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Best पुर्ण Shayari, Status, Quotes, Stories

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Bhiva Lohor

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*इच्छा किती विचित्र गोष्ट आहे*
*पुर्ण झाली नाही तर क्रोध वाढतो*
*आणि पुर्ण झाली तर लोभ वाढतो*
 ⚜ *शुभप्रभात* ⚜

Madanmohan Thakur (मैत्रेय)

वो कहावत है ना कि प्रेम की न तो समीछा हो सकती है ना ही समय के प्रवल प्रहार से हीं समय घवङा सकती हैं,यह प्रेम हीं तो हैं साहेव,इंसान का सबकुछ लुट लेती हैं फिर भी इंसान परम संतोष की अनुभुति करता हैं!! मदन मोहन(मैत्रेय) मिलते नही वो रोज कहते भी कुछ नही, सब्रे हुजुर समझे बस यह मेरा खयाल है!           सायद इन पंक्तियों मे जीवन की गूढता छिपी हुई है,इश्क का मर्ज ऐसा होता हैं जनाब कि कहें क्या हलकी सी आहट पर भी दिल मचल उठता है!लगता है कि चाहतो के समंदर मे बस गोते लगाते रहें,यह इश्क हीं तो हैं साहेव कि

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वो कहावत है ना कि प्रेम की न तो समीछा हो सकती है ना ही समय के प्रवल प्रहार से हीं समय घवङा सकती हैं,यह प्रेम हीं तो हैं साहेव,इंसान का सबकुछ लुट लेती हैं फिर भी इंसान परम संतोष की अनुभुति करता हैं!!

मदन मोहन(मैत्रेय)

मिलते नही वो रोज कहते भी कुछ नही,
सब्रे हुजुर समझे बस यह मेरा खयाल है!
          सायद इन पंक्तियों मे जीवन की गूढता छिपी हुई है,इश्क का मर्ज ऐसा होता हैं जनाब कि कहें क्या हलकी सी आहट पर भी दिल मचल उठता है!लगता है कि चाहतो के समंदर मे बस गोते लगाते रहें,यह इश्क हीं तो हैं साहेव कि

आयुष पंचोली

मृत्यू भी तब तक किसी व्यक्ति का आलिंगन नही कर सकती , जब तक वह व्यक्ति खुद जीने की आस ना छोड दे। चाहे कितनी ही विपरीत परिस्थियाँ क्यो ना हो, चाहे व्यक्ति पुर्ण रूप से असमर्थ हो जाये, मगर यदि उसमे जीने की इच्छाशक्ति शेष हैं तो, मृत्यू चाहकर भी कभी उसका आलिंगन नही कर सकती। और इसके विपरीत जो व्यक्ति हताशा से घिरा हो, जिसके समीप नकरात्मकता पुर्ण रूप से विध्य्मान हो। जिसकी सोच और विचार भी नकारात्मक हो। उसके जीवन मे मृत्यू की आवश्यकता ही नही होती। बिमार व्यक्ति भी तब तक स्वस्थ नही हो सकता जब तक उसकी स

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मृत्यू भी तब तक किसी व्यक्ति का आलिंगन नही कर सकती , जब तक वह व्यक्ति खुद जीने की आस ना छोड दे। चाहे कितनी ही विपरीत परिस्थियाँ क्यो ना हो, चाहे व्यक्ति पुर्ण रूप से असमर्थ हो जाये, मगर यदि उसमे जीने की इच्छाशक्ति शेष हैं तो, मृत्यू चाहकर भी कभी उसका आलिंगन नही कर सकती। और इसके विपरीत जो व्यक्ति हताशा से घिरा हो, जिसके समीप नकरात्मकता पुर्ण रूप से विध्य्मान हो। जिसकी सोच और विचार भी नकारात्मक हो। उसके जीवन मे मृत्यू की आवश्यकता ही नही होती। 
बिमार व्यक्ति भी तब तक स्वस्थ नही हो सकता जब तक उसकी स्वस्थ होने की इच्छाशक्ति ना हो, यह मैं नही विज्ञान कहता हैं। ठीक वैसे ही आप तब तक कुछ नही पा सकते जबतक आपके आस पास का वातावरण और आपमे नकारत्मकता विध्यमान रहती हैं। प्रयास तभी सफल होते हैं, जब पुर्ण इच्छाशक्ती से किये जाये। अन्यथा उनके सफल होने की सम्भावना मात्र उतनी ही हैं, जितनी सकारत्मक्ता आपकी सोच मे हैं।🙏🙏🙏

