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Best प्राणों Shayari, Status, Quotes, Stories

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प्रवीण कुमार

भगतसिंह जयंती के उपलक्ष्य पर वाक्पुष्पाञ्जलि

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वीर धुरंधर हुआ जगत में भगतसिंह मतवाला एक ।                                 त्याग दिया धरती के खातिर प्राणों को दीवाना एक।। 

                       आन का रक्षक हुआ वह प्राणों का बलिदानीएक ।                       देशहित को जो करे समर्पण वही तत्त्वतः ज्ञानी एक।।   

                     वीरों की वसुधा में जन्मा नवयुवक पंजाबी एक।                              रात दिन वह यत्न ये करता किसविध मिले आजादी एक ।।    

                 न केवल वीर था वह महत्तम कर्मयोगी एक था वह।                                  रंगा स्वतंत्रता के रंग में ऐसा जोगी  एक था वह।। 

                             बड़ा निर्भीक था वह वीर वीरों के समूहों में।                                  किया विस्फोट था उसने गोरों के समूहों में।।  

                                  फांसी समय वह आत्महित एक हफ़ ना  बोला।                              हिला दे अंग्रेजी सरकार  ऐसा इंकलाब का नारा बोला।।    

                इनके बलिदान का प्रोत्साहन यहां कुछ हो न सकता ।                  "अमित"कुसुमांजलि अर्पित युगलचरणों में करता।।  

                                      विद्यार्थी अमितोपाध्यायः भगतसिंह जयंती के उपलक्ष्य पर वाक्पुष्पाञ्जलि

Yuva Shakti Sewa Sangathan

स्वतंत्रता, इतनी आसान नहीं थी। इस स्वतंत्रता की कीमत का अंदाजा शायद हम आप मिलकर भी नहीं लगा सकते हैं। जिस समय देश के ज्यादातर लोग स्वयं को और अपने परिवार के भविष्य को सुनहरा बनाने में व्यस्त थे उसी समय कुछ दीवाने देश की स्वतंत्रता के लिए खुद के प्राणों की आहुति दे रहे थे। उन्हें खुद से ज्यादा आने वाली पीढ़ी की स्वतंत्रता और उनके सुनहरे भविष्य की चिंता थी। न जाने कितने क्रांतिकारियों ने माँ भारती के सम्मान के लिए हंसते हंसते अपने प्राणों की आहुति स्वाधीनता संग्राम के महायज्ञ में दे दी। उन महान क्र

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 स्वतंत्रता, इतनी आसान नहीं थी। इस स्वतंत्रता की कीमत का अंदाजा शायद हम आप मिलकर भी नहीं लगा सकते हैं।
जिस समय देश के ज्यादातर लोग स्वयं को और अपने परिवार के भविष्य को सुनहरा बनाने में व्यस्त थे उसी समय कुछ दीवाने देश की स्वतंत्रता के लिए खुद के प्राणों की आहुति दे रहे थे। उन्हें खुद से ज्यादा आने वाली पीढ़ी की स्वतंत्रता और उनके सुनहरे भविष्य की चिंता थी। न जाने कितने क्रांतिकारियों ने माँ भारती के सम्मान के लिए हंसते हंसते अपने प्राणों की आहुति स्वाधीनता संग्राम के महायज्ञ में दे दी। उन महान क्र

S Ram Verma (इश्क)

 #प्राणों #में #छुपा #प्रेम

Dimple Lohar

# वीर सैनिको को मेरा नमन

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किया युद्ध करगिल में विजय दिला कर सैनिक सोया है
खुशी से गोली सीने में खाकर प्राणों को खोया है 
आज़ाद फिरते हैं आज़ाद घूमते हैं उसी सैनिक की शहादत से 
जो भारत माँ की रक्षा को कफन ओढ़ कर सोया है 
भारत माँ की रक्षा को कफन ओढ़ कर सोया है 
कर नमन अपने वतन के वीर सैनिको को 
जो माँ का आँचल छोड़ भारत माँ की गोद में सोया है 
भारत माँ की गोद में सोया है 
गोलियों को सीने में खाकर प्राणों को खोया है 
खुशी थी उनके चेहरे पर जो अपना फर्ज़ निभाया है 
देश की आन का देश की शान का एक बार फिर तिरंगा फहराया है
एक बार फिर तिरंगा फहराया है
देख के यह सैनिक का प्यार दिल मेरा बहुत रोया है
दिल मेरा बहुत रोया है।
भारत के वीर सैनिको को मेरा नमन
✍️ ✍️ Written by dimpy # वीर सैनिको को मेरा नमन

hgdshots

आतंकवाद आतंकवाद सोची समझी सियासी दिमागों की उपज है जिसमें कई प्राणों की आहुति चढ़ रही है और
 बदनाम हो रहे हैं मज़हब ।। #nojotoहिंदी#आतंकवाद #मज़हब#सियासी
#मसले#प्राणों#आहुति

