Nojoto: Largest Storytelling Platform

Best उपस्थित Shayari, Status, Quotes, Stories

Find the Best उपस्थित Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about उपस्थित का अर्थ, उपस्थित करना, यावेळी उपस्थित होते, उपस्थित राहून, उपस्थित रहावे,

  • 3 Followers
  • 38 Stories

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 3 – अकुतोभय हिरण्यरोमा दैत्यपुत्र है, अत: कहना तो उसे दैत्य ही होगा। उसका पर्वताकार देह दैत्यों में भी कम को प्राप्त है। किंतु स्वभाव से उसका वर्णन करना हो तो एक ही शब्द पर्याप्त है उसके वर्णनके लिये - 'भोला!' वह दैत्य है, अत: दत्यों को जो जन्मजात सिद्धियां प्राप्त होती हैं, उसमें भी हैं। बहुत कम वह उनका उपयोग करता है। केवल तब जब उसे कहीं जाने की इच्छा हो - गगनचर बन जाता है वह। अपना रूप भी वह परिवर्तित कर सकता है, जैसे यह बात उसे स्मरण ही

read more
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
3 – अकुतोभय

हिरण्यरोमा दैत्यपुत्र है, अत: कहना तो उसे दैत्य ही होगा। उसका पर्वताकार देह दैत्यों में भी कम को प्राप्त है। किंतु स्वभाव से उसका वर्णन करना हो तो एक ही शब्द पर्याप्त है उसके वर्णनके लिये - 'भोला!'

वह दैत्य है, अत: दत्यों को जो जन्मजात सिद्धियां प्राप्त होती हैं, उसमें भी हैं। बहुत कम वह उनका उपयोग करता है। केवल तब जब उसे कहीं जाने की इच्छा हो - गगनचर बन जाता है वह। अपना रूप भी वह परिवर्तित कर सकता है, जैसे यह बात उसे स्मरण ही

सुदामा सिंह राजपुत

read more
फुर्सत मिले कभी तो, आवश्यक सूचना
 सूचित किया जाता है कि कल दिनांक 17/09/ 2019 समय 03:00PM को सिद्धू - कानू  जोन अंतर्गत केराटार साधु आश्रम प्रांगण में आजसू पार्टी की ओर से बूथ कमेटी गठन एवं समीक्षा बैठक रखी गई है इस बैठक में मुख्य अतिथि के रुप में पूर्व मंत्री मंत्री सह आजसू पार्टी के केंद्रीय उपाध्यक्ष श्री उमाकांत रजक जी  उपस्थित रहेंगे
 अतः अब सभी इकाई के सदस्य एवं पदाधिकारी  तथा  समर्थकों से निवेदन है कि इस कार्यक्रम में उपस्थित होकर कार्यक्रम को सफल बनाए 
                                                            🙏निवेदक🙏

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 11 - महत्संग की साधना 'मेरी साधना विफल हुई।' गुर्जर राजकुमार ने एक लम्बी श्वास ली। वे अपने विश्राम-कक्ष में एक चन्दन की चौकी पर धवल डाले विराजमान थे। ग्रन्थ-पाठ समाप्त हो गया था और जप भी पूर्ण कर लिया था उन्होंने। ध्यान की चेष्टा व्यर्थ रही और वे पूजा के स्थान से उठ आये। राजकुमार ने स्वर्णाभरण तो बहुत दिन हुए छोड़ रखे हैं। शयनगृह से हस्ति-दन्त के पलंग एवं कोमल आस्तरण भी दूर हो चुके हैं। उनकी भ्रमरकृष्ण घुंघराली अलकें सुगन्धित तेल का सिञ्च

read more
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12

।।श्री हरिः।।
11 - महत्संग की साधना

'मेरी साधना विफल हुई।' गुर्जर राजकुमार ने एक लम्बी श्वास ली। वे अपने विश्राम-कक्ष में एक चन्दन की चौकी पर धवल डाले विराजमान थे। ग्रन्थ-पाठ समाप्त हो गया था और जप भी पूर्ण कर लिया था उन्होंने। ध्यान की चेष्टा व्यर्थ रही और वे पूजा के स्थान से उठ आये।

राजकुमार ने स्वर्णाभरण तो बहुत दिन हुए छोड़ रखे हैं। शयनगृह से हस्ति-दन्त के पलंग एवं कोमल आस्तरण भी दूर हो चुके हैं। उनकी भ्रमरकृष्ण घुंघराली अलकें सुगन्धित तेल का सिञ्च

आयुष पंचोली

जो काल , जो चीज घटित हो गई उसकी बातें करना, उस पर शोध करना, और उससे सम्बंधित निष्कर्ष पर पहुचना तो बहुत आसान हैं। मगर जो हुआ ही नही उसके बारे मे , आने वाले कल के बारे मे कैसे जाना जायें इसका कोई विकल्प विज्ञान के पास मौजूद नही हैं। मगर आध्यात्म ध्यान और योग के माध्यम से भविष्य को जानने का उदाहरण कई बार पेश कर चुका हैं। अब अगर उसे कल्पना भी माने तो भी एक प्रकार से वही काल्पनिक सोच जब तक तथ्योके साथ घटित होती हुई दिखती हैं, तो फिर उस आध्यात्म के उस शोध पर विश्वास होने लगता हैं की हाँ, शायद ऐसा हो #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #ayuspiritual #mereprashnmerisoch #dashavtaar

read more
कलयुग का अन्त और कल्की अवतार। जो काल , जो चीज घटित हो गई उसकी बातें करना, उस पर शोध करना, और उससे सम्बंधित निष्कर्ष पर पहुचना तो बहुत आसान हैं। मगर जो हुआ ही नही उसके बारे मे , आने वाले कल के बारे मे कैसे जाना जायें इसका कोई विकल्प विज्ञान के पास मौजूद नही हैं। मगर आध्यात्म ध्यान और योग के माध्यम से भविष्य को जानने का उदाहरण कई बार पेश कर चुका हैं। अब अगर उसे कल्पना भी माने तो भी एक प्रकार से वही काल्पनिक सोच जब तक तथ्योके साथ घटित होती हुई दिखती हैं, तो फिर उस आध्यात्म के उस शोध पर विश्वास होने लगता हैं की हाँ, शायद ऐसा हो