©आयुष पंचोली 
©ayush_tanharaahi

#kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #mereprashnmerisoch मृत्यू भी तब तक किसी व्यक्ति का आलिंगन नही कर सकती , जब तक वह व्यक्ति खुद जीने की आस ना छोड दे। चाहे कितनी ही विपरीत परिस्थियाँ क्यो ना हो, चाहे व्यक्ति पुर्ण रूप से असमर्थ हो जाये, मगर यदि उसमे जीने की इच्छाशक्ति शेष हैं तो, मृत्यू चाहकर भी कभी उसका आलिंगन नही कर सकती। और इसके विपरीत जो व्यक्ति हताशा से घिरा हो, जिसके समीप नकरात्मकता पुर्ण रूप से विध्य्मान हो। जिसकी सोच और विचार भी नकारात्मक हो। उसके जीवन मे मृत्यू की आवश्यकता ही नही होती। 
बिमार व्यक्ति भी तब तक स्वस्थ नही हो सकता जब तक उसकी स

Neeraj Shelke

आपली स्वप्नं उंच जरूर असावी , पण ती साकार करण्यासाठी 
जी मेहनत करावी लागते त्याचीही मनात तयारी जरूर करावी.
फ़क्त स्वप्नं पाहून ती पुर्ण होत नसतात तर ती पुर्ण करण्यासाठी 
जों दिवसाची रात्र आणि रात्रीचा दिवस करून मेहनत घेतो 
त्यांचीच़ स्वप्नं सत्यात उतरत असतात.

©नीरज शेळके 
इंस्टाग्राम । @kavi_manacha_neeraj #स्वप्नं #

Madanmohan Thakur (मैत्रेय)

होना क्या है,हम पुरी मुस्तैदी से केस लङेंगे! लेकिन सरकार ने तो जानेमाने अधिवक्ता मधुर सहाय को चुना है!राजीव विचलीत होकर बोला! तो इसमे चिंता की कोई बात नही है!सरकार का नैतीक दाईत्व है कि वो अपना पक्छ दावे के साथ रख्खे!फिर तो यह पहला कदम है!अभी तो हमे बहुत से रुकावटो को झेलना है!त्यागी साहव गंभीर होकर बोले! यस अंकल,आपका कहना विल्कुल ठीक है!अभी हीं हमने हार मान लिया,तो आगे का डगर काफी मुश्किल होगा!सम्यक ढृढता से बोला! हां मै यही बोल रहा हूं!आप लोग निश्चिंत होकर आम चुनाव की तैयारी करें!मै कोर्ट की प

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होना क्या है,हम पुरी मुस्तैदी से केस लङेंगे!
लेकिन सरकार ने तो जानेमाने अधिवक्ता मधुर सहाय को चुना है!राजीव विचलीत होकर बोला!
तो इसमे चिंता की कोई बात नही है!सरकार का नैतीक दाईत्व है कि वो अपना पक्छ दावे के साथ रख्खे!फिर तो यह पहला कदम है!अभी तो हमे बहुत से रुकावटो को झेलना है!त्यागी साहव गंभीर होकर बोले!
यस अंकल,आपका कहना विल्कुल ठीक है!अभी हीं हमने हार मान लिया,तो आगे का डगर काफी मुश्किल होगा!सम्यक ढृढता से बोला!
हां मै यही बोल रहा हूं!आप लोग निश्चिंत होकर आम चुनाव की तैयारी करें!मै कोर्ट की प

