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ViRan
Clean India मानव का सबसे बड़ा हथियार उसके अंता मन मे स्थित उसकी एकाग्र बुद्धि है, जिसका प्रयोग वो अपनी सुरक्षा के लिए समस्त कार्य मे करता है, ओर यदि उसकी यही बुद्धि क्रगु हो जाए तो वो उस अवस्था मे चला जाता है जिसमे उसको न खुद की इज़्ज़त कि फिक्र ओर न समाज मे स्थित सामाजिक प्राणीयो की। अतः वो प्राणी जीवजीविक नही अपितु उसकी सफाई हिर्दय एवम देश से कर देनी चाहिए... #cleanindia #killbadhabbited #human diatroy...
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read moreSunny Koshal
मेरा शहर पवित्र नगरी एवं धार्मिक पर्यटन स्थल हरिद्वार है जिसका वर्णन पौराणिक काल से कथाओं में भी आता है दोनों तरफ शिवालिक पर्वत श्रेणी के बीच में बसा हुआ मां गंगा के तट पर स्थित हरिद्वार बहुत ही मनोहारी एवं शांत वातावरण से परिपूर्ण है हर साल के यहां करोड़ों श्रद्धालु पवित्र हर की पौड़ी में स्थित ब्रह्मकुंड मैं डुबकी लगाकर अपने पाप धोते हैं प्रतिवर्ष लगने वाला प्रसिद्ध कांवड़ मेले की यात्रा भी यहीं से शुरुआत होती है 12 वर्ष के अंतराल के बाद लगने वाला विश्व प्रसिद्ध कुंभ मेले का भी यहां आयोजन होता है भगवान शिव शंकर के ससुर राजा दक्ष प्रजापति की भी कनखल जो कि हरिद्वार क्षेत्र के अंतर्गत आता है राजधानी थी इसी वजह से जो कि मेरा शहर है मुझे गौरव महसूस होता है कि मेरा जन्म कहां हुआ है जिस जगह पर भगवान की असीम अनुकंपा थी हरिद्वार का नाम हरिद्वार इसलिए पड़ा है क्योंकि यह हरि की नगरी है चलो तरफ वन संपदा एवं हरियाली से गिरा हुआ हरिद्वार अत्यंत मनोहरी लगता है यात्रियों की चहल-पहल जोत तीर्थाटन करने आते हैं उस से भरा पूरा रहता है अनेकों मंदिर हरिद्वार में विश्व प्रसिद्ध है शिवालिक पर्वत श्रेणियों में स्थित माता मां मनसा देवी एवं मां चंडी देवी का मंदिर दूर से देखने वाले यात्रियों को अवनी और आकर्षित करता है मुझे बहुत अच्छा लगता है और आनंदित लगता है अपना शहर और और मैं अपने आप को धन्य मानता हूं मेरा जन्म किस जगह हुआ है #MeraShehar
Anil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 2 – ग्रह-शान्ति 'मनुष्य अपने कर्म का फल तो भोगेगा ही। हम केवल निमित्त हैं उसके कर्म-भोग के और उसमें हमारे लिये खिन्न होने की कोई बात नहीं है।' आकाश में नहीं, देवलोक में ग्रहों के अधिदेवता एकत्र हुए थे। आकाश में केवल आठ ग्रह एकत्र हो सकते हैं। राहु और केतु एक शरीर के ही दो भाग हैं और दोनों अमर हैं। वे एकत्र होकर पुन: एक न हो जायें, इसलिये सृष्टिकर्ता ने उन्हें समानान्तर स्थापित करके समान गति दे दी है। आधिदैवत जगत में भी ग्रह आठ ही एकत्र होते
read moreDeepak Raghuwanshi
