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Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 4 - महान कौन तीनों अधीश्वरों में महान कौन है? यह प्रश्न उठ खड़ा हुआ था ऋषियों के समाज में। सतयूग का निसर्ग-पावन काल और सब-के-सब वीतराग, तपोधन, ज्ञानमूर्ति; किन्तु कोई भी प्रश्न कहीं उठने के लिए क्या पूर्व भूमिका आवश्यक हुई है? जीवन को सृष्टि को उत्पन्न करने वाले भगवान् ब्रह्मा। सृष्टि को जीवन की सुरक्षा के संस्थापक भगवान नारायण। अपनी तृतीय नेत्र की वह्नि-शिखा में त्रिलोकी को क्षणार्ध में भस्म कर देने वाले प्रलयंकर शिव। सृष्टि के ये तीन अध

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12

।।श्री हरिः।।
4 - महान कौन

तीनों अधीश्वरों में महान कौन है? यह प्रश्न उठ खड़ा हुआ था ऋषियों के समाज में। सतयूग का निसर्ग-पावन काल और सब-के-सब वीतराग, तपोधन, ज्ञानमूर्ति; किन्तु कोई भी प्रश्न कहीं उठने के लिए क्या पूर्व भूमिका आवश्यक हुई है?

जीवन को सृष्टि को उत्पन्न करने वाले भगवान् ब्रह्मा। सृष्टि को जीवन की सुरक्षा के संस्थापक भगवान नारायण। अपनी तृतीय नेत्र की वह्नि-शिखा में त्रिलोकी को क्षणार्ध में भस्म कर देने वाले प्रलयंकर शिव। सृष्टि के ये तीन अध

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री हरिः।। 14 - सात्विकी श्रद्धा 'मैं एक प्रार्थना करने आया हूँ।' जिन्हें लोग 'सरकार' 'अन्नदाता' कहते थकते नहीं थे, वे नरेश स्वयं आये थे एक कंगाल ब्राह्मण की झोंपड़ी पर। उन्हें भी - जिनकी आज्ञा ही उनके राज्य में कानून थी और जिनकी इच्छा किसी को भी उजाड़-बसा सकती थी, उन्हें उस मुट्ठीभर हड्डी के दुर्बल ब्राह्मण से अपनी बात कहने में भय लगता था। 'क्या कहना है तुम्हें?' न सरकार, न अन्नदाता - वह ब्राह्मण इस प्रकार बोल रहा था जैसे नरेश वह है और जो नरेश उस

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10

।।श्री हरिः।।
14 - सात्विकी श्रद्धा

'मैं एक प्रार्थना करने आया हूँ।' जिन्हें लोग 'सरकार'  'अन्नदाता' कहते थकते नहीं थे, वे नरेश स्वयं आये थे एक कंगाल ब्राह्मण की झोंपड़ी पर। उन्हें भी - जिनकी आज्ञा ही उनके राज्य में कानून थी और जिनकी इच्छा किसी को भी उजाड़-बसा सकती थी, उन्हें उस मुट्ठीभर हड्डी के दुर्बल ब्राह्मण से अपनी बात कहने में भय लगता था। 

'क्या कहना है तुम्हें?' न सरकार, न अन्नदाता - वह ब्राह्मण इस प्रकार बोल रहा था जैसे नरेश वह है और जो नरेश उस


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