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Best फीट Shayari, Status, Quotes, Stories

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कवि मनीष

यहाँ है दुन‍िया का सबसे ऊंचा श‍िवल‍िंग, 51 लाख रुद्राक्ष से है बना गुजरात के जूनागढ़ में विश्व का सबसे ऊंचा रुद्राक्ष का शिवलिंग बनाया गया है. अभी तक व‍िश्व में सबसे ऊंचा रुद्राक्ष का श‍िवल‍िंग राजस्थान के जोधपुर ज‍िले में था ज‍िसकी ऊंचाई 33 फीट है. महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर जूनागढ़ में मिनी कुम्भ मेला शुरू हो रहा है. इसका सबसे बड़ा आकर्षण बना ये शिवलिंग 51 फिट ऊंचा है जो कि एक र‍िकॉर्ड है. इसे देख लोग श्रद्धा के साथ स‍िर झुका रहे हैं. ये शिवलिंग 51 लाख रुद्राक्ष से बनाया गया है. श‍िवल‍िंग को दूर से देखने पर ये अंदाज ही नहीं होता क‍ि ये रुद्राक्ष का बना है. पास आते ही इसकी भव्यता नजर आती है. इसके चारों ओर एक बड़ी से माला भी पहनाई गई है.

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 यहाँ है दुन‍िया का सबसे ऊंचा श‍िवल‍िंग, 51 लाख रुद्राक्ष से है बना

गुजरात के जूनागढ़ में विश्व का सबसे ऊंचा रुद्राक्ष का शिवलिंग बनाया गया है. अभी तक व‍िश्व में सबसे ऊंचा रुद्राक्ष का श‍िवल‍िंग राजस्थान के जोधपुर ज‍िले में था ज‍िसकी ऊंचाई 33 फीट है.

महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर जूनागढ़ में मिनी कुम्भ मेला शुरू हो रहा है. इसका सबसे बड़ा आकर्षण बना ये शिवलिंग 51 फिट ऊंचा है जो कि एक र‍िकॉर्ड है. इसे देख लोग श्रद्धा के साथ स‍िर झुका रहे हैं.

ये शिवलिंग 51 लाख रुद्राक्ष से बनाया गया है. श‍िवल‍िंग को दूर से देखने पर ये अंदाज ही नहीं होता क‍ि ये रुद्राक्ष का बना है. पास आते ही इसकी भव्यता नजर आती है. इसके चारों ओर एक बड़ी से माला भी पहनाई गई है.

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 10 – अनुगमन 'ठहरो!' जैसे किसी ने बलात्‌ पीछे से खींच लिया हो। सचमुच दो पग पीछे हट गया अपने आप। मुख फेरकर पीछे देखना चाहा उसने इस प्रकार पुकारने वाले को, जिसकी वाणी में उसके समान कृतनिश्चयी को भी पीछे खींच लेने की शक्ति थी। थोड़ी दूर शिखर की ओर उस टेढ़े-मेढ़े घुमावदार पथ से चढ़कर आते उसने एक पुरुष को देख लिया। मुण्डित मस्तक पर तनिक-तनिक उग गये पके बालों ने चूना पोत दिया था। यही दशा नासिका और उसके समीप के कपाल के कुछ भागों कों छोड़कर शेष मु

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12

।।श्री हरिः।।
10 – अनुगमन

'ठहरो!' जैसे किसी ने बलात्‌ पीछे से खींच लिया हो। सचमुच दो पग पीछे हट गया अपने आप। मुख फेरकर पीछे देखना चाहा उसने इस प्रकार पुकारने वाले को, जिसकी वाणी में उसके समान कृतनिश्चयी को भी पीछे खींच लेने की शक्ति थी।

थोड़ी दूर शिखर की ओर उस टेढ़े-मेढ़े घुमावदार पथ से चढ़कर आते उसने एक पुरुष को देख लिया। मुण्डित मस्तक पर तनिक-तनिक उग गये पके बालों ने चूना पोत दिया था। यही दशा नासिका और उसके समीप के कपाल के कुछ भागों कों छोड़कर शेष मु

Priyanka Mandoli

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#OpenPoetry बात जुनून की है साहिब ,

जुनून से ही  29,029 फीट का एवरेस्ट भी 5 फीट के आदमी क सामने छोटा पड गया।
जुनून से ही चांद इन्सान के कदमो के नीचे आ गया।