अविरल आर्या

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केशरिया, सफ़ेद और हरा 
हर रंग कि अपनी पहचान है, 
और बीच में ये चौबिस तीलियाँ 
हर तीलियों कि एक परिभाषा है, 
ये विजय विश्व तिरंगा हमारा प्राणों 
से भी प्यारा है|
असत्य पर सत्य के विजय का एक नया 
इतिहास लिख, 
हमारे वतन के वीरों ने इसे आसमानों 
में लहराया है, 
ये विजय विश्व तिरंगा हमारा प्राणों 
से भी प्यारा है|
शरहदों पर वतन के लिये मर-मिटने 
वाले वीर जवानो ने जान दे अपनी 
तिरंगे को न झुकने दिया है, 
राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष में जाकर 
भारतीय ध्वज को लहराया है, 
ये विजय विश्व तिरंगा हमारा प्राणों से भी 
प्यारा है|
मैरिकॉम हो या पी.वी.सिंधु ने अपने हुनर 
का परचम लहरा, विश्व में अपने तिरंगे 
का शान बढ़ाया है, 
हिन्दू , मुस्लिम, सिख, ईसाई हर जाति-धर्म 
का ये तिरंगा मान-सम्मान है, 
आजादी के आगाज का ध्वज ये हमारा 
प्रमाण है,
ये विजय विश्व तिरंगा हमारा प्राणों से भी 
प्यारा है|

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11 ।।श्री हरिः।। 5 - भक्ति-मूल-विश्वास 'पानी!' कुल दस गज दूर था पानी उनके यहाँ से; किंतु दुरी तो शरीर की शक्ति, पहुँचने के साधनपर निर्भर है। दस कोस भी दस पद जैसे होते हैं स्वस्थ सबल व्यक्ति को और आज के सुगम वायुयान के लिये तो दस योजन भी दस पद ही हैं; किंतु रुग्ण, असमर्थ के लिए दस पद भी दस योजन बन जाते हैं - 'यह तो सबका प्रतिदिन का अनुभव है। 'पानी!' तीव्र ज्वराक्रान्त वह तपस्वी - क्या हुआ जो उससे दस गज दूर ही पर्वतीय जल-स्त्रोत है। वह तो आज अपने आसन से उठन

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11

।।श्री हरिः।।
5 - भक्ति-मूल-विश्वास

'पानी!' कुल दस गज दूर था पानी उनके यहाँ से; किंतु दुरी तो शरीर की शक्ति, पहुँचने के साधनपर निर्भर है। दस कोस भी दस पद जैसे होते हैं स्वस्थ सबल व्यक्ति को और आज के सुगम वायुयान के लिये तो दस योजन भी दस पद ही हैं; किंतु रुग्ण, असमर्थ के लिए दस पद भी दस योजन बन जाते हैं - 'यह तो सबका प्रतिदिन का अनुभव है।

'पानी!' तीव्र ज्वराक्रान्त वह तपस्वी - क्या हुआ जो उससे दस गज दूर ही पर्वतीय जल-स्त्रोत है। वह तो आज अपने आसन से उठन

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री हरिः।। 9 – अहिंसा बात बहुत पहले की है - इतने पहले की कि मनुष्य तब आज के दानवाकार यन्त्र बनाने की बात सोच भी नहीं सकता था। उस युग में भी एक वैज्ञानिक था। आज के वैज्ञानिक मुझे क्षमा करेंगे - मुझे लगता है कि अभी उस वैज्ञानिक के ज्ञान तक आज का मनुष्य नहीं पहुँच सका है। 'मैं अपने यनंत्रों के सब रहस्य आपको बतला दूँगा। मेरे सेवक उनके निर्माण में निपुण हैं और वे आपके आज्ञानुवर्ती रहेंगें।' उस वैज्ञानिक ने एक दिन भारत के एक वरिष्ठ पुरुष के सम्मुख प्रस्ता

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10

।।श्री हरिः।।
9 – अहिंसा

बात बहुत पहले की है - इतने पहले की कि मनुष्य तब आज के दानवाकार यन्त्र बनाने की बात सोच भी नहीं सकता था। उस युग में भी एक वैज्ञानिक था। आज के वैज्ञानिक मुझे क्षमा करेंगे - मुझे लगता है कि अभी उस वैज्ञानिक के ज्ञान तक आज का मनुष्य नहीं पहुँच सका है।

'मैं अपने यनंत्रों के सब रहस्य आपको बतला दूँगा। मेरे सेवक उनके निर्माण में निपुण हैं और वे आपके आज्ञानुवर्ती रहेंगें।' उस वैज्ञानिक ने एक दिन भारत के एक वरिष्ठ पुरुष के सम्मुख प्रस्ता

Akshay Nath Mishra

 चल साथी रे  
----------------
रगों में देशभक्ति ले  
बाजूओं में ताकत दे  
प्राणों की बगैर परवाह किए  
चल देश की सरहद पर चलें  । 
      चल साथी रे...

दुश्मनों के खेमें को तोड़ चलें  
ईंट का जबाव पत्थर से दे चलें  
हर खून का बदला ले चलें  
नापाक इरादे विध्वंश कर चलें  । 
    चल साथी रे ... 

 पूर्वजों के पथ पर बढ़ चलें  
 प्राणों को न्यौछावर  कर चलें 
 खुद को एक प्रेरणा बना चलें   
 चलो एक और शहादत कर चलें । 
       चल साथी रे ....
  #shaheeddiwas #nojoto #kavishala


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