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सुसि ग़ाफ़िल
जब-जब फरेबी प्रेमियों से मिलती है प्रेमिकाएं वो गिरवी रखने आती है अपना जिस्म थोड़ा सा सुकून और अपना बनाने की चाहत में जब वो उसके वक्ष और नितम्बों को छूते हुए भग के पास आता है, वो उसी वक्त मिल जाना चाहती है उसकी रूह में सदा के लिए जैसे उसका वो आखरी स्वपन हो कुछ पलों बाद उसका भ्रम टूट जाता है वो आती है घर नोचे हुए मांस के लोथड़ों के साथ अध - मरी सी बनकर ....... Open for Collab 🌻 Note :- no available for erotica जब-जब #फरेबी प्रेमियों से मिलती है प्रेमिकाएं
विवेक पंडित
जब तक सामाजिक न्याय और बराबरी मापने का पैमाना वक्ष* होगा विश्वास कीजिए महिलाओं के हिस्से में हर बार घूघंट आयेगा। *वक्ष - सीना #सोचनामा
Anil Siwach
।।श्री हरिः।। 41 - बताऊँ? मैया अपने लाल के "बताऊं" से घबड़ाती है। वह जानती है कि यह चपल "बताऊँ" कहकर पता नहीं क्या-क्या बललाने लगेगा और फिर स्नान कलेऊ सब भूल जाएगा। 'बताऊं मैया!' कन्हाई के कहते ही मैया हंसकर कह देती है - 'अभी तू अपना बतलाना रहने दे। पहिले हाथ-मुख धो और कुछ खा। दिन भर तो वनमें घूमता रहा है, तुझे भूख लगी होगी।' 'बताऊँ मैया, यह तोक कैसे फुदकता है।' कृष्ण को प्रतिदिन ही कुछ-न-कुछ बतलाना रहता है। वन से लौटते ही मैया के कण्ठ से जा लिपटता है और फिर कुछ बतलाना चाहता है। बतलाने की सैं
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।। श्री हरि।। 14 - नवीन परिभाषा कन्हाई नवीन-नवीन परिभाषाएँ बनाता रहता है। यह कब किस शब्द या क्रिया की क्या परिभाषा बना देगा, ब्रह्मा भी नहीं समझ सकते। अाज नियुद्ध-मल्लयुद्ध की सूझ गयी थी! गोचाण के लिए वन में आने पर बालकों का प्रतिदिन का बंधा क्रम है कि पहुंचते ही सब इधर-उधर बिखर जायेंगे। खड़िया, गैरिक, हरताल आदि वन-धातुएँ तथा नाना रंगों के कुसुम, किसलय, गुञ्जा, पक्षियों के गिरे पंख संग्रह करने रहते हैं। अपनी सामग्री एकत्र हुई और जुट जायेंगे एक दूसरे को सजाने-शृंगार करने में। दाऊ दादा और #Books
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|| श्री हरि: || 7 - गायक श्याम गा रहा है - अस्फुट स्वर में कुछ गा रहा है। गुनगुना रहा है, कहना चाहिए। वृन्दावन का सघन भाग - अधिकांश वृक्ष फल-भार से झुके हैं और उन पर हरित पुष्पगुच्छों से लदी लताएँ चढी लहरा रही हैं। भूमि कोमल तृणों से मृदुल, हरी हो रही है। वृक्षों पर कपि हैं और अनेक प्रकार के पक्षी हैं। पूरे वन के कपि और पक्षी मानो यहीं एकत्र हो गये हैं; किन्तु इस समय न कपि कूदते-उछलते हैं, न पक्षी बोलते हैं। सब शान्त-निस्तब्ध बैठे हैं। एक भ्रमर तक तो गुनगुनाता नहीं; क्योंकि श्याम गा रहा है। #Books
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