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Juhi Grover
सना हुआ था इस तरह वो अपने ही खून के रंग में, सुर्ख लाल सा उसका तन-मन सपनों की लाशों से, बस दिन-ब-दिन अपना ही ईमान खोये जा रहा था, कि अपनों को ही अब पराया समझता जा रहा था। रंग रहा था खूब खुद को अब वो शोहरत के रंग में, अपनों सपनों के शोर से परे अजनबी महफ़िलों में, ज़िन्दगी को अपनी बेजान होते देखता जा रहा था, कि खुद भी खुद से शायद पराया होता जा रहा था। हो चुका था दूर वो अपनी ही इन्सानियत के रंग से, इन्सान हो कर भी इन्सान से दुश्मनी निभा कर के, जानवर का रंग उस पर खूब यों चढ़ता जा रहा था, कि जानवर से भी वो गया गुज़रा होता जा रहा था। कैसे कोई वाकिफ़ हो उस वक़्त की दुर्दशा के रंग से, जब इन्सान ही खुद सना हो यों इन्सान के ही रंग से, दौड़ में पैसों की क्यों अब ये अन्धा होता जा रहा है, कि क्यों खुद का ही वो क़त्ल होते देखता जा रहा है? क्यों निकलना नहीं चाहता बाहर इस अन्धी दौड़ से, क्यों इन्सानियत को ज़ख्मी कर अपने ही स्वार्थ से, क्यों धर्मान्धता की ओर स्वार्थवश बढ़ता जा रहा है, क्यों बिन सोचे समझे पुतला बन चलता जा रहा है? सना हुआ था इस तरह वो अपने ही खून के रंग में, सुर्ख लाल सा उसका तन-मन सपनों की लाशों से, बस दिन-ब-दिन अपना ही ईमान खोये जा रहा था, कि अपनों को ही अब पराया समझता जा रहा था। रंग रहा था खूब खुद को अब वो शोहरत के रंग में, अपनों सपनों के शोर से परे अजनबी महफ़िलों में, ज़िन्दगी को अपनी बेजान होते देखता जा रहा था,
सना हुआ था इस तरह वो अपने ही खून के रंग में, सुर्ख लाल सा उसका तन-मन सपनों की लाशों से, बस दिन-ब-दिन अपना ही ईमान खोये जा रहा था, कि अपनों को ही अब पराया समझता जा रहा था। रंग रहा था खूब खुद को अब वो शोहरत के रंग में, अपनों सपनों के शोर से परे अजनबी महफ़िलों में, ज़िन्दगी को अपनी बेजान होते देखता जा रहा था, #yqdidi #yqhindi #दुर्दशा #वाकिफ़ #besthindiquotes #सनाहुआ
read moreAnkita Tripathi
भगवा चोला ओढ़ के समाज को नरक में छोड़ के बन गये हैं ये ठेकेदार धर्म को तोड़ मरोड़ के #दुर्दशा #समाज #YQbaba #YQdidi #YoPoWriMo #tpmd
अम्बुज बाजपेई"शिवम्"
आसमां की आग को कुछ कम कर दे ए मौला, कोई नंगें पांव चल दिया है अपने घर की ओर। #मजदूर #घरवापसी #दुर्दशा #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yourquote #yqhindi
Dr Manju Juneja
जो उठाता है किसी गलत के खिलाफ आवाज उसी आवाज को ही दबा दिया जाता है देखो ! मेरे भारत का कितना सुंदर चित्रण दिखाता है , कहता है के भारत माँ है, मगर अपनी ही माँ को वो बेच खाता है । #मेरभारत #चित्रण #बेच #खाताहै #दुर्दशा #हालत #nojotohindi #thought #quoteofthaday #nojotonews #
rashida khushnood
नशे में गाड़ी चलाना मना है..... नशेड़ी जिस घर में हो वहाँ खुशहाली को आना मना है, मगर देखिए नियती कि इस महामारी के समय, नशेड़ियों को मिला है मौका.... तो रोक पाना मना है।। लॉकडाउन तो हर जगह है मगर.... पान-गुटका, शराब का रास्ता खुला है, घर में चाहे खाने को हो न हो, मगर..... नशे में खोकर दुनिया भुला देना है।। -Rashida Khushnood #दुखद_अहसास #दुर्दशा #Nojoto #nojotohindi #hindinojoto #नोजोटो #lockdown
G.p. Aulakh