आयुष पंचोली

जो काल , जो चीज घटित हो गई उसकी बातें करना, उस पर शोध करना, और उससे सम्बंधित निष्कर्ष पर पहुचना तो बहुत आसान हैं। मगर जो हुआ ही नही उसके बारे मे , आने वाले कल के बारे मे कैसे जाना जायें इसका कोई विकल्प विज्ञान के पास मौजूद नही हैं। मगर आध्यात्म ध्यान और योग के माध्यम से भविष्य को जानने का उदाहरण कई बार पेश कर चुका हैं। अब अगर उसे कल्पना भी माने तो भी एक प्रकार से वही काल्पनिक सोच जब तक तथ्योके साथ घटित होती हुई दिखती हैं, तो फिर उस आध्यात्म के उस शोध पर विश्वास होने लगता हैं की हाँ, शायद ऐसा हो

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कलयुग का अन्त और कल्की अवतार। जो काल , जो चीज घटित हो गई उसकी बातें करना, उस पर शोध करना, और उससे सम्बंधित निष्कर्ष पर पहुचना तो बहुत आसान हैं। मगर जो हुआ ही नही उसके बारे मे , आने वाले कल के बारे मे कैसे जाना जायें इसका कोई विकल्प विज्ञान के पास मौजूद नही हैं। मगर आध्यात्म ध्यान और योग के माध्यम से भविष्य को जानने का उदाहरण कई बार पेश कर चुका हैं। अब अगर उसे कल्पना भी माने तो भी एक प्रकार से वही काल्पनिक सोच जब तक तथ्योके साथ घटित होती हुई दिखती हैं, तो फिर उस आध्यात्म के उस शोध पर विश्वास होने लगता हैं की हाँ, शायद ऐसा हो

आयुष पंचोली

क्या इस सकल ब्रह्माण्ड मे ऐसा बजी कुछ हैं जो नश्वर नही हैं ? यह प्रश्न भी उतना ही जटिल हैं, जितना यह जानना की शाश्वत आखिर हैं क्या? अगर बात करें इस विषय पर तो एक ही बात कँह सकते हैं, जिसका अन्त कभी ना हो वही शाश्वत हैं। मगर ऐसा तो कुछ हैं ही नही जिसका अन्त कभी नही होगा। सिर्फ विचार और शून्य के, क्योकी विचार कभी अन्त नही हो सकते, सबकुछ विचारों के ही तो अधीन हैं, और विचार विलिन होते हैं शून्य मे। अर्थात् शाश्वत सिर्फ और सिर्फ शून्य हैं। यही शाश्वत सत्य हैं। क्योकी अगर देखा जाये तो वह सभी चीजें जो

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क्या सबकुछ नश्वर हैं, तो फिर शाश्वत क्या हैं ...!!!! क्या इस सकल ब्रह्माण्ड मे ऐसा बजी कुछ हैं जो नश्वर नही हैं ?

यह प्रश्न भी उतना ही जटिल हैं, जितना यह जानना की शाश्वत आखिर हैं क्या? अगर बात करें इस विषय पर तो एक ही बात कँह सकते हैं, जिसका अन्त कभी ना हो वही शाश्वत हैं। मगर ऐसा तो कुछ हैं ही नही जिसका अन्त कभी नही होगा। सिर्फ विचार और शून्य के, क्योकी विचार कभी अन्त नही हो सकते, सबकुछ विचारों के ही तो अधीन हैं, और विचार विलिन होते हैं शून्य मे। अर्थात् शाश्वत सिर्फ और सिर्फ शून्य हैं। यही शाश्वत सत्य हैं।
क्योकी अगर देखा जाये तो वह सभी चीजें जो