यह सत्य है कि लोहे को लोहे से ही काटा जा सकता है और पत्थर से ही पत्थर को तोडा जा सकता है मगर हृदय चाहे कितना भी कठोर क्यों ना हो उसको पिघलाने को कठोर वाणी कभी कारगर नहीं हो सकती क्योंकि वह केवल और केवल नरम वाणी से ही पिघल सकता है क्रोध को क्रोध से नहीं जीता जा सकता बोध से जीता जा सकता है अग्नि अग्नि से नहीं बुझती जल से बुझती है समझदार व्यक्ति बड़ी से बड़ी बिगडती स्थित को दो शब्द प्रेम के बोलकर संभाल लेते हैं हर स्थित में संयम रखो संयम ही आपको कलेशो से बचा सकता हैं आखों में शर्म रहे और वाणी नरम रहे तो समझ लेना परमसुख आप से दूर नहीं जय श्री राधे कृष्णा
आयुष पंचोली
कलयुग का अन्त और कल्की अवतार। जो काल , जो चीज घटित हो गई उसकी बातें करना, उस पर शोध करना, और उससे सम्बंधित निष्कर्ष पर पहुचना तो बहुत आसान हैं। मगर जो हुआ ही नही उसके बारे मे , आने वाले कल के बारे मे कैसे जाना जायें इसका कोई विकल्प विज्ञान के पास मौजूद नही हैं। मगर आध्यात्म ध्यान और योग के माध्यम से भविष्य को जानने का उदाहरण कई बार पेश कर चुका हैं। अब अगर उसे कल्पना भी माने तो भी एक प्रकार से वही काल्पनिक सोच जब तक तथ्योके साथ घटित होती हुई दिखती हैं, तो फिर उस आध्यात्म के उस शोध पर विश्वास होने लगता हैं की हाँ, शायद ऐसा हो
जो काल , जो चीज घटित हो गई उसकी बातें करना, उस पर शोध करना, और उससे सम्बंधित निष्कर्ष पर पहुचना तो बहुत आसान हैं। मगर जो हुआ ही नही उसके बारे मे , आने वाले कल के बारे मे कैसे जाना जायें इसका कोई विकल्प विज्ञान के पास मौजूद नही हैं। मगर आध्यात्म ध्यान और योग के माध्यम से भविष्य को जानने का उदाहरण कई बार पेश कर चुका हैं। अब अगर उसे कल्पना भी माने तो भी एक प्रकार से वही काल्पनिक सोच जब तक तथ्योके साथ घटित होती हुई दिखती हैं, तो फिर उस आध्यात्म के उस शोध पर विश्वास होने लगता हैं की हाँ, शायद ऐसा हो #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #ayuspiritual #mereprashnmerisoch #dashavtaar
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 7 - निष्ठा की विजय 'मैं महाशिल्पी को बलात् अवरुद्ध करने का साहस नहीं कर सकता।' स्वरों में नम्रता थी और वह दीर्घकाय सुगठित शरीर भव्य पुरुष सैनिक वेश में भी सौजन्य की मूर्ति प्रतीत हो रहा था। वह समभ नहीं पा रहा था कि आज इस कलाकार को कैसे समभावें। 'मेरे अन्वेषक पोतों ने समाचार दिया है कि प्रवाल द्वीपों के समीप दस्यु-नौकाओं के समूह एकत्र हो रहे हैं। ये आरब्य म्लेच्छ दस्यु कितने नृशंस हैं, यह श्रीमान से अविदित नहीं है और महाशिल्पी सौराष्ट्र के
read moreShakti Kumar
परंतु आज कमरे में उसे एक नया परिवर्तन नजर आया जिसने उसकी जिंदगी को ही परिवर्तित कर दिया........................... आज उसे कमरे में स्थित खिड़की खुली नजर आई जो अब तक हमेशा बंद रहती थी रोहन से पूछा तो मालूम हुआ कल ही इंस्टीट्यूट वालों ने हॉस्टल में खिड़की खोलने की इजाजत दी है अद्भुत नजारा था बाहर का पीपल का वटवृक्ष और उस पर चहकती चिड़िया अचानक ही आकाश की नजर दाएं तरफ स्थित राधिका गर्ल्स हॉस्टल की तरफ गई हरे रंग से रंगा एक कमरा कमरे की खुली खिड़की और खिड़की में बैठी एक अनजान लड़की जो जल्दी ही अनजा
