूजा सुरू ही जाहली शैलपुत्री रूप आज,नवरात्रीत सजली यथासांग पूजा विधी, घाट उत्सवी घातला घट स्थापना करुनी,उत्साहात सजलेला||२|| सामूहिक उत्सवात ,तिथे मूर्तीच्या समोर घट मांडण्याची प्रथा ,चालू असे पूर्वापार फुलमाला मळवट , केला देवीला शृंगार उपवास देवीसाठी साऱ्या भक्तांनी ठेविला घट स्थापना करुनी,उत्साहात सजलेला||३|| रोहिणी पांडे ©Rohini Pande #रोहिणी पांडे
#रोहिणी पांडे
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#Pehlealfaaz तो चंद्र पौर्णिमेचा आला भरात आता, तो लाजला जरासा चांदणं गीत गाता रोहिणी..🌹 #रोहिणी पांडे#
#रोहिणी पांडे# #Pehlealfaaz
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#Pehlealfaaz कुछ मधम मधम सी, तेरी यादे इस चांदनी मे घुलिसी है, लगता है तेरे बदन से ही इन्हे भी खु़शबू मिलिसी है..! ...... रोहिणी #रोहिणी पांडे#
#रोहिणी पांडे# #Pehlealfaaz
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।।श्री हरिः।। 43 - किसकी वर्षगांठ? कन्हाई आज इतना क्यों व्यस्त है, यह बात गोप कुमारों की समझ में नहीं आयी। आज गोचारण से लौटने के पर्याप्त पूर्व से यह गुञ्जा, पिच्छ और पता नहीं क्या-क्या एकत्र करने लगा था। सायंकाल तो गोपकुमार शृंगार करते नहीं। शृंगार तो वन में आते ही हो जाता है। अब घर लौटने पर तो सब शृंगार उतारकर मैया स्नान करवेगी। तब इस सब संग्रह का प्रयोजन? 'तू यह सब इस समय क्यों एकत्र कर रहा है? इसका क्या करेगा?' श्रीदाम ने पूछ लिया। 'करूंगा - मुझे चाहिये!' कन्हाई सीधे उत्तर नहीं देता तो को
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|| श्री हरि: || 6 - न्यायशास्त्री 'अरे, तूने फिर ये कपि एकत्र कर लिये?' माँ रोहिणी जानती हैं कि इस नीलमणिके संकेत करते ही कपि ऊपर से प्रांगण में उतर आते हैं। उन्हें डर लगता है, कपि चपल होतें हैं और यह कृष्णचन्द्र बहुत सुकुमार है। यह भी कम चपल नहीं है। चाहे जब कपियों के बच्चों को उठाने लगता है। उस दिन मोटे भारी कपि के कन्धे पर ही चढ़ने लगा था। कपि चाहे जितना इसे माने, अन्नत: पशु ही हैं। वे इसे गिरा दे सकते हैं। माता बार-बार मना करती है कि - 'कपियों को प्रांगण में मत बुलाया कर! मैं इनके लिए भवन #Books
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|| श्री हरि: || 5 - भोला 'कनूँ ! खूब मधुर, बहुत स्वादिष्ट पायस है।' भद्र अपने सम्मुख केशर पड़ा सुरभित पायस से परिपूर्ण पात्र लिये बैठा है। 'तू खायेगा?' 'खाऊँगा!' कोई स्नेह से बुलावे तो व्रजराजकुमार भोग लगाने न आ बैठे ऐसा नहीं हो सकता। अब श्यामसुन्दर भद्रके समीप आकर बैठ गया है। श्याम और भद्र दोनों बालक हैं। दोनों लगभग समान वय के हैं। इन्दीवर सुन्दर कन्हाई और गोधुम गौर भद्रसैन। दोनों की कटि में पीली कछनी है, किन्तु कृष्ण के कन्धे पर पीताम्बर पटुका है, भद्र का पटुका नीला है। दोनों के पैरों में #Books
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|| श्री हरि: || 72 - मिलन आज दाऊ का जन्मनक्षत्र है। यह जन्मनक्षत्र कोई अच्छी बात नहीं। न दो - चार बरस पर आता, ने दो-चार महीने पर, प्रत्येक महीने पहुंचा ही रहता है और जन्मनक्षत्र आया तो मैया वन में जाने नहीं देगी। कन्हाई दिनभर पृथक रहेगा। पूजा-पाठ, स्वस्तिवाचन, हवन-दान-दक्षिणा आदि में श्याम बहुत उत्साह दिखाता है किंतु दाऊ को कोई विशेष रूचि नहीं इनमें। मैया का भय, बाबा का संकोच, मां का आग्रह नहीं तो यह सबको अंगूठा दिखाकर अपने छोटे भाई के साथ वन में भाग जाय। कृष्णचंद्र भी चाहता है कि उसका दादा अप #Books
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