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#nationalanthem #जय_मां_भारती #VandeMatram #hindustan #आर्यावर्त #i_love_my_india जाने क्या कशिश है ? इन मां भारती के मतवालों में । नोट :- आबाद है गुलिस्ता आज भी हिंदुस्तान का । ये कविता हमारे देश हिंदस्तान की एकता , अखंडता और देशभक्ति को देख कर पड़ोसी देश कैसे हैरान होते होंगे, इन्ही विषयों पर अनुमानित मूल्यांकन मात्र है । मनीष तिवारी, भीलवाड़ा । "मनमीत"
read moreAparna Singh
वो "आर्यावर्त" क्यों न महान कहलाए ? (Read in Caption) जहाँ बात शुरू हो नमस्कार से अंत कृतज्ञता, आभार से जो न जाने वो भी समझ जाए भिन्न-भिन्न भाषा जो मन को भाए यूँ सरस प्रेम का जो भाव रहे तो क्यों न खुशनुमा हर प्राण रहे मिले तरुण, सुगंधित पुष्प जहाँ माटी में पुलकित धान जहाँ
जहाँ बात शुरू हो नमस्कार से अंत कृतज्ञता, आभार से जो न जाने वो भी समझ जाए भिन्न-भिन्न भाषा जो मन को भाए यूँ सरस प्रेम का जो भाव रहे तो क्यों न खुशनुमा हर प्राण रहे मिले तरुण, सुगंधित पुष्प जहाँ माटी में पुलकित धान जहाँ #भारत #आर्यावर्त #भारतीय_संस्कृति #भारतीय_गौरव #वसुधैवकुटुम्बकम्
read moreNir@j
#आर्यावर्त ने अपना लाड़ला बेटा #इरफ़ान खोया है और #हिंदुस्तान ने शानदार अभिनेता #ऋषि कपूर को खोया है। 🌹#miss_you_irrfan_sir🌹 🌹#You_are_great_person_sir🌹 🌹#I_always_miss_you_sir🌹 🌹#miss_you_rishi_kapoor_sir🌹 #RIP_both_of_you 😥😥😥 दो दिन में दो सितारे चले गये #ripirfankhan #riprishikapoor ईश्वर आप दोनों की आत्मा को शांति दें
दो दिन में दो सितारे चले गये #RipIrfanKhan #riprishikapoor ईश्वर आप दोनों की आत्मा को शांति दें #हिंदुस्तान #ऋषि #आर्यावर्त #इरफ़ान #RIP_both_of_you
read moreAparna Singh
वो "आर्यावर्त" क्यों न महान कहलाए ? (Read in Caption) जहाँ बात शुरू हो नमस्कार से अंत कृतज्ञता, आभार से जो न जाने वो भी समझ जाए भिन्न-भिन्न भाषा जो मन को भाए यूँ सरस प्रेम का जो भाव रहे तो क्यों न खुशनुमा हर प्राण रहे मिले तरुण, सुगंधित पुष्प जहाँ माटी में पुलकित धान जहाँ
जहाँ बात शुरू हो नमस्कार से अंत कृतज्ञता, आभार से जो न जाने वो भी समझ जाए भिन्न-भिन्न भाषा जो मन को भाए यूँ सरस प्रेम का जो भाव रहे तो क्यों न खुशनुमा हर प्राण रहे मिले तरुण, सुगंधित पुष्प जहाँ माटी में पुलकित धान जहाँ #भारत #आर्यावर्त #भारतीय_संस्कृति #भारतीय_गौरव #वसुधैवकुटुम्बकम्
read moreआशुतोष आर्य "हिन्दुस्तानी"
"एकता की है बात होती, साथ रहने के लिए। सभ्यता- संस्कृति बनी, आबाद रहने के लिए।। रोज आते है लिपटकर बदन कई कफ़न में। यूँ ही नहीं हालात है, आजाद रहने के लिए।।" ©आशुतोष आर्य "हिन्दुस्तानी" #आशुतोष_आर्य #देश #राष्ट्र #शहीद #शहीद_दिवस #शहादत #वीर #भारतीय_सेना #भारत #आर्यावर्त
Shubham Sagar
