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@nil J@in R@J

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Girl quotes in Hindi क्या आप कर्म में विश्वास रकते हैं? जानना चाहते है, भगवद गीता(श्रीमद्भगवद्गीता) में लिखे कर्म के अनमोल वचनों को अपने जीवन में कैसे उपयोग करें ? क्या आप जीवन में कर्म के असली रहस्य को जानना चाहते हैं? अगर हाँ, तो आप इस पोस्ट के द्वारा श्रीमद्भगवद्गीता में लिखित कर्म से जुड़ें अनमोल वचनों के बारे में जान सकते हैं और अपने जीवन में उनके अमल से सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
श्रीमद्भगवद्गीता हमारे प्राचीन भारत के अध्यात्मिक ज्ञान को दर्शाता है। कहा जाता है शब्द भगवद(Bhagavad) का मतलब है भगवान और गीता(Gita) का गीत यानि की भगवन का गाया हुआ गीत।
भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत के समय कुरुक्षेत्र में भगवद गीता को अर्जुन के सामने समझाया था। भगवद गीता में कुल 700 संस्कृत छंद, 18 अध्यायों के भीतर निहित है जो की 3 बर्गों में विभाजित है, प्रत्येक में 6 अध्याय हैं।
इस जीवन में सफलता को पाने के लिए कर्म(Karma) ही सबसे पहला और बड़ा रास्ता है। भगवद गीता में Shri Krishna प्रभु नें कर्म जे जुड़ीं कुछ ऐसे अनमोल विचार और वचन को संसार के समक्ष रखा था, जो अगर मनुष्य अपने जीवन में अमल करे तो इस दुनिया की कोई शक्ति उसे किसी भी क्षेत्र में पराजित नहीं कर सकती। #NojotoQuote #nojoto#

Sumit Upadhyay

मृत्यु के द्वार पर खड़ा मनुष्य केवल भगवान की कृपा से ही जन्म मरण के बंधन से मुक्त हो मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है। और यह कृपा उसे केवल भगवद भक्ति से ही प्राप्त हो सकती है । और भगवद भक्ति प्राप्त होती है साधना से। जीवन भर प्रभु नाम को साधने वाला साधक ही मृत्यु सम्मुख पाकर भी अपने परम उद्देश्य को नही विस्मृत करता । मनुष्य का परम लक्ष्य है उसी ईश तत्व में विलीन हो जाना जिससे उसका उदभव हुआ है। तो जीवन भर जो लोग पूजा अर्चना जप तप करते हैं वह सब इसीलिए की वे अपने परम लक्ष्य को न भूलें। कलियुग में श्री

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मृत्यु के द्वार पर खड़ा मनुष्य केवल भगवान की कृपा से ही जन्म मरण के बंधन से मुक्त हो मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है। और यह कृपा उसे केवल भगवद भक्ति से ही प्राप्त हो सकती है । और भगवद भक्ति प्राप्त होती है साधना से। जीवन भर प्रभु नाम को साधने वाला साधक ही मृत्यु सम्मुख पाकर भी अपने परम उद्देश्य को नही विस्मृत करता । मनुष्य का परम लक्ष्य है उसी ईश तत्व में विलीन हो जाना जिससे उसका उदभव हुआ है।
तो जीवन भर जो लोग पूजा अर्चना जप तप करते हैं वह सब इसीलिए की वे अपने परम लक्ष्य को न भूलें। 
कलियुग में श्री


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