 किसान पर कविता – Kisan par Kavita in Hindi – Bhartiya Kisan Par Kavita – Poem on Farmer Homepage Hindi Lekh kavita  किसान वर्ग हमारे देश का सबसे महत्वपूर्ण वर्ग है| यह हमारे अन्न दाता है| इनकी मेहनत और परिश्रम के वजह से हम सब 2 वक्त का खाना खा पा रहे है| भारत में अजा के समय में हर साल लगभग 3 से लेकर चार हजार किसान आत्महत्या कर लेते है| इस दुखद घटनाओ की वजह अनाज के बदले काम रकम मिलना, बारिश न आना, आदि है| आज के समय में भी भारत के किसानो को वो लाभ नहीं मिल पाए है जिसके वे हकदार है| आज के इस पोस्ट में हम आपको जय जवान जय किसान पर कविता, किसान पर कविता इन हिंदी, किसान पर हिन्दी कविता, किसान आत्महत्या पर कविता, किसान पर हिंदी कविता, गरीब किसान पर कविता, किसान दिवस पर कविता, इन मराठी, हिंदी, इंग्लिश, बांग्ला, गुजराती, तमिल, तेलगु, आदि की जानकारी देंगे जिसे आप अपने स्कूल कविता प्रतियोगिता, कार्यक्रम या भाषण प्रतियोगिता में प्रयोग कर सकते है| ये कविता खासकर कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए दिए गए है| भारतीय किसान पर कविता अक्सर class 1, class 2, class 3, class 4, class 5, class 6, class 7, class 8, class 9, class 10, class 11, class 12 के बच्चो को कहा जाता है किसान पर कविता पर कविता लिखें|आइये अब हम आपको किसान की मेहनत पर कविता, खेती पर कविता, किसानों पर कविता, किसान par kavita, भारतीय किसान पर निबंध इन हिंदी, किसान पर छोटी कविता, भारत के किसान पर निबंध, किसानों की दुर्दशा पर कविता, किसान पर शायरी, किसान आंदोलन पर कविता, किसान के दर्द पर कविता, किसान पर कविताएं, किसान की बदहाली पर कविता, किसान और जवान पर कविता आदि की जानकारी देंगे जिसे आप whatsapp, facebook व instagram पर अपने groups में share कर सकते हैं| बूँद बूँद को तरसे जीवन, बूँद से तड़पा हर किसान बूँद नही हैं कही यहाँ पर गद्दी चढ़े बैठे हैवान. बूँद मिली तो हो वरदान बूँद से तरसा हैं किसान बूँद नही तो इस बादल में देश का डूबा है अभिमान बूँद से प्यासा हर किसान बूँद सरकारों का फरमान बूँद की राजनीति पर देखों डूब रहा है हर इंसान. कड़ी धूप हो या हो शीतकाल, हल चलाकर न होता बेहाल. रिमझिम करता होगा सवेरा, इसी आस में न रोकता चाल. खेती बाड़ी में जुटाता ईमान, महान पुरूष हैं, है वो किसान. छोटे-छोटे से बीज बोता, वही एक बड़ा खेत होता. जिसकी दरकार होती उसे, बोकर उसे वह तभी सोता. खेतो का कण-कण हैं जिसकी जान, महान पुरूष है, है वो किसान. Kisan Par Kavita  हो विष्णु तुम धरा के, हल सुदर्शन तुम्हार !! बिना शेष-शैया के ही, होता दर्शन तुम्हारा !! पत्थर को पूजने वाले, क्या समझेंगे मोल तेरा !! माँ भारती के ज्येष्ठ सुत, तुमको नमन हमारा !!! लिखता मैं किसान के लिए मैं लिखता इंसान के लिए नहीं लिखता धनवान के लिए नहीं लिखता मैं भगवान के लिए लिखता खेत खलियान के लिए लिखता मैं किसान के लिए नहीं लिखता उद्योगों के लिए नहीं लिखता ऊँचे मकान के लिए लिखता हूँ सड़कों के लिए लिखता मैं इंसान के लिए क़लम मेरी बदलाव बड़े नहीं लाई नहीं उम्मीद इसकी मुझे खेत खलियान में बीज ये बो दे सड़क का एक गढ्ढा भर देती ये काफ़ी इंसान के लिए लिखता हूँ किसान के लिए लिखता मैं इंसान के लिए आशा नहीं मुझे जगत पढ़े पर जगत का एक पथिक पढ़े फिर लाए क्रांति इस समाज के लिए इसलिए लिखता मैं दबे-कुचलों के लिए पिछड़े भारत से ज़्यादा भूखे भारत से डरता हूँ फिर हरित क्रांति पर लिखता हूँ फिर किसान पर लिखता हूँ क्योंकि लिखता मैं किसान के लिए लिखता मै इंसान के लिए किसान की दुर्दशा पर कविता साथ ही देखें भारतीय किसान पर निबंध संस्कृत