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Gayatri Mathur
अँधेरों में जो दिखे बेइन्तेहा रोशनी कहीं, समझ लेना इश्क़ की वादियाँ हैं वहीं, चुपचाप उस और चले आना तुम, इश्क की वादियों में, चले आना तुम रूह मेरी जब जिस्म से जुदा हो जायेगी, मेरी परछाई भी नही कहीं नज़र आयेगी, आवाज़ देना मुझे, मैं तुम्हें मिलने आ जाऊँगी। #खवाहिश #बेशुमार #वादी #yourquote #yourquotedidi #collabwithme
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read morerajan gawali
उन्होंने अपने अपने घरों को मजहब के हिसाब से रंग लगाया मैं तो आम इंसान था इनमें मैन अपने ही घर को चुना लगाया ... बुद्धराज अर्जुनराव गवळी ©rajan gawali #वादी #Home
praveen kumar
दिलों के तार में कश्मीर की वादी हूँ , रक्खा गया है कैद में मुझको जबसे मिली आजादी,में कश्मीर की वादी हूँ -2 में तो शायर की नजरों में ,हुस्न गजल जैसी थी -2 और जमी के दमन में,जन्नत का बदल जैसी थी मेरी फजाओं में रहने की,सब करते थे दुआएं पर अब मुझको देख के,कहती है गमगीन हवाएं वैवा जैसी लगने लगी है ,फूलों की शहजादी मेरे चाहने वालों ने , दहशत की डगर अपना ली भाई ने भाई की गर्दन ,तन से जुड़ा कर डाली में किसको अपनायु ,किससे अपना रिश्ता तोडूं में तो माँ हूँ, बिगड़े बेटों को भी ,कैसे छोडूं हर बेटे की लाश के नीचे ,अपनी गोद बिछा दी में कश्मीर की वादी हूँ, में कश्मीर की वादी रक्खा गया है कैद में मुझको, जबसे मिली आजादी में कश्मीर की वादी हूँ ,में कश्मीर की वादी हजरतबल और वैष्णो देवी ,मेरी जान मेरा तन पंडित औऱ मुल्ला दोनों है ,मेरे दिल की धड़कन राह वरों ए राह नुमाओं ,राज ये गहरा खोलो-2 मेरे आँशु पूछ रहे हैं ,तुम दोनों से बोलो प्यार भरे मेरे गुल्शन में, किसने आग लगा दी में कश्मीर की वादी हूँ -2 पानी मे रंगीन शिकारें, फिरसे यहाँ चलने दो जिनसे मिटे नफरत के अंधेरे ,ऐसे दिए जलने दो अपनी खुशबू से में सारे आलम को महकायूँ फिर हों मेरे हुस्न के चर्चे, फिर जन्नत बन जायूँ मेरे चाहने वालों गमों से,दे दो मुझे आजादी में कश्मीर की वादी हूँ, में कश्मीर की वादी #DilKeTaar
Tarun Dogra
इन वादियों सा है प्यार तेरा मेरा, तू मौसम की पहली बर्फ मैं तड़पता पहाड़। #वादी #पहाड़ #प्यार
Ashish Kumar Verma
जन्नत के बरसों की मन्नत आज हो गयी है पूरी अब हिमालय की वादी कुछ साँस अधिक लेगी रावी के जल में भी एक आदिम-सी हलचल है ये जो नक्शे हैं कागज के,उनकी सूरत बदलेगी। आखिर ये धारा कैसी धारा है जिसने अपना ही घर बिगाड़ा है कोई संधि, कोई कानून नहीं जो हमारा था, वो हमारा है तर्कों से नहीं,ओज के सूर्य से बर्फ की परतें पिघलेगीं अब हिमालय की वादी कुछ साँस अधिक लेगी । इस पार नहीं, उस पार नहीं अब सीमाएँ स्वीकार नहीं अपना हक खुद से प्राप्त करो यह देगा तुम्हें संसार नहीं यूँ सिसक-सिसक कर बोलो कितनी सदियाँ गुजरेगीं अब हिमालय की वादी कुछ साँस अधिक लेगी । अब अगर-मगर की बात नहीं अपने हित पर ही आघात नहीं जो कभी था हमारे हाथों में क्यूँ रख दूँ फिर उस पर हाथ नहीं माँ भारती की प्रतिमा अखंड फिर से सजेगी,सँवरेगी अब हिमालय की वादी कुछ साँस अधिक लेगी । कविता
कविता
read moreसञ्जय किरार
शोर बहुत है वादी में, आवागमन का मशगूल सभी है अपने क्रियाकलापों में मगर कुछ आवाजें छनकर आती रहती है बाजारों से या रिस कर । कुछ टूट चुकी है कुछ बिखर गई है शेष के होंसले खड़े पहाड़ों से इन्ही आवाजों को उठा नज्म में पिरो रहा हूँ कुछ को लगता है व्यथा-कहानी खुद की सबको को सुना रहा हूँ ये आवाजें जब बलवती होंगी देखना एक दिन गूँज उठेगी वादी में एक आवाज जो टूटकर विखर रही है अपने अधिकारों से निपटेगी सुन लेना तुम इन्ही आवाजों को जो बाज़ार से उठाकर लाया हूँ मैं ।
RK SHUKLA
ख़त जीवन में आश्रय वादी बनो अवसर वादी नहीं किसी को आश्रय देने से आपका व्यक्तित्व ऊंचा होगा किसी से अवसर पर प्रेम रखना आपके व्यक्तित्व को नीचे गिराएगा prk सहायता
सहायता #विचार
read moreAmar chhetri
खूबसूरत वादी को देख कर मुस्कुराया ना कर गुलाब को उठो से लगाया ना कर दुनिया से हमारा प्यार छुपाया ना कर वादी को देख मुस्कुराए ना कर #वादियों को देख #मुस्कुरा ना #कर💯
vidhi
याद आए हैं अहद-ए-जुनूं के खोए हुए दिलदार बहुत उन से दूर बसाई बस्ती जिन से हमे था प्यार बहुत इक इक कर के खिली थीं कलियां एक इक कर के फूल गए इक इक कर के हम से बिछडे़ बाग -ए -जहां मे यार बहुत हुस्न के जल्वे आम हैं लेकिन जौक -ए-नजारा आम नही इश्क बहुत मुश्किल है लेकिन इश्क के दावेदार बहुत जख्म कहो या खिलती कलियां हाथ मगर गुलदस्ता है बाग -ए-वफा से हमने चुने हैं फुल बहुत और खार बहुत जो भी मिला है ले आए है दाग -ए-दिल या दाग -ए-जिगर वादी वादी मंजिल मंजिल भटके है "सरदार" बहुत,, याद आए है अहद -ए-जुंनू के खोए हुए दिलदार बहुत,,
याद आए है अहद -ए-जुंनू के खोए हुए दिलदार बहुत,,
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