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री हरिः।। 17 - सात्विक त्याग कार्यमित्येव यत्कर्म नियतं क्रियतेर्जुन। संगत्यक्त्वा फलं चैव स त्याग: सात्विको मत:।। (गीता 18।9)

read more
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10

।।श्री हरिः।।
17 - सात्विक त्याग

कार्यमित्येव यत्कर्म नियतं क्रियतेर्जुन।
संगत्यक्त्वा फलं चैव स त्याग: सात्विको मत:।।
(गीता 18।9)

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 14 - कोप या कृपा 'मातः!' बड़ा करुण स्वर था हिमभैरव का। यह उज्जवल वर्ण, स्वभाव से स्थिर-प्रशान्त, यदा-कदा ही क्रुद्ध होने वाला रुद्रगण बहुत कम बोलता है। बहुत कम अन्य गणों के सम्पर्क में आता है। उग्रता की अपेक्षा सौम्यता ही इसमें अधिक है। साम्बशिव की एकान्त सेवा और स्थिर आसन किंतु जब इसे क्रोध आता है - अन्ततः भैरव ही है, पूरा प्रलय उपस्थित कर देगा। किंतु आज यह बहुत ही व्यथित जान पड़ता है। 'तुम इतने कातर क्यों हो वत्स?' जगदम्बा शैलसुता ने अनुक

read more
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
14 - कोप या कृपा

'मातः!' बड़ा करुण स्वर था हिमभैरव का। यह उज्जवल वर्ण, स्वभाव से स्थिर-प्रशान्त, यदा-कदा ही क्रुद्ध होने वाला रुद्रगण बहुत कम बोलता है। बहुत कम अन्य गणों के सम्पर्क में आता है। उग्रता की अपेक्षा सौम्यता ही इसमें अधिक है। साम्बशिव की एकान्त सेवा और स्थिर आसन किंतु जब इसे क्रोध आता है - अन्ततः भैरव ही है, पूरा प्रलय उपस्थित कर देगा। किंतु आज यह बहुत ही व्यथित जान पड़ता है।

'तुम इतने कातर क्यों हो वत्स?' जगदम्बा शैलसुता ने अनुक

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 6 – पूर्णकाम ‘तृष्णाक्षये स्वर्गपदं किमस्ति' 'देवाधिप की मुखश्री आज म्लान दीखती है!' सुरगुरु ने अमरों की अर्चा स्वीकार कर ली थी और महेन्द्र से अभिवादित होकर वे सिंहासन पर बैठ चुके थे। इन्द्र एवं अन्य देवताओं ने भी आसन ग्रहण कर लिया था। 'सुधर्मा सभा में आज चिन्ता की अरुचिकर गन्ध है।'

read more
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
6 – पूर्णकाम

‘तृष्णाक्षये स्वर्गपदं किमस्ति'

'देवाधिप की मुखश्री आज म्लान दीखती है!' सुरगुरु ने अमरों की अर्चा स्वीकार कर ली थी और महेन्द्र से अभिवादित होकर वे सिंहासन पर बैठ चुके थे। इन्द्र एवं अन्य देवताओं ने भी आसन ग्रहण कर लिया था। 'सुधर्मा सभा में आज चिन्ता की अरुचिकर गन्ध है।'

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 3 – अकुतोभय हिरण्यरोमा दैत्यपुत्र है, अत: कहना तो उसे दैत्य ही होगा। उसका पर्वताकार देह दैत्यों में भी कम को प्राप्त है। किंतु स्वभाव से उसका वर्णन करना हो तो एक ही शब्द पर्याप्त है उसके वर्णनके लिये - 'भोला!' वह दैत्य है, अत: दत्यों को जो जन्मजात सिद्धियां प्राप्त होती हैं, उसमें भी हैं। बहुत कम वह उनका उपयोग करता है। केवल तब जब उसे कहीं जाने की इच्छा हो - गगनचर बन जाता है वह। अपना रूप भी वह परिवर्तित कर सकता है, जैसे यह बात उसे स्मरण ही

read more
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
3 – अकुतोभय

हिरण्यरोमा दैत्यपुत्र है, अत: कहना तो उसे दैत्य ही होगा। उसका पर्वताकार देह दैत्यों में भी कम को प्राप्त है। किंतु स्वभाव से उसका वर्णन करना हो तो एक ही शब्द पर्याप्त है उसके वर्णनके लिये - 'भोला!'

वह दैत्य है, अत: दत्यों को जो जन्मजात सिद्धियां प्राप्त होती हैं, उसमें भी हैं। बहुत कम वह उनका उपयोग करता है। केवल तब जब उसे कहीं जाने की इच्छा हो - गगनचर बन जाता है वह। अपना रूप भी वह परिवर्तित कर सकता है, जैसे यह बात उसे स्मरण ही


About Nojoto   |   Team Nojoto   |   Contact Us
Creator Monetization   |   Creator Academy   |  Get Famous & Awards   |   Leaderboard
Terms & Conditions  |  Privacy Policy   |  Purchase & Payment Policy   |  Guidelines   |  DMCA Policy   |  Directory   |  Bug Bounty Program
© NJT Network Private Limited

Follow us on social media:

For Best Experience, Download Nojoto

Home
Explore
Events
Notification
Profile