मारा मुल्क आर्यावर्त जो कभी अपने अलौकिक ज्ञान से दूसरों को प्रकाशित करता था जो अपनी एतिहासिक विरासत के कारण विश्व में प्रसिद्ध था अपने विद्या एवं दर्शन से संपूर्ण विश्व में ज्ञान का दीप जलाता था एवं अपनी अद्वितीय छवि से पूरे विश्व पटल पर अपना नाम अंकित कर चुका था। बदलते समय ने इसका स्वरूप भी बदल दिया और इसे विभिन्न नामों से पुकारा जाने लगा आर्यावर्त में अधिक समृद्धि एवं धन होने के कारण इसे सोने की चिड़िया तो दूसरी तरफ अधिक ज्ञानी एवं शिक्षित होने के कारण इसे आर्यावर्त की संज्ञा दी गई इन नायकों ने अपने आलोक से पूरी दुनिया को आलोकित कर दिया। पर समय ने ऐसा करवट बदला की सब कुछ बदल गया विश्व गुरु कहलाने वाला आर्यावर्त धीरे-धीरे पराधीन हो गया विदेशी शासकों के लालची निगाहों ने स्वतंत्र सोने की चिड़िया को पिंजरे में कैद कर दिया फिर यहां के धन और दौलत को लूटना और धीरे-धीरे अपना वर्चस्व कायम से करना शुरू कर दिया। और अंततः आर्यावर्त पूरी तरह जंजीरों में जकड़ा चुका था। तथा जहां से निकल पाना मुश्किल था अंग्रेजों के कुदृष्टि यहां के हंसते खेलते धनसंपदा पर पड़ी और भिखारी की भांति दोनों हाथ फैलाते हुए हमारे देश में व्यापार की भीख मांगी आर्यावर्त ने हमेशा अपने सुपुत्र को प्रेम एवं दया का पाठ पढ़ाया इसी गुणगान के कारण हमने उन्हें रोजगार दिया। पर किसे मालूम था कि एक दिन इनका रोजगार हमें बेरोजगार कर देगा सर्वप्रथम उन्होंने हमारी एकता को खंडित किया तथा हमारे धन संपदा एवं अंत में हमें ।सब कुछ छीन लिया। आर्यावर्त की भूमि जो अतीत में हरियाली से सुशोभित थी अब उस पर लालिमा छा चुकी थी यहां की सारी शक्तियां ब्रिटेन के हाथों में थी आर्यावर्त उसका गुलाम हो चुका था चारों तरफ तबाही का मंजर था परंतु कहीं ना कहीं आर्यावर्त के सुपुत्र के दिल में आग की चिंगारी सुलग रही थी यह चिंगारी सन 18 सो 57 में एक दावानल की भांति पूरे भारत में फैल गई परंतु सही दिशा ना मिलने के कारण यह आग कुछ ही क्षणों के बाद धीमी हो गई क्योंकि इन में एकता की कमी थी।। परंतु क्रांतिकारियों ने इस आग को बुझने नहीं दिया वे परिस्थिति को परख चुके थे महात्मा गांधी सुभाष चंद्र बोस भगत सिंह एवं सरदार पटेल इत्यादि ने देश प्रेमियों के दिलों में धधक रही आग को बुझने नहीं दिया। वे उन्हें सही दिशा दिखाने के प्रयास में जुटे रहे शायद अंततः उन्हें सही दिशा मिल चुकी थी और बस बाकी था इसका विस्फोटित होना।। इस प्रकार संघर्ष करने के उपरांत 14 अगस्त 1947 ईसवी के अर्धरात्रि को शताब्दियों के खोई हुई स्वतंत्रता भारत को पुनः प्राप्त हो गई हमने भारत माता को गुलामी की जंजीर से मुक्त तो करवा दिया परंतु अपने स्वार्थ के लिए इसके अंग को हिंदुस्तान पाकिस्तान एवं बांग्लादेश आदि राष्ट्रों में विभाजित कर दिया । प्रस्तुतकर्ता:- Shubham S 15 Aug ki हार्दिक शुभकामनायें
15 Aug ki हार्दिक शुभकामनायें
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