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Vikrant Singh Patel

कुछ बात है तुम्हारी बातों में जो बात यहाँ तक आ पहुंची
हम दिल से गए दिल तुम पे गया और बात कहाँ तक जा पहुंची। #इश्क_इजहार

Suresh Bishnoi

“मैंने दहेज़ नहीं माँगा”
साहब मैं थाने नहीं आउंगा,
अपने इस घर से कहीं नहीं जाउंगा,
माना पत्नी से थोड़ा मन-मुटाव था,
सोच में अन्तर और विचारों में खिंचाव था,
पर यकीन मानिए साहब, “मैंने दहेज़ नहीं माँगा”

मानता हूँ कानून आज पत्नी के पास है,
महिलाओं का समाज में हो रहा विकास है।
चाहत मेरी भी बस ये थी कि माँ बाप का सम्मान हो,
उन्हें भी समझे माता पिता, न कभी उनका अपमान हो।
पर अब क्या फायदा, जब टूट ही गया हर रिश्ते का धागा,
यकीन मानिए साहब, “मैंने दहेज़ नहीं माँगा”

परिवार के साथ रहना इसे पसंन्द नहीं है,
कहती यहाँ कोई रस, कोई आनन्द नही है,
मुझे ले चलो इस घर से दूर, किसी किराए के आशियाने में,
कुछ नहीं रखा माँ बाप पर प्यार बरसाने में,
हाँ छोड़ दो, छोड़ दो इस माँ बाप के प्यार को,
नहीं माने तो याद रखोगे मेरी मार को,

फिर शुरू हुआ वाद विवाद माँ बाप से अलग होने का,
शायद समय आ गया था, चैन और सुकून खोने का,
एक दिन साफ़ मैंने पत्नी को मना कर दिया,
न रहूँगा माँ बाप के बिना ये उसके दिमाग में भर दिया।
बस मुझसे लड़कर मोहतरमा मायके जा पहुंची,

2 दिन बाद ही पत्नी के घर से मुझे धमकी आ पहुंची,
माँ बाप से हो जा अलग, नहीं सबक सीखा देंगे ,
क्या होता है दहेज़ कानून तुझे इसका असर दिखा देगें।
परिणाम जानते हुए भी हर धमकी को गले में टांगा,
यकींन माँनिये साहब, “मैंने दहेज़ नहीं माँगा”

जो कहा था बीवी ने, आखिरकार वो कर दिखाया,
झगड़ा किसी और बात पर था, पर उसने दहेज़ का नाटक रचाया।
बस पुलिस थाने से एक दिन मुझे फ़ोन आया,
क्यों बे, पत्नी से दहेज़ मांगता है, ये कह के मुझे धमकाया।
माता पिता भाई बहिन जीजा सभी के रिपोर्ट में नाम थे,
घर में सब हैरान, सब परेशान थे,
अब अकेले बैठ कर सोचता हूँ, वो क्यों ज़िन्दगी में आई थी,

मैंने भी तो उसके प्रति हर ज़िम्मेदारी निभाई थी।
आखिरकार तमका मिला हमें दहेज़ लोभी होने का,
कोई फायदा न हुआ मीठे मीठे सपने संजोने का।
बुलाने पर थाने आया हूँ, छुपकर कहीं नहीं भागा,
लेकिन यकींन मानिए साहब, “मैंने दहेज़ नहीं माँगा”

😪झूठे दहेज के मुकदमों के कारण,
पुरुष के दर्द से ओतप्रोत एक मार्मिक कृति…🙏🙏 #Mrperfect2007

Ankita Saxena

#sakhi..

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एक दिन रुक्मणी ने भोजन के बाद,
श्री कृष्ण को दूध पीने को दिया।

दूध ज्यदा गरम होने के कारण 
श्री कृष्ण के हृदय में लगा
और
उनके श्रीमुख से निकला-
" हे राधे ! "

सुनते ही रुक्मणी बोली-
प्रभु !
ऐसा क्या है राधा जी में,
जो आपकी हर साँस पर उनका ही नाम होता है ?

मैं भी तो आपसे अपार प्रेम करती हूँ...
फिर भी,
आप हमें नहीं पुकारते !!

श्री कृष्ण ने कहा -देवी !
आप कभी राधा से मिली हैं ?
और मंद मंद मुस्काने लगे...