Mularam Bana

*करगिल 👍विजय दिवस: 20 साल पहले आज के दिन 🇮🇳भारत ने सरहद पर छुड़ाए थे पाक के👊 छक्के* ''या तो तू युद्ध में बलिदान देकर स्वर्ग को प्राप्त करेगा या विजयश्री प्राप्त कर धरती का राज भोगेगा।'' गीता के इसी श्लोक को प्रेरणा मानकर भारत के शूरवीरों ने कारगिल युद्ध में दुश्मन को पांव पीछे खींचने के लिए मजबूर कर दिया था। कृतज्ञ राष्ट्र भारत आज कारगिल पर विजय की 20वीं वर्षगांठ मना रहा है। 1999 में आज ही के दिन भारत के वीर सपूतों ने कारगिल की चोटियों से पाकिस्तानी फौज को खदेड़कर तिरंगा फहराया था। 1998 की सर्द

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 *करगिल 👍विजय दिवस: 20 साल पहले आज के दिन 🇮🇳भारत ने सरहद पर छुड़ाए थे पाक के👊 छक्के*

''या तो तू युद्ध में बलिदान देकर स्वर्ग को प्राप्त करेगा या विजयश्री प्राप्त कर धरती का राज भोगेगा।'' गीता के इसी श्लोक को प्रेरणा मानकर भारत के शूरवीरों ने कारगिल युद्ध में दुश्मन को पांव पीछे खींचने के लिए मजबूर कर दिया था। कृतज्ञ राष्ट्र भारत आज कारगिल पर विजय की 20वीं वर्षगांठ मना रहा है। 1999 में आज ही के दिन भारत के वीर सपूतों ने कारगिल की चोटियों से पाकिस्तानी फौज को खदेड़कर तिरंगा फहराया था।

1998 की सर्द

Mularam Bana

*करगिल 👍विजय दिवस: 20 साल पहले आज के दिन 🇮🇳भारत ने सरहद पर छुड़ाए थे पाक के👊 छक्के* ''या तो तू युद्ध में बलिदान देकर स्वर्ग को प्राप्त करेगा या विजयश्री प्राप्त कर धरती का राज भोगेगा।'' गीता के इसी श्लोक को प्रेरणा मानकर भारत के शूरवीरों ने कारगिल युद्ध में दुश्मन को पांव पीछे खींचने के लिए मजबूर कर दिया था। कृतज्ञ राष्ट्र भारत आज कारगिल पर विजय की 20वीं वर्षगांठ मना रहा है। 1999 में आज ही के दिन भारत के वीर सपूतों ने कारगिल की चोटियों से पाकिस्तानी फौज को खदेड़कर तिरंगा फहराया था। 1998 की सर्द

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 *करगिल 👍विजय दिवस: 20 साल पहले आज के दिन 🇮🇳भारत ने सरहद पर छुड़ाए थे पाक के👊 छक्के*

''या तो तू युद्ध में बलिदान देकर स्वर्ग को प्राप्त करेगा या विजयश्री प्राप्त कर धरती का राज भोगेगा।'' गीता के इसी श्लोक को प्रेरणा मानकर भारत के शूरवीरों ने कारगिल युद्ध में दुश्मन को पांव पीछे खींचने के लिए मजबूर कर दिया था। कृतज्ञ राष्ट्र भारत आज कारगिल पर विजय की 20वीं वर्षगांठ मना रहा है। 1999 में आज ही के दिन भारत के वीर सपूतों ने कारगिल की चोटियों से पाकिस्तानी फौज को खदेड़कर तिरंगा फहराया था।

1998 की सर्द

Jaydip Khatrani

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रथयात्रा में सबसे आगे ताल ध्वज पर श्री बलराम, उसके पीछे पद्म ध्वज रथ पर माता सुभद्रा और सबसे पीछे नन्दीघोष नाम के रथ पर श्री जगन्नाथ जी चलते हैं। तालध्वज रथ 65 फीट लंबा, 65 फीट चौड़ा और फीट ऊंचा है। इसमें 7 फीट व्यास के 17 पहिये लगे होते हैं। बलराम जी और सुभद्रा जी दोनों का रथ प्रभु जगन्नाथ जी के रथ से छोटा होता है।

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 9 || श्री हरि: || 8 - सुहृदं सर्वभूतानाम् 'सावधान!' हवाईजहाज के लाउडस्पीकर से आदेश का स्वर आया। यह अंतिम सूचना थी। वह पहले से ही द्वार के सम्मुख खड़ा था और द्वार खोला जा चुका था। उसकी पीठ पर हवाई छतरी बँधी थी। रात्रि के प्रगाढ़ अंधकार में नीचे कुछ भी दिखायी नहीं दे रहा था। केवल आकाश में दो-चार तारे कभी-कभी चमक जाते थे। मेघ हल्के थे। वर्षा की कोई सम्भावना नहीं थी। बादलों के होने से जो अंधकार बढा था, उसने आश्वासन ही दिया कि शत्रु छतरी से कूदने वाले को देख नह

