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Ghumnam Gautam
संजीव चाहर
जिन लोगों की नियत-नियति, कथनी और करनी में फर्क होता है! उन लोगों की मंडली में यह *संजू-पागल-पाखंडी* कभी भी नहीं होता है। सिर्फ चित्रों पर माल्यार्पण करने और बड़े-बड़े भाषण देने से तो सिर्फ तुम्हारा मतलब ही सिद्ध होता है।। ©संजू #चित्र #माल्यार्पण #भाषण #मतलब #सिद्ध #ZeroDiscrimination Dr. Sonia shastri Nishi bansal komal sindhe. Namrata Tripathi Anwesha Rath
#चित्र #माल्यार्पण #भाषण #मतलब #सिद्ध #ZeroDiscrimination Dr. Sonia shastri Nishi bansal komal sindhe. Namrata Tripathi Anwesha Rath #Thoughts
read moreसंजीव चाहर
सत्य को खोजने वाले *संजू* इतना सिद्ध और प्रसिद्ध नहीं हो पाए, जितना उनके नाम पर बखान करने वाले हो जाते हैं...?🤔🙄🙄😀😂🙏🏻 ©संजू ध्यानी #सत्य #खोज #सिद्ध #meditation Pallavi Srivastava Namrata Tripathi Priyanka Yadav Akash Tiwari roli yadav
#सत्य #खोज #सिद्ध #meditation Pallavi Srivastava Namrata Tripathi Priyanka Yadav Akash Tiwari roli yadav
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सत्य को खोजने वाले *संजू* इतना सिद्ध और प्रसिद्ध नहीं हो पाए, जितना उनके नाम पर बखान करने वाले हो जाते हैं...?🤔🙄🙄😀😂🙏🏻 ©संजू ध्यानी #सत्य #खोज #सिद्ध #meditation Pallavi Srivastava Namrata Tripathi Priyanka Yadav Akash Tiwari roli yadav
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read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 1 - धर्मो धारयति प्रजाः आज की बात नहीं है। बात है उस समय की, जब पृथ्वी की केन्द्रच्युति हुई, अर्थात् आज से कई लाख वर्ष पूर्व की। केन्द्रच्युति से पूर्व उत्तर तथा दक्षिण के दोनों प्रदेशों में मनुष्य सुखपूर्वक रहते थे। आज के समान वहाँ हिम का साम्राज्य नहीं था, यह बात अब भौतिक विज्ञान के भू-तत्त्वज्ञ तथा प्राणिशास्त्र के ज्ञाताओं ने स्वीकार कर ली है। पृथ्वी के दक्षिणी ध्रुवप्रदेश में बहुत बड़ा महाद्वीप था अन्तःकारिक। महाद्वीप तो वह आज भी है।
read moreनीर
ना दर्द का डर, ना भोगने का डर, पित्र पक्ष के इस सफर में , नहीं रहा बदनाम होने का डर ।। मोक्ष की तलाश हुई खत्म, मोह से नाता तोड़ दिया, अब हर परिणाम से ,स्वम को अलग कर दिया।। हम हैं बूरे, हम हैं बूरे ,क्योंकि किसी कि चाही औलाद हम नहीं, फिर क्यों रखते हो आस अब, क्या बदनाम कर ने की वजह ये तो नहीं।। ना हम शुभ हैं,ना पाक हैं ,ना सफल और ना पश्यताप हैं पित्र दोष का अपराध ,अब मैंने अपने सर ले लिया, मैं कौन होती हूँ मैं कौन हूँ ,ये तो नहीं पता।। पर गर होती चाही औलाद तो ,अपनी माँ की चलती साँसो की मैं साक्षी होती।।। क्या सिद्ध करू क्या सिद्ध करू ,उन तिथियों को जो पिता की मौत से सन चूकी हैं। ,या शुक्र बनाऊँ उन सांसो को जो मेरे अभाव में चल रही हैं।। पीत्र दोष का हर पाप मैंने अब अपने सर ले लिया।।
shuny manthan
सत्य को सिद्ध नहीं किया जा सकता। वो स्वयं में सिद्ध है। #intelligence