परंतु आज कमरे में उसे एक नया परिवर्तन नजर आया जिसने उसकी जिंदगी को ही परिवर्तित कर दिया........................... आज उसे कमरे में स्थित खिड़की खुली नजर आई जो अब तक हमेशा बंद रहती थी रोहन से पूछा तो मालूम हुआ कल ही इंस्टीट्यूट वालों ने हॉस्टल में खिड़की खोलने की इजाजत दी है अद्भुत नजारा था बाहर का पीपल का वटवृक्ष और उस पर चहकती चिड़िया अचानक ही आकाश की नजर दाएं तरफ स्थित राधिका गर्ल्स हॉस्टल की तरफ गई हरे रंग से रंगा एक कमरा कमरे की खुली खिड़की और खिड़की में बैठी एक अनजान लड़की जो जल्दी ही अनजा #nojotophoto
read moreanil kumar y625163
पूर्वी चीन के हानचाओ शहर में स्थित पश्चिमी झील अपने असाधारण प्राकृतिक सौंदर्य के कारण विश्वविख्यात है। 14वीं शताब्दी में इटली के मशहूर यात्री मार्कोपोलो जब हानचाओ आया, उसने पश्चिमी झील की खूबसूरती देख कर उस की इन शब्दों में सराहना की कि "जब मैं यहां पहुंचा, तो लगा जैसे मैं स्वर्ग में आ गया हूँ।" पश्चिमी झील पूर्वी चीन के चेच्यांग प्रांत की राजधानी हानचाओ शहर का एक मोती मानी जाती है । वह तीनों तरफ पहाड़ों से घिरी है, झील के पानी स्वच्छ और दृश्य मनमोहक है। चीन के प्राचीन महाकवि पाई च्युई और सु त
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11 ।।श्री हरिः।। 5 - भक्ति-मूल-विश्वास 'पानी!' कुल दस गज दूर था पानी उनके यहाँ से; किंतु दुरी तो शरीर की शक्ति, पहुँचने के साधनपर निर्भर है। दस कोस भी दस पद जैसे होते हैं स्वस्थ सबल व्यक्ति को और आज के सुगम वायुयान के लिये तो दस योजन भी दस पद ही हैं; किंतु रुग्ण, असमर्थ के लिए दस पद भी दस योजन बन जाते हैं - 'यह तो सबका प्रतिदिन का अनुभव है। 'पानी!' तीव्र ज्वराक्रान्त वह तपस्वी - क्या हुआ जो उससे दस गज दूर ही पर्वतीय जल-स्त्रोत है। वह तो आज अपने आसन से उठन
read moreNarendra Singh Yadav
तीर्थ दर्शन / राजसत्ता सुख दिलाने वाला है मां पीतांबरा सिद्धपीठ, 1935 में हुई थी मातृ शक्ति की आराधना नवरात्र पर्व में देश के विभिन्न मंदिरों पर भक्तों का तांता लगा हुआ है। इस मौके पर आपको मध्यप्रदेश के दतिया जिले में स्थित मां पीतांबरा के मंदिर के बारे में बता रहे हैं। इस सिद्धपीठ की स्थापना 1935 में स्वामीजी के द्वारा की गई। यहां पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी या अटल बिहारी वाजपेयी हो या फिर राजमाता विजयाराजे सिंधिया ही क्यों न हो सभी ने माता का आशीर्वाद प्राप्त किया।। ऐेसा म
तीर्थ दर्शन / राजसत्ता सुख दिलाने वाला है मां पीतांबरा सिद्धपीठ, 1935 में हुई थी मातृ शक्ति की आराधना नवरात्र पर्व में देश के विभिन्न मंदिरों पर भक्तों का तांता लगा हुआ है। इस मौके पर आपको मध्यप्रदेश के दतिया जिले में स्थित मां पीतांबरा के मंदिर के बारे में बता रहे हैं। इस सिद्धपीठ की स्थापना 1935 में स्वामीजी के द्वारा की गई। यहां पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी या अटल बिहारी वाजपेयी हो या फिर राजमाता विजयाराजे सिंधिया ही क्यों न हो सभी ने माता का आशीर्वाद प्राप्त किया।। ऐेसा म
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