आयुष पंचोली

क्या हमारे सारे सवालों के जवाब हमारे खुद के अस्तित्व मे खुद ही के भीतर कहीं छुपे हैं। और अगर ऐसा हैं तो उनका जवाब प्राप्त कैसे किया जायें? हाँ यह बिल्कुल सत्य हैं, की हमारे सारे सवालों के जवाब, सभी समस्याओं का हल कहीं ना कहीं, हमारे ही अस्तित्व की उन गहराईयौं मे छूपा हैं, जहां हम पहुच नही सकते या यूँ कहें पहुचना नही चाहते। क्योकी हमारे जीवन मे अर्थात् आपके जन्म लेने के बाद से,कितनी ही घटनाए ऐसी घटित होती हैं, जो हमारे मन और मस्तिष्क पर बहुत गहरी छाप छोड़ती हैं। उनमे से कुछ घटनायें हम भुला देते

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क्या हमारे सारे सवालों के जवाब हमारे खुद के अस्तित्व मे खुद ही के भीतर कहीं छुपे हैं। और अगर ऐसा हैं तो उनका जवाब प्राप्त कैसे किया जायें?
आयुष पंचोली 
©ayush_tanharaahi

#kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #ayuspiritual क्या हमारे सारे सवालों के जवाब हमारे खुद के अस्तित्व मे खुद ही के भीतर कहीं छुपे हैं। और अगर ऐसा हैं तो उनका जवाब प्राप्त कैसे किया जायें?

हाँ यह बिल्कुल सत्य हैं, की हमारे सारे सवालों के जवाब, सभी समस्याओं का हल कहीं ना कहीं, हमारे ही अस्तित्व की उन गहराईयौं मे छूपा हैं, जहां हम  पहुच नही सकते या यूँ कहें पहुचना नही चाहते। क्योकी हमारे जीवन मे अर्थात् आपके जन्म लेने के बाद से,कितनी ही घटनाए ऐसी घटित होती हैं, जो हमारे मन और मस्तिष्क पर बहुत गहरी छाप छोड़ती हैं। उनमे से कुछ घटनायें हम भुला देते

आयुष पंचोली

प्रेम क्या हैं..? क्या वर्तमान मे जो चल रहा हैं, उसे प्रेम कह सकते हैं? प्रेम क्या हैं, यह शायद लोगो की समझ से भी परे होगा। अगर बात की जायें तो प्रेम पूर्णतया भक्ति का ही एक रूप हैं। जिस तरह भक्ति, मे कोई तर्क नही होता, कोई समझ नही होती, सिर्फ अपने ईष्ट के प्रति समर्पण का भाव होता हैं। चाहे जिस भी रूप मे हो, वह पाक पवित्र ही होती हैं। निस्छलता से परिपूर्ण। अपूर्ण होकर भी पुर्ण। ठीक ऐसा ही प्रेम भी हैं, जो हर प्रकार के दोषो से दूर हैं, अपूर्ण होकर भी वह सम्पुर्ण हैं। कोई दिखावा नही हैं, कोई भेद

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प्रेम क्या हैं...!! प्रेम क्या हैं..? क्या वर्तमान मे जो चल रहा हैं, उसे प्रेम कह सकते हैं?

प्रेम क्या हैं, यह शायद लोगो की समझ से भी परे होगा। अगर बात की जायें तो प्रेम पूर्णतया भक्ति का ही एक रूप हैं।
जिस तरह भक्ति, मे कोई तर्क नही होता, कोई समझ नही होती, सिर्फ अपने ईष्ट के प्रति समर्पण का भाव होता हैं। चाहे जिस भी रूप मे हो, वह पाक पवित्र ही होती हैं। निस्छलता से परिपूर्ण। अपूर्ण होकर भी पुर्ण। 
ठीक ऐसा ही प्रेम भी हैं, जो हर प्रकार के दोषो से दूर हैं, अपूर्ण होकर भी वह सम्पुर्ण हैं। कोई दिखावा नही हैं, कोई भेद

Atul Sonawane

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आयुष्यात नेहमी स्वतःचे स्वप्न पुर्ण करण्यासाठी कामकरा.नाहीतर. ? दुसरा कोणीतरी तुम्हाला त्याचे स्वप्न पुर्ण करण्यासाठी कामाला ठेवेल.
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