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pavan mishra
!! ना रहा करो ~उदास किसी वेबफा की याद में.., वो खुश है अपनी ~दुनिया में तुम्हारी दुनिया #उजाड़ के !! ©pavan mishra #PrideMonth
Divya Kisku
वो बिना दस्तक दिए मेरे दिल में आगाए, और जाना हुआ तो मेरी ज़िन्दगी उजाड़ दी! - Divya Kisku #DryTree #Zindagi #उजाड़
Anil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 13 - हृदय परिवर्तन 'मैडम! यह मेरा उपहार है - एक हिंसक डाकू का उपहार!' मैडम ने आगन्तुक के हाथ से पत्र लेकर पढा। 'मैं कृतज्ञ होऊंगा, यदि इसे आप स्वीकार कर लेंगी।' चर दोनों हाथों में एक अत्यन्त कोमल, भारी बहुमूल्य कम्बल लिये, हाथ आगे फैलाये, मस्तक झुकाये खड़ा था। 'मैं इसे स्वीकार करूंगी।' एक क्षण रुककर मैडम ने स्वतः कहा। उनका प्राइवेट सेक्रेटरी पास ही खड़ा था और मैडम ने उसकी ओर पत्र बढ़ा दिया था। 'तुम अपने स्वामी से कहना, मैंने उनका उपहार स्
read moreAshab Khan
#OpenPoetry औरत - मर्द जिस वक्त औरत जिस मर्द के नाम के साथ निकाह नामे पर दस्तखत करती है फिर उस मर्द कि मुहब्बत सिर्फ उस औरत के लिये है औरत की मुहब्बत उस मर्द के लिये । अगर दोनों के बीच मुहब्बत नहीं हो तो बिना झिझक तिलाक ले लो उस औरत को मारना पिटना उसे बेइज्जत करना मेरी नजर मे यह मरदानगी नहीं है। एक औरत के होते हुये दोसरी औरत कि तरफ हावी होना कहा कि मरदानगी है । नाजायज रिश्ते कायम करना कहा कि मरदांनगी है । मुझे उस औरत से भी नफरत है जो एक शादीशुदा मर्द को अपनी तरफ हावी होने देती है मुझे इस औरत से जादा वो तवायफ अच्छी लगती है जो मर्द कि हवस को अपने अंदर छुपा लेती है किसी का घर नहीं उजाड़ती है । मुझे उस औरत से नफरत है जो एक औरत हो के एक औरत का घर उजाड़ देती है मुझे उस मर्द से भी नफरत है जो एक औरत के होते हुये दुसरी औरत कि तरफ हावी होता हैं ।। किसी मर्द या किसी औरत को यह हक नहीं है कि वो किसी का घर उजाड़ दे ।। किसी एक को गलत ठहराना जायज नहीं है।। (Aurat Ro Sakti H Dalile Nahi Pesh Kar Sakti__Iski Sab Se Badi Dalil Iski Aankh Se Bahta Howa Aansu Hai.. (Manto) Ashab Khan
Mohammed Shahnawaz Saifi Abid
#OpenPoetry शक्ल ओ सूरत बिगाड़ के रख दी, दिल की बस्ती उजाड़ के रख दी। मैंने मुश्किल से जमाए थे क़दम, उसने हस्ती उखाड़ के रख दी। वो जिसके पांव के कांटे निकले हम ने थे। उसी ने दिल में एक फांस गाड़ के रख दी। चिट्ठी ले कर के एक गुलाम आया, बड़ी मुद्दत के बाद पैग़ाम आया, मेरे दिलबर का जो ही नाम आया, उसने वो चिट्ठी भी फाड़ के रख दी । शक्ल ओ सूरत बिगाड़ के रख दी, दिल की बस्ती उजाड़ के रख दी। मैंने मुश्किल से जमाए थे क़दम, उसने हस्ती उखाड़ के रख दी।
शक्ल ओ सूरत बिगाड़ के रख दी, दिल की बस्ती उजाड़ के रख दी। मैंने मुश्किल से जमाए थे क़दम, उसने हस्ती उखाड़ के रख दी। #Poetry #Shayari #lovepoetry #shairy #newshayeri #OpenPoetry
read moreSUSHANT KUMAR