अगले दिन रुक्मणी राधाजी से मिलने उनके महल में पहुंची ।

राधाजी के कक्ष के बाहर अत्यंत खूबसूरत स्त्री को देखा...
और,
उनके मुख पर तेज होने कारण उसने सोचा कि-
ये ही राधाजी है और उनके चरण छुने लगी !

तभी वो बोली -आप कौन हैं ?

तब रुक्मणी ने अपना परिचय दिया और आने का कारण बताया...

तब वो बोली-
मैं तो राधा जी की दासी हूँ।

राधाजी तो सात द्वार के बाद आपको मिलेंगी !!

रुक्मणी ने सातो द्वार पार किये...
और,
हर द्वार पर एक से एक सुन्दर और तेजवान दासी को देख सोच रही थी क़ि-
अगर उनकी दासियाँ इतनी रूपवान हैं...
तो,
राधारानी स्वयं कैसी होंगी ?

सोचते हुए राधाजी के कक्ष में पहुंची...

कक्ष में राधा जी को देखा-
अत्यंत रूपवान तेजस्वी जिसका मुख सूर्य से भी तेज चमक रहा था।
रुक्मणी सहसा ही उनके चरणों में गिर पड़ी...

पर,
ये क्या राधा जी के पुरे शरीर पर तो छाले पड़े हुए है !

रुक्मणी ने पूछा-
देवी आपके  शरीर पे ये छाले कैसे ?

तब राधा जी ने कहा-
देवी !
कल आपने कृष्णजी को जो दूध दिया...
वो ज्यदा गरम था !

जिससे उनके ह्रदय पर छाले पड गए...
और,
उनके ह्रदय में तो सदैव मेरा ही वास होता है..!!

इसलिए कहा जाता है-

बसना हो तो...
'ह्रदय' में बसो किसी के..!

'दिमाग' में तो..
लोग खुद ही बसा लेते है!!! #sakhi..

mk_lover_writes

इश्क #शायरी

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तेरी जुल्फ सरक के जो कमर तक पहुंची 
तो मेरी डूबती कश्ती भी लहर तक पहुंची 
*******************************
तूने सरमा के जो खोली आंखे अपनी 
ये बात भी मचल के शहर तक पहुंची इश्क

पंडित जी बनारस वाले

कुछ बात है तुम्हारी बातों में जो बात यहाँ तक आ पहुंची हम दिल से गए दिल तुम पे गया और बात कहाँ तक जा पहुंची

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कुछ बात है तुम्हारी बातों में जो बात यहाँ तक आ पहुंची


हम दिल से गए दिल तुम पे गया और बात कहाँ जा पहुंची कुछ बात है तुम्हारी बातों में जो बात यहाँ तक आ पहुंची
हम दिल से गए दिल तुम पे गया और बात कहाँ तक जा पहुंची

Raj verma

कुछ बात है तुम्हारी बातों में जो बात यहाँ तक आ पहुंची
हम दिल से गए दिल तुम पे गया और बात कहाँ तक जा पहुंची

अंजान

Satyaprem Mukesh Poonia Internet Jockey Qaisar Ryu Dalchand

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Story जिन्दगी जब भी ढ़लान पर पहुंची!
बेबसी फिर तो उड़ान पर पहुँची!!
रोशनी इतना सताती है क्यों हमको!
तीरगी तो अब मकान पर पहुंची!!
@अंजान
9453684144 Satyaprem Mukesh Poonia Internet Jockey Qaisar Ryu Dalchand

Sarfraz Ahmad

कुछ बात है तुम्हारी बातों में जो बात यहाँ तक आ पहुंची। हम दिल से गए दिल तुम पे गया और बात कहाँ तक जा पहुंची।।

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 कुछ बात है तुम्हारी बातों में जो बात यहाँ तक आ पहुंची।

हम दिल से गए दिल तुम पे गया और बात कहाँ तक जा पहुंची।।

Sarfraz Ahmad

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कुछ बात है तुम्हारी बातों में जो बात यहाँ तक आ पहुंची।

हम दिल से गए दिल तुम पे गया और बात कहाँ तक जा पहुंची।।

Sarfraz Ahmad

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कुछ बात है तुम्हारी बातों में जो बात यहाँ तक आ पहुंची।

हम दिल से गए दिल तुम पे गया और बात कहाँ तक जा पहुंची।।
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