Find the Best Kawach Shayari, Status, Quotes from top creators only on Gokahani App. Also find trending photos & videos aboutdurga kawach song, kawach face mask, kawach protective face shield, kawachi study table, kawach mask review,
Deepak Kanoujia
एक पूरी सभ्यता से हो तुम मुझमें जिसे मैं यूँ ही किसी को देकर खंडहर न बन जाने दूंगा अनुशीर्षक...} कभी कभी मुझे लगता है कि मैं चाकू या कटार लूँ और तुम्हें अपने से काट कर अलग फेंक दूं ...जैसे कर्ण ने अलग कर दिया था अपना कवच...मेरे अंदर बाहर तुम कवच की तरह ही तो हो...तुम्हें हटा दूँ अपने से, निकाल दूँ खुद से...इसलिए नहीं कि तुम मेरे लिए कोई समस्या हो...तुम तो समाधान हो... तुम ना हो तो जीना दुर्गम हो जाये जैसे राम लक्ष्मण सीता का जंगलों में भटकते हुए दुर्गम रास्तों को जीना... दरअसल मुझसे कोई पूछता है कि मैं कौन हूं तो मैं अपना वज़ूद बता ही नहीं पाता...क्योंकि मैं ले नहीं पाता तुम्हारा नाम सबसे...और तुम्हारे बिना क्या बताऊँ खुद को...दीपक में तेल की तरह ईंधन हो तुम...बिना तुुम्हारे मिट्टी ही तो हूँ मैं...तेल डलने से पहले मैं मिट्टी और जब तुम जलकर मुझे रोशन कर खत्म हो जाते हो उसके बाद मैं बुझकर फिर मिट्टी...तुम्हारी खुुशबू फिर भी रहती है मुझमें और हमेशा रहेगी... कर्ण तो दानवीर थे...दे दिया था अपना कवच इंद्र को सब जानते हुए भी, वचन के अडिग थे न...पर मैं न दे पाऊंगा तुम्हें किसी को...मेरा तो वचन ही तुम हो, तुम्हारे शब्द हैं मेरी अथाह पूँजी...तुम्हें ही दे दूंगा तो क्या रह जायेगा मेरे पास...एक पूरी सभ्यता से हो तुम मुझमें जिसे मैं यूँ ही किसी को देकर खंडहर न बन जाने दूंगा...मेरी पहचान का क्या है, अनजान ही थी अनजान ही रहने देते हैं... - दीपक कनौजिया
कभी कभी मुझे लगता है कि मैं चाकू या कटार लूँ और तुम्हें अपने से काट कर अलग फेंक दूं ...जैसे कर्ण ने अलग कर दिया था अपना कवच...मेरे अंदर बाहर तुम कवच की तरह ही तो हो...तुम्हें हटा दूँ अपने से, निकाल दूँ खुद से...इसलिए नहीं कि तुम मेरे लिए कोई समस्या हो...तुम तो समाधान हो... तुम ना हो तो जीना दुर्गम हो जाये जैसे राम लक्ष्मण सीता का जंगलों में भटकते हुए दुर्गम रास्तों को जीना... दरअसल मुझसे कोई पूछता है कि मैं कौन हूं तो मैं अपना वज़ूद बता ही नहीं पाता...क्योंकि मैं ले नहीं पाता तुम्हारा नाम सबसे...और तुम्हारे बिना क्या बताऊँ खुद को...दीपक में तेल की तरह ईंधन हो तुम...बिना तुुम्हारे मिट्टी ही तो हूँ मैं...तेल डलने से पहले मैं मिट्टी और जब तुम जलकर मुझे रोशन कर खत्म हो जाते हो उसके बाद मैं बुझकर फिर मिट्टी...तुम्हारी खुुशबू फिर भी रहती है मुझमें और हमेशा रहेगी... कर्ण तो दानवीर थे...दे दिया था अपना कवच इंद्र को सब जानते हुए भी, वचन के अडिग थे न...पर मैं न दे पाऊंगा तुम्हें किसी को...मेरा तो वचन ही तुम हो, तुम्हारे शब्द हैं मेरी अथाह पूँजी...तुम्हें ही दे दूंगा तो क्या रह जायेगा मेरे पास...एक पूरी सभ्यता से हो तुम मुझमें जिसे मैं यूँ ही किसी को देकर खंडहर न बन जाने दूंगा...मेरी पहचान का क्या है, अनजान ही थी अनजान ही रहने देते हैं... - दीपक कनौजिया
read more
About Nojoto | Team Nojoto | Contact Us
Creator Monetization | Creator Academy | Get Famous & Awards | Leaderboard
Terms & Conditions | Privacy Policy | Purchase & Payment Policy Guidelines | DMCA Policy | Directory | Bug Bounty Program
© NJT Network Private Limited