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Ashutosh Mishra
White आज तुम लिखो मैं पढूं,,,,आज तुम कहो मैं सुनु आज मैं तुम्हारे दिल की करूंगी,,,, क्योंकि मेरा दिल,,हां मेरा दिल खो गया इन पर्वतों पठारों और मैदानो में 🤗🤗🤗🤗🤗 अलफाज मेरे✍️🙏🙏 ©Ashutosh Mishra #mountain आज तुम लिखो,,,मैं पढ़ूंगी। #पर्वतीय #हिंदीपंक्तियाँ sana naaz AbhiJaunpur kashi... SEJAL Mili Saha
#mountain आज तुम लिखो,,,मैं पढ़ूंगी। #पर्वतीय #हिंदीपंक्तियाँ sana naaz AbhiJaunpur kashi... SEJAL Mili Saha
read moreEk villain
भारत सरकार ने भारत माला और सागर माला के बाद आप पर्वत माला प्रोजेक्ट के जरिए भारत के पर्वतीय क्षेत्रों की सुरक्षा और विकास को नई ऊर्जा देने का निर्णय किया है राष्ट्रीय राजमार्ग समय एक सड़कों के निर्माण बंद करा और तटीय क्षेत्र की सुरक्षा को गति देने के बाद आप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश के पर्वतीय क्षेत्रों खासकर सीमांत गांव के समावेशी विकास के लिए पर्वत माला प्रोजेक्ट के जरिए एक मजबूत ब्लूप्रिंट तैयार किया गया है जो कि भारत के पूर्वी राज्य और सीमांत गांव राष्ट्रीय सुरक्षा में सबसे अहम भूमिका निभाते हैं इसलिए इन क्षेत्रों में देश की सुरक्षा और विकास से जुड़ी रणनीति एवं विजन का साफ होना जरूरी है कोविड-19 के दौरान चीन में जिस लालच भरी नजरों से लग गया के कई क्षेत्रों कलवार घाटी दौलत बेग ओल्डी सेक्टर उत्तराखंड चमोली और उत्तरकाशी उसके बाद भारत सरकार द्वारा उच्च स्तरीय सुरक्षा का विकास किया गया उसमें छात्रों की सुरक्षा के लिए कान की तस्वीर सामने आई है तो कोविड-19 सुरक्षा की रणनीति को अब मोदी सरकार ने पर्वतीय प्रोजेक्ट के जरिए सरकार किया है जिसे अभी पर्वती राज्य के सहयोग से पूरा किया जा सकता है भारत की पर्वती क्षेत्र की सुरक्षा रणनीति में आज समिति चीन के सैन्य विशेषज्ञों व्यक्तियों के जरिए जाना जा सकता है वर्ष 2020 में जब कोविड-19 की शुरुआत हो चुकी थी ऐसे समय में चीन की सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के लिए सैन्य साजो सामान बनाने से जुड़ी एक मिलिट्री एक्सपर्ट ने कहा था कि ऊंचाई वाले पर्वतीय क्षेत्रों के लिए भारत के पास विश्व के सबसे ज्यादा अनुभव एक से अधिक है और पर्वतीय इलाके में तैनात किए हर भारतीय सैनिक के पास पर्वतारोहण का अनिवार्य स्किल है ©Ek villain #पर्वतीय क्षेत्रों की सुरक्षा और विकास को धार #proposeday
#पर्वतीय क्षेत्रों की सुरक्षा और विकास को धार #proposeday #Society
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 4 - महान कौन तीनों अधीश्वरों में महान कौन है? यह प्रश्न उठ खड़ा हुआ था ऋषियों के समाज में। सतयूग का निसर्ग-पावन काल और सब-के-सब वीतराग, तपोधन, ज्ञानमूर्ति; किन्तु कोई भी प्रश्न कहीं उठने के लिए क्या पूर्व भूमिका आवश्यक हुई है? जीवन को सृष्टि को उत्पन्न करने वाले भगवान् ब्रह्मा। सृष्टि को जीवन की सुरक्षा के संस्थापक भगवान नारायण। अपनी तृतीय नेत्र की वह्नि-शिखा में त्रिलोकी को क्षणार्ध में भस्म कर देने वाले प्रलयंकर शिव। सृष्टि के ये तीन अध