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 9

|| श्री हरि: ||
8 - सुहृदं सर्वभूतानाम्

'सावधान!' हवाईजहाज के लाउडस्पीकर से आदेश का स्वर आया। यह अंतिम सूचना थी। वह पहले से ही द्वार के सम्मुख खड़ा था और द्वार खोला जा चुका था। उसकी पीठ पर हवाई छतरी बँधी थी। रात्रि के प्रगाढ़ अंधकार में नीचे कुछ भी दिखायी नहीं दे रहा था। केवल आकाश में दो-चार तारे कभी-कभी चमक जाते थे। मेघ हल्के थे। वर्षा की कोई सम्भावना नहीं थी। बादलों के होने से जो अंधकार बढा था, उसने आश्वासन ही दिया कि शत्रु छतरी से कूदने वाले को देख नह

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 14 - कोप या कृपा 'मातः!' बड़ा करुण स्वर था हिमभैरव का। यह उज्जवल वर्ण, स्वभाव से स्थिर-प्रशान्त, यदा-कदा ही क्रुद्ध होने वाला रुद्रगण बहुत कम बोलता है। बहुत कम अन्य गणों के सम्पर्क में आता है। उग्रता की अपेक्षा सौम्यता ही इसमें अधिक है। साम्बशिव की एकान्त सेवा और स्थिर आसन किंतु जब इसे क्रोध आता है - अन्ततः भैरव ही है, पूरा प्रलय उपस्थित कर देगा। किंतु आज यह बहुत ही व्यथित जान पड़ता है। 'तुम इतने कातर क्यों हो वत्स?' जगदम्बा शैलसुता ने अनुक

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
14 - कोप या कृपा

'मातः!' बड़ा करुण स्वर था हिमभैरव का। यह उज्जवल वर्ण, स्वभाव से स्थिर-प्रशान्त, यदा-कदा ही क्रुद्ध होने वाला रुद्रगण बहुत कम बोलता है। बहुत कम अन्य गणों के सम्पर्क में आता है। उग्रता की अपेक्षा सौम्यता ही इसमें अधिक है। साम्बशिव की एकान्त सेवा और स्थिर आसन किंतु जब इसे क्रोध आता है - अन्ततः भैरव ही है, पूरा प्रलय उपस्थित कर देगा। किंतु आज यह बहुत ही व्यथित जान पड़ता है।

'तुम इतने कातर क्यों हो वत्स?' जगदम्बा शैलसुता ने अनुक

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 8 - सुहृदं सर्वभूतानाम् 'सावधान!' हवाईजहाज के लाउडस्पीकर से आदेश का स्वर आया। यह अंतिम सूचना थी। वह पहले से ही द्वार के सम्मुख खड़ा था और द्वार खोला जा चुका था। उसकी पीठ पर हवाई छतरी बँधी थी। रात्रि के प्रगाढ़ अंधकार में नीचे कुछ भी दिखायी नहीं दे रहा था। केवल आकाश में दो-चार तारे कभी-कभी चमक जाते थे। मेघ हल्के थे। वर्षा की कोई सम्भावना नहीं थी। बादलों के होने से जो अंधकार बढा था, उसने आश्वासन ही दिया कि शत्रु छतरी से कूदने वाले को देख नहीं सकेगा। हवाई जहाज बहुत ऊपर चक्कर लगा रह

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|| श्री हरि: ||
8 - सुहृदं सर्वभूतानाम्

'सावधान!' हवाईजहाज के लाउडस्पीकर से आदेश का स्वर आया। यह अंतिम सूचना थी। वह पहले से ही द्वार के सम्मुख खड़ा था और द्वार खोला जा चुका था। उसकी पीठ पर हवाई छतरी बँधी थी। रात्रि के प्रगाढ़ अंधकार में नीचे कुछ भी दिखायी नहीं दे रहा था। केवल आकाश में दो-चार तारे कभी-कभी चमक जाते थे। मेघ हल्के थे। वर्षा की कोई सम्भावना नहीं थी। बादलों के होने से जो अंधकार बढा था, उसने आश्वासन ही दिया कि शत्रु छतरी से कूदने वाले को देख नहीं सकेगा। हवाई जहाज बहुत ऊपर चक्कर लगा रह


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