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Isha
वो मेरी हर बात पर हँसती भी है मुस्कुराती भी है, वो अपनी अदाओं पर इतराती भी है बल खाती भी है, वो बहन है साहब बहुत दिमाग खाती है| — ईशा #wobehenhaisaahab#sisterlove❤️😜
#wobehenhaisaahabsisterlove❤️😜 #विचार
read morejags_raj
#OpenPoetry Feelings of Aborted Girl Child.How she feels when in womb of mother..and how the pain she felt after being aborted. ------------------------------ जो हो ना सका,वो किस्सा हूँ जैसी भी हूँ मैं माँ आखिर तुमारा हिस्सा हूँ।। छोटे छोटे हाथ हैँ मेरे उस से भी छोटे कान तेरे ही नाम से होगी अब मेरी पहचान ।।। जैसी तू है वैसी मैं हूं यह मुझको यकीन सा हो गया।। तेरे पास आये हुए आज एक महीना हो गया।।। तुम खट्टा खाती हो मुझको भी खट्टा लगता है ठंडी ठंडी ice cream को दिल मेरा भी पिगलता है तुमारी हंसी के ठहाकों से दिन मेरा भी कैसे गुजर गया पता नहीं चला और एक महीना और गुजर गया।।। तुम बहुत खाती हो माँ देखो मैं भी मोटी हो गयी!! तेरे पेट में रहने की जगह भी छोटी हो गयी तुम ख्याल रखती हो मेरा सम्भल सम्भल के चलती हो तुमको तकलीफ होती है फिर भी गुस्सा ना करती हो।।। तुमसे बात करते करते देखो तीसरा महीना भी गुजर गया।।।।। आज तुम आई ही doctor के पास मेरी सेहत का पता करने।। डॉक्टर कर रहा ultrasound मेरी धड़कन भी लगी है बढ़ने Doctor बोलअ सब ठीक है तुम भी कुश हो गयी।।। घरवालों ने पूछा लड़का है या लड़की Dr बोला लड़की।।।। अचानक।।।। तुमारी हंसी कही खो गयी।।। सब दुखी लग रहे हैं माँ क्या हुआ Doctor की रिपोर्ट में कोई प्रॉब्लम हो गयी।। सब बोल रहे हैं बच्चा गिराओ हमें लड़की नहीं चाहिए।।। यह लड़की क्या होता है माँ।।।।???? क्या लड़की अछी नहीं होती।।।??? उसको परमात्मा नहीं भेजता क्या।।।।??? सबकी बातों मेँ आकर तुम भी तयार हो गयी।।।। डॉक्टर ने मुझे नहीं मारा माँ तेरी हां ने ही मार दिया।।। खून से लथपथ खाबो को मिटटी में उतार दिया।।।। थोडा जो सब्र करती तो देखती मेरी उड़ान।। इतना प्यार करती तुमको मुझसे ही होती तेरी पहचान।। ना मुझको ज़मीन चाहिये थी ना चाहिए था मकान तेरी गोदि में सर रख के ही मिलता मुजको सुकून तुज से बिछड़ के माँ अब मैं बहुत ही रोती हूं कोई नहीं खिलाता खाना सो भूखी ही सो लेती हूं।।। परमात्मा ने जो वक़्त दिया था वो तो मुझको गुजरना है।।। तेरे तीन महीने का भी आखिर मुझको क़र्ज़ उतारना है तेरा क़र्ज़ उतार के तुझ से दूर चली जाउंगी।।। फिर कभी लौट के ना आऊँगी फिर कभी लौट के ना आऊंगी।।। जो हो न सका।।। वो किस्सा थी, जैसी भी थी मैं माँ आखिर तुम्हारा हिस्सा थी।। Its written by --jagdish Feelings of aborted girl child. How happy she felf when in womb of mother. How painful..scared she was after bring aborted.