में, भारतीय किसान पर निबंध लिखे, किसान पर निबंध हिंदी में, किसान पर निबंध इन हिंदी, भारत किसान पर निबंध, किसान पर कविता हिंदी में, किसान पर आधारित कविता, किसान पर कविता राजस्थानी, किसानों पर कविताएं का सम्पूर्ण कलेक्शन| जय भारतीय किसान तुमने कभी नहीं किया विश्राम हर दिन तुमने किया है काम सेहत पर अपने दो तुम ध्यान जय भारतीय किसान. अपना मेहनत लगा के रूखी सूखी रोटी खा के उगा रहे हो तुम अब धान जय भारतीय किसान. परिश्रम से बेटों को पढ़ाया मेहनत का उनको पाठ सिखाया लगाने के लिए नौकरी उनको किसी ने नहीं दिया ध्यान जय भारतीय किसान. सभी के लिए तुमने घर बनाए अपने परिवार को झोपडी में सुलाए तुमको मिला नही अच्छा मकान जय भारतीय किसान. लोकगीत को गा के सबके सोए भाग जगा के उगा रहे हो तुम अब धान जय भारतीय किसान. बंजर सी धरती से सोना उगाने का माद्दा रखता हूँ, पर अपने हक़ की लड़ाई लड़ने से डरता हूँ. ये सूखा, ये रेगिस्तान, सुखी हुई फसल को देखता हूँ, न दीखता कोई रास्ता तभी आत्महत्या करता हूँ . उड़ाते हैं मखौल मेरा ये सरकारी कामकाज , बन के रह गया हूँ राजनीती का मोहरा आज . क्या मध्य प्रदेश क्या महाराष्ट्र , तमिलनाडु से लेकर सौराष्ट्र , मरते हुए अन्नदाता की कहानी बनता, मै किसान हूँ ! साल भर करूँ मै मेहनत, ऊगाता हूँ दाना , ऐसी कमाई क्या जो बिकता बहार रुपया पर मिलता चार आना. न माफ़ कर सकूंगा, वो संगठन वो दल, राजनीती चमकाते बस अपनी, यहाँ बर्बाद होती फसल. डूबा हुआ हूँ कर में , क्या ब्याज क्या असल, उन्हें खिलाने को उगाया दाना, पर होगया मेरी ही जमीं से बेदखल. बहुत गीत बने बहुत लेख छपे की मै महान हूँ, पर दुर्दशा न देखी मेरी किसी ने, ऐसा मैं किसान हूँ ! लहलहाती फसलों वाले खेत अब सिर्फ सनीमा में होते हैं, असलियत तो ये है की हम खुद ही एक-एक दाने को रोते हैं. #MeraShehar
Anu Shree Dubey "Akshara"
बापू यह हमारे देश में कैसी आंधी आ गई। अब इंसानियत खत्म हुई चारों तरफ दुर्दशा छा गई। संसद में बैठे गीदड़ शेर बन कर धाड़ रहे। विरोध करें आपस में चीख चीख गला फाड़ रहे। कोयल बैठी मौन देखो काक सभा में बोल रहे। आरक्षण में देखो इंसानों को जाति से तोल रहे। इंसान बने हैवान देखो इंसानों को खाते जा रहे। समाज में देखो बापू कैसे परिवर्तन आते जा रहे। बापू तुमने देखा था सपना भारत हमेशा आजाद रहे। तुमने देखा था सपना कि हर नगरिक आबाद रहे। भारत के नगरिक देखो आबाद होकर आबाद नहीं। देखो बापू भारत आज भी आजाद होकर आजाद नहीं। लडाई करवाते फिरते इंसानों का कोई काम नहीं। इंसान जानवर बन रहा इंसान का कहीं नाम नहीं। यह पश्चात सभ्यता आती समाज के अनुकूल नहीं। कौन कहता है इसमें इंसानों की कोई भूल नहीं। संसद में बैठे गीदड़ शेर बन कर धाड़ रहे। विरोध करें आपस में चीख चीख गला फाड़ रहे। बापू यह हमारे देश में कैसी आंधी आ गई। अब इंसानियत खत्म हुई चारों तरफ दुर्दशा छा गई। बापू
बापू
read morePallavi Mishra
शायर / ओजकवि प्रशांत व्यास "रुद्र"
हिम की तुंग शिखर श्लाकाओं तुम्हे भोर का वंदन हैं। महोदधि रक्षक भारत भू के तुम्हारा अभिनन्दन हैं। लक्ष मिटे है लक्ष मिटेंगे प्रेम दीप हृदय में उज्ज्वल श्रृंगार नही अंगार कहूँगा जब तक घर घर में कृन्दन हैं। प्रेम गीत तुम प्रिय सखा संभालो हृदय के कृन्दन को मुझमे तो सामर्थ्य नही है श्रृंगार से हर लूं मन को अग्निकुल की प्रिय प्रथा को मैंने अपनाया हैं #Poetry
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