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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11 ।।श्री हरिः।। 5 - भक्ति-मूल-विश्वास 'पानी!' कुल दस गज दूर था पानी उनके यहाँ से; किंतु दुरी तो शरीर की शक्ति, पहुँचने के साधनपर निर्भर है। दस कोस भी दस पद जैसे होते हैं स्वस्थ सबल व्यक्ति को और आज के सुगम वायुयान के लिये तो दस योजन भी दस पद ही हैं; किंतु रुग्ण, असमर्थ के लिए दस पद भी दस योजन बन जाते हैं - 'यह तो सबका प्रतिदिन का अनुभव है। 'पानी!' तीव्र ज्वराक्रान्त वह तपस्वी - क्या हुआ जो उससे दस गज दूर ही पर्वतीय जल-स्त्रोत है। वह तो आज अपने आसन से उठन
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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 9 || श्री हरि: || 11 - जिज्ञासु 'प्रकृति भी भूल करती है।' अपने आप डाक्टर हडसन कह रहे थे। उन्होंने साबुन से हाथ धोये और आपरेशन-ड्रेस बदलने लगे। 'जड़ नहीं जड़ तो कभी भूल नहीं करता। उसमें भूल करने की योग्यता ही कहां होती है। मशीन तो निश्चित ही कार्य करेगी।' आज जिस शव का डाक्टर ने आपरेशन किया था, उसने एक नयी समस्या खड़ी कर दी। बात यह थी कि जिस किसी का भी वह शव हो इतना तो निश्चित ही था कि उसने अपनी लगभग साठ वर्ष की आयु पूर्ण की है और उसका शरीर सिद्ध करता है कि
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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 14 - कोप या कृपा 'मातः!' बड़ा करुण स्वर था हिमभैरव का। यह उज्जवल वर्ण, स्वभाव से स्थिर-प्रशान्त, यदा-कदा ही क्रुद्ध होने वाला रुद्रगण बहुत कम बोलता है। बहुत कम अन्य गणों के सम्पर्क में आता है। उग्रता की अपेक्षा सौम्यता ही इसमें अधिक है। साम्बशिव की एकान्त सेवा और स्थिर आसन किंतु जब इसे क्रोध आता है - अन्ततः भैरव ही है, पूरा प्रलय उपस्थित कर देगा। किंतु आज यह बहुत ही व्यथित जान पड़ता है। 'तुम इतने कातर क्यों हो वत्स?' जगदम्बा शैलसुता ने अनुक
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|| श्री हरि: || 11 - जिज्ञासु 'प्रकृति भी भूल करती है।' अपने आप डाक्टर हडसन कह रहे थे। उन्होंने साबुन से हाथ धोये और आपरेशन-ड्रेस बदलने लगे। 'जड़ नहीं जड़ तो कभी भूल नहीं करता। उसमें भूल करने की योग्यता ही कहां होती है। मशीन तो निश्चित ही कार्य करेगी।' आज जिस शव का डाक्टर ने आपरेशन किया था, उसने एक नयी समस्या खड़ी कर दी। बात यह थी कि जिस किसी का भी वह शव हो इतना तो निश्चित ही था कि उसने अपनी लगभग साठ वर्ष की आयु पूर्ण की है और उसका शरीर सिद्ध करता है कि वह एक स्वस्थ-सबल पुरुष रहा है। डाक्टर को #Books
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|| श्री हरि: || 9 - श्रद्धा की जय आज की बात नहीं है; किंतु है इसी युगकी क्या हो गया कि इस बात को कुछ शताब्दियाँ बीत गयी। कुलान्तक्षेत्र (कुलू प्रदेश) वही है, व्यास ओर पार्वती की कल-कल-निदनादिनी धाराएँ वही हैं और मणिकर्ण का अर्धनारीश्वर क्षेत्र तो कहीं आता-जाता नहीं है। कुलू के नरेश का शरीर युवावस्था में ही गलित कुष्ठ से विकृत हो गया था। पर्वतीय एवं दूरस्थ प्रदेशों के चिकित्सक व्याधि से पराजित होकर विफल-मनोरथ लौट चुके थे। क्वाथा-स्नान , चूर्ण-भस्म, रस-रसायन कुछ भी तो कर सका होता। नरेश न उच्छृं #Books
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