Feelings of aborted girl child. How happy she felf when in womb of mother. How painful..scared she was after bring aborted. #OpenPoetry
read moreDEVANSH RAJPOOT
पत्र तेरी वो बल खाती लिखावट और स्याही की महक हर शब्द पे तेरे हाथों का स्पर्श और इश्क़ की चहक आज फिर याद आयी मुझे उसकी जब मैं एक धूल खाती अलमारी में अपनी कुछ पुरानी किताबें ढूंढ रहा था | यूं फिर एक किताब दिखी मुझे जिसमे कुछ उभार सा था, जब मैंने खोली वो तो एक पन्ना रखा था उसमें जो कुछ मैला सा दिख रहा था पर महक अब भी बरकरार थी | वो पन्ना मुड़ा हुआ था और पीछे की तरफ एक दिल की आकृति बनी हुई थी, जिसे लोग इश्क़ का प्रतिक मानते है | उसमें गुलाबी रंग भरा हुआ था जो हमारे इश्क़ की तरह भद्दा पड़ गया था पर आकृति अभी भी पहले जैसे ही खूबसूरत थी | जब खोला मैंने उसे तो कुछ धूल सी जमी थी उसमें, जो मैंने एक फूंक मारकर तेरे मेरे ख्वाबों की तरह उड़ा दी | उसके कोने अब कुछ मुड़ से गए थे, मैंने खोला तो एक तरफ तेरा और एक तरफ मेरा नाम ऐसे लिखा हुआ था जैसे हमारे बीच दूरियां |स्याही थोड़ी फैल गयी थी पर लेखनी अभी भी पहले जितनी ही उम्दा थी, उसमें कुछ वादे भी थे जो शायद पुरे ना हो सके | हर बार की तरह तूने इस पत्र में भी मेरे नाम के अक्षरों में कुछ गलती की हुई थी पर इस बार वो स्याही के फैलनें से सही हो गयी थी | कुछ पहेलियाँ थी उसमें जिनमें मैं अभी भी उलझा हुआ था, जिन्हें सुलझाने की लिए मैं आज फिर उस गुलमोहर के पेड़ के निचे चला गया | जहा हम कभी मिला करते थे कुछ डालियाँ सुख गयी थी उसकी पर अहसास अब भी वही था मैंने यूं लोगो से नज़रे चुराकर, उस पत्र को पेड़ की जड़ में पत्तों से छिपाकर रख दिया जैसे कभी पहले रखा करते थे और तू पढ़ने आया करती थी | पर मुझे पता है तू अब पढ़ने नहीं आएगी ना - DEVANSH RAJPOOT #khubsuratalfaz #poetry #loveletter
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read morePrem Rajput
जब तालाब भरता है तब मछलियां चींटी को खाती है ओर जब तालाब खाली होता है तब चीटियां मछली को खाती है P. N.मौका सबको मिलता है बस अपनी बारी का इंतजार करो! Prem.......... Yarrr.....
Yarrr.....
read moreRanjit Tiwari
जब तलाब भरता है तो मछलियां चींटी को खाती हैं और जब तलाब खाली होता है तो चींटियां मछलियों को खाती है मौका सबको मिलता है बस अपनी बारी का इंतज़ार करो
Gum Naam Farebi
दूसरों को हसाना भी एक कला होता है, दर्द को छुपाना भी एक कला होता है, अक्सर हम बचपन में मां से झगड़ते थे कि वो खुद अच्छा खाती है और हमें खराब खिलाती है, मगर अब समझ में आया कि मां जो रोटी खाती है, वो भी जला होता है@mkla
aasif sayed
जब तालाब भरता है तब मछलियां चींटियों को खाती है और जब तालाब खाली होता है तब चीटियां मछलियों को खाती है । 👉मौका सबको मिलता है बस धैर्य रखें, अपनी बारी का इंतजार करें । 🙏सुभप्रभात🙏 Meenu Kumari Amit Kumar Yadav
Meenu Kumari Amit Kumar Yadav
read moreKrishan Gopal Solanki
ख़ुद्दारी, वफ़ा, मेहनतकशी, ईमान खाती है, नई नस्ल पुरखों की फ़क़त पहचान खाती है, ये बोलकर बेटे ने बूढ़ी माँ को धमकाया, मर क्यूँ नहीं जाती है, दिनभर जान खाती है। कृष्ण गोपाल सोलंकी 8802585986
Krishan Gopal Solanki
ख़ुद्दारी, वफ़ा, मेहनतकशी, ईमान खाती है, नई ये नस्ल पुरखों की पहचान खाती है, ये बोलकर बेटे ने बूढ़ी माँ को धमकाया, मर क्यूँ नहीं जाती है, दिनभर जान खाती है। कृष्ण गोपाल सोलंकी 8802585986