बेटों की तमन्ना मे कितनी माँओ की कोख उजाड़ दी जाती हैं l अक्सर कोख मे ही बेटियाँ मार दी जाती हैं l कसूर क्या उनका जो आई ही नहीं दुनिया मे, क्यूँ जन्म लेने से पहले ही उन्हें मृत्यु दे दी जाती है l क्रूरता की सीमाएँ पार की जाती हैं, अक्सर कोख मे ही बेटियाँ मार दी जाती हैं l ✍️✍️ ✍️ ✍️ Read full in caption ✍️ ✍️✍️✍️ #बेटों की तमन्ना मे कितनी माँओ की कोख उजाड़ दी जाती हैं l अक्सर कोख मे ही बेटियाँ मार दी जाती हैं l कसूर क्या उनका जो आई ही नहीं दुनिया मे, क्यूँ जन्म लेने से पहले ही उन्हें मृत्यु दे दी जाती है l क्रूरता की सीमाएँ पार की जाती हैं, अक्सर कोख मे ही बेटियाँ मार दी जाती हैं l जमाना बदल गया है, अब तो अपनी सोच बदलो,
#बेटों की तमन्ना मे कितनी माँओ की कोख उजाड़ दी जाती हैं l अक्सर कोख मे ही बेटियाँ मार दी जाती हैं l कसूर क्या उनका जो आई ही नहीं दुनिया मे, क्यूँ जन्म लेने से पहले ही उन्हें मृत्यु दे दी जाती है l क्रूरता की सीमाएँ पार की जाती हैं, अक्सर कोख मे ही बेटियाँ मार दी जाती हैं l जमाना बदल गया है, अब तो अपनी सोच बदलो,
read moreपथिक
मुझमें बसने आए थे वो जो घर मेरा उजाड़ चले #उजाड़ #बसना #nojoto
anil kumar y625163
संसार में किसी का कुछ नहीं| ख्वाहमख्वाह अपना समझना मूर्खता है, क्योंकि अपना होता हुआ भी, कुछ भी अपना नहीं होता| इसलिए हैरानी होती है, घमण्ड क्यों? किसलिए? किसका? कुछ रुपये दान करने वाला यदि यह कहे कि उसने ऐसा किया है, तो उससे बड़ा मुर्ख और कोई नहीं और ऐसे भी हैं, जो हर महीने लाखों का दान करने हैं, लेकिन उसका जिक्र तक नहीं करते, न करने देते हैं| वास्तव में जरूरतमंद और पीड़ित की सहायता ही दान है, पुण्य है| ऐसे व्यक्ति पर सरस्वती की सदा कृपा होती है| पर क्या किया जाए, देवताओं तक को अभिमान हो जाता
read moreSakib Noor
सूनो पछताओगे तुम यह बस्ती उजाड़ कर इक गरीब नाखुदा की कश्ती उजाड़ कर जो परिंदे यहां अपने दम पे जीते हैं क्या मिलेगा तुम्हें उनकी हस्ती उजाड़ कर। साक़िब नूर #NojotoQuote #savebird
प्रियदर्शन कुमार
काव्य संख्या-193 ============== वो आए थे घर संवारने उजाड़ कर निकल गये। ============== वो आए थे घर संवारने उजार कर निकल गये। पहले से थे मायूस हम वो और मायूस कर गये, वो आए थे घर संवारने उजाड़ कर निकल गये। बड़ी उम्मीद थी उनसे हमे उम्मीदों को तोड़ निकल गये, वो आए थे घर संवारने उजाड़ कर निकल गये । एक आवाज़ थी मेरे पास वो भी छीनकर निकल गये, वो आए थे घर संवारने उजाड़ कर निकल गये । भूख गरीबी बेरोजगारी से त्रस्त देश वो देशभक्ति का सर्टिफिकेट बांट रहे वो आए थे घर संवारने उजाड़ कर निकल गये । खुद-कुशी कर रहे हैं किसान यहां वो पूंजीपतियों की तिजौरियां भर रहे, वो आए थे घर संवारने उजाड़ कर निकल गये । पड़ोसियों से अच्छे रिश्ते थे मेरे उनसे भी झगड़कर निकल गये, वो आए थे घर संवारने उजाड़ कर निकल गये । सौहार्दपूर्ण ढ़ंग से जी रहे समाज में साम्प्रदायिकता के बीज बो निकल गये वो आए थे घर संवारने उजाड़ कर निकल गये । प्रियदर्शन कुमार वो आए थे घर संवारने उजाड़ कर निकल गये।
वो आए थे घर संवारने उजाड़ कर निकल गये।
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