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Mukesh Poonia

#love_qoutes अपने #ख्यालों के #परिंदों को #सीमित मत रखो #आसमान में #उड़ान भरने की कोई #सीमा नहीं होती अच्छे विचार फोटो अच्छे विचार शायरी नये अच्छे विचार आज का विचार सुप्रभात

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Ramesh Kumar

#rainy_season मोटिवेशनल कोट्स मोटिवेशनल कोट्स हिंदी शायरी मोटिवेशनल #समय #ज़िन्दगी #किसी #व्यर्थ #सीमित

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White 
आपका #समय ⏰ #सीमित ⌛है,
इसीलिए 🤨 इसे #किसी 🦹‍♂️️ और की 
#ज़िन्दगी 🙇जी कर #व्यर्थ 🧐मत करो।

©Ramesh Kumar #rainy_season  मोटिवेशनल कोट्स मोटिवेशनल कोट्स हिंदी शायरी मोटिवेशनल

वंदना ....

#यूट्यूब वीडियो ... #परिस्थिति कितनी भी विषम हो करने वाले कर ही लेती है 🙏 कुछ भी कार्य करने के लिए कुछ भी #सीमित नहीं होता

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Dr Manju Juneja

मैंने रात पूछा था अपने दिल से 
क्या शब्द दिल की हर बात बयाँ कर सकते हैं 
तो जबाब था ना में 
शब्दो की भी एक सीमित परिभाषा होती है 
सिर्फ उतना ही उतार सकते हैं उन्हें पन्नो पर 
जितनी शब्दो की जरूरत होती है 
कुछ छुपा कर रख लेते हैं शब्द सीने में 
तो कुछ लिखते समय विलुप्त हो जाते है 
कभी लिखना कुछ चाहते हैं 
और लिख कुछ जाते है

©Dr Manju Juneja #दिलसे #शब्द #हरबात #बयाँ#सीमित #परिभाषा #विलुप्त #कविता #जरूरत 

#wordsbyheart

आपकी राह की पहली सीढ़ी

#सीमित शब्द हो #विचार

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Shivani SiNgh

सोचा था रोज तुम्हे देख के तुम्हारे साथ ज़िन्दगी बिताएंगे,
और आलम कुछ ऐसा है की तुम बस मेरे ख्यालों तक सीमित हो के रह गए!! #नोजोटो#हिंदी#लव#प्यार#सीमित#इश्क़

Satya Prakash Upadhyay

मध्यम वर्गीय परिवार का हाल रस्सी पर करतब दिखाती उस लड़की के जैसा होता है जिसको हाथों में पकड़े डंडे में एक ओर जिम्मेवारी तो दूसरी ओर अपने सपनों के बीच संतुलन बना कर निरंतर आगे बढ़ना होता है,अगर गिर गई तब सब कुछ बर्बाद। अपनी जरूरतों को सीमित करना,जुगाड़ तकनीक से बजट सम्हालना,अनावश्यक और अतिआवश्यक चीजों में भेद कर पाना ये सभी प्रबंधन की बारीकियां उन्हें बचपन से सीखने को मिलतीं हैं। पारिवारिक जिम्मेवारियों को समझते हुए वे कब बड़े हो जातें हैं,और कब जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ जाती #middleclassfamily

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मध्यम वर्गीय परिवार 

   का हाल रस्सी पर करतब दिखाती उस  लड़की के जैसा होता है जिसको हाथों में पकड़े डंडे में एक ओर जिम्मेवारी तो दूसरी ओर अपने सपनों के बीच संतुलन बना कर निरंतर आगे बढ़ना होता है,अगर गिर गई तब सब कुछ बर्बाद। 
         अपनी जरूरतों को सीमित करना,जुगाड़ तकनीक से बजट सम्हालना,अनावश्यक और अतिआवश्यक चीजों में भेद कर पाना ये सभी प्रबंधन की बारीकियां उन्हें बचपन से सीखने को मिलतीं हैं।
            पारिवारिक जिम्मेवारियों को समझते हुए वे कब बड़े हो जातें हैं,और कब जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ जाती है इसका तो उन्हें पता भी नहीं चलता,ये समाज का वो सबसे बड़ा वर्ग है जिसको सीमित संसाधनों के साथ सामाजिक,आर्थिक,धार्मिक और राजनैतिक पक्ष को मजबूत करने की अलिखित बाध्यता रहती है,जिसके लिये वे हर संभव प्रयत्न भी करते हैं।
              लेकिन विडम्बना तो ये है कि ये जब ये अपने बुरे दौर से गुज़र रहे होते हैं तब यही समाज,तथाकथित धार्मिक लोग और राजनेता इन्हें इनके हाल पर छोड़ देते हैं। जब यह हालातों का सामना कर निखरता है तो फिर एक बार अपने कर्तव्य पथ पर लग जाता है।
            इन सब के बावजूद यही वो एकमात्र तबका है जो दो समय अपने परिवार के साथ भर पेट भोजन कर सकता है,अपने परिवार के साथ सुख में आनंद और ग़म में दुःख बाँट सकता है,हर रिश्तों की अहमियत को समझ सकता है,अतिथि को देवता की भाँती पूज सकता है और समाज के हर वर्ग को अपने कार्यकुशलता,दक्षता,यथासंभव दान एवं सेवा भाव से संतुष्ट कर सकता है। मध्यम वर्गीय परिवार का हाल रस्सी पर करतब दिखाती उस  लड़की के जैसा होता है जिसको हाथों में पकड़े डंडे में एक ओर जिम्मेवारी तो दूसरी ओर अपने सपनों के बीच संतुलन बना कर निरंतर आगे बढ़ना होता है,अगर गिर गई तब सब कुछ बर्बाद। 
         अपनी जरूरतों को सीमित करना,जुगाड़ तकनीक से बजट सम्हालना,अनावश्यक और अतिआवश्यक चीजों में भेद कर पाना ये सभी प्रबंधन की बारीकियां उन्हें बचपन से सीखने को मिलतीं हैं।
            पारिवारिक जिम्मेवारियों को समझते हुए वे कब बड़े हो जातें हैं,और कब जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ जाती

Anisha Ani

Yougesh Sharma

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लाज कल भी नही थी,लाज आज भी नही है।

नाज कल भी नही थी नाज आज भी नही है

बेटी पढ़ाओ बेटी बढाओ कहने तक सीमित।

सुरक्षित कल भी नही थी सुरक्षित आज भी नही है। 

प्रिया@गुरदासपुर@पंजालाज कल भी नही थी,लाज आज भी नही है।

नाज कल भी नही थी नाज आज भी नही है

बेटी पढ़ाओ बेटी बढाओ कहने तक सीमित।

सुरक्ष्त कल भी नही थी सुरक्षित आज भी नही है। 

प्रिया@गुरदासपुर@पंजाब

ad.Ajay Kurmi

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सोच बदल गई लोगो की अब साहिब
सफलताएं सीमित हो गई नौकरियों में 
प्यार मोहब्बत प्रेम सीमित हो गया छोकरियों में 
विकास सीमित है भाषणों में किसान की खुशी सीमित है कागजों में
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