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अदनासा-
भयभीत भी होता हूं कंठ सूखता जाता है परंतु संयम रखता हूं यद्यपि भय दूर ना हो मैं संयम त्याग देता हूं भयावह बन जाता हूं ©अदनासा- चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार प्रिय मित्र दक्ष राजपूत द्वारा💐💐🌹🌹😊🇮🇳🇮🇳 #हिंदी #मित्र #भय #भयावह #संयम #त्याग #दक्ष #Instagram #Facebook #अदनासा
Raj Alok Anand
मृत्यु से भी अधिक भयावह हों जाता हैं जीवन, ज़ब प्रेम में रहकर प्रेम की, और वक़्त की भीख माँगनी पड़ती हैं...!!! ©Raj Alok Anand #भयावह
K K Joshi
मैंने देखा तुम्हें कराहती खटिया पर चरमराते उन अंतिम दिनों में--- देखी मैंने शिथिल छटपटाहट मैं अट्टहास करती मृत्यु सांसों के बोझ से दबता जीवन --- मैंने देखा तुम्हें संघर्षरत! एकाकी! परबस! --- देखा तुम्हारी सेनाओं को जिन्हें तुमने तराशा था इसी क्षण के लिए तुमसे विमुख! --- जाते हुए भी देखा तुम्हें एक अज्ञात गन्तव्य को क्षार- क्षार, अस्थि- अस्थि को अकेले !--- फिर तुम्हें किसी ने नहीं देखा किन्तु मैं आज भी देखता हूँ तुम्हारी छवि अपने अज्ञात भविष्य के भयावह सपनों में!! के के जोशी उन अंतिम दिनों में #भयावह सपने
उन अंतिम दिनों में #भयावह सपने
read moreCalmKrishna
................... ©CalmKrishna ये डर अगर आ गया जिन्दगी में तो छोटे छोटे डरों से नही डर लगेगा। #डर #खाली #जीवन #भयावह #डरावना #empty #life #Fear jasmine sun dhyan mira Divya Joshi
Shivam Verma
कल की चूक का सबसे भयावह मंजर फिर कल होगा जिस कल की शाम कहीं, किसी रोज, किसी नए आशियां की मुंडेर पे आराम कुर्सी पर मै बैठ अध पके बालों और कंधे पर शाल के साथ उस आसमां को निहारता होऊंगा और एकाएक तुम्हारे खून का अंश और तुम्हारे वंश का दूसरा चिराग मुझसे तुमसे जुड़ी कोई चीज मांगेगा फिर जिद करेगा तुम्हारे संस्कारों की दुहाई देकर तुमसे जुड़ी हर एक चीज को प्रत्यक्ष दिखाने को और मेरे पास होंगे उसे क्षड़ दिखाने को दो शब्द चंद आंसू और एक तुम्हारी तस्वीर फिर गहराता हुआ सन्नाटा और अथाह अफसोस का सागर होगा फिर भर्राई सी आवाज में उन सभी यादों को चंद कागज के टुकड़ों में बेच देने का कथोराघात यूं ही उभर आएगा। फिर वो पुराना आशियां भी याद आएगा और मैं फिर उस भयावह मंजर को खुद में देखता होऊंगा इक अफसोस
इक अफसोस #विचार
read moreBharti kashyap
वो क्या था...फिर इस रात का वो सफ़र भयावह भय से किंचित कांपती रही वो इस रात की पीड़ा अनगिनत भयावह थी देह का सूक्ष्म कण भी दर्द से लबरेज था रूह तो पीड़ान्तक थी और हृदय,हृदय तो हजारों चोटों से फिर आबाद था,बची थी तो सिर्फ़ सांसे उसका भी अब हिसाब है बाकी,उसने सोचा मुझे "मात" दे दी... मेरा देहान्तक करके परंतु रूह तो अब भी गर्वित रूप में अठखेलियाँ कर "शह" बन गई मेरी ... अब सिर्फ़ एक इंतज़ार है बाकी" उस पथ के राही" का जो पथिक है मेरा........... "हर रचना कुछ कहती है....." #रात #इस #रात #का #सच
Madanmohan Thakur (मैत्रेय)
होना क्या है,हम पुरी मुस्तैदी से केस लङेंगे! लेकिन सरकार ने तो जानेमाने अधिवक्ता मधुर सहाय को चुना है!राजीव विचलीत होकर बोला! तो इसमे चिंता की कोई बात नही है!सरकार का नैतीक दाईत्व है कि वो अपना पक्छ दावे के साथ रख्खे!फिर तो यह पहला कदम है!अभी तो हमे बहुत से रुकावटो को झेलना है!त्यागी साहव गंभीर होकर बोले! यस अंकल,आपका कहना विल्कुल ठीक है!अभी हीं हमने हार मान लिया,तो आगे का डगर काफी मुश्किल होगा!सम्यक ढृढता से बोला! हां मै यही बोल रहा हूं!आप लोग निश्चिंत होकर आम चुनाव की तैयारी करें!मै कोर्ट की प
read moreShivam Chauhan
धडकने अब थम रही हैं स्वान्सें भी अब कंप रही हैं इस हार को मैं जी रहा हूँ मृत्यु भी शापित हुई है रूह को मुक्ति कहाँ है ? जीत की युक्ति कहाँ है ? स्वांस में शक्ति कहाँ है ? देह के हर रोम में खौफ का एक व्योम है इस भय भयावह रात में उस चाँद का आश्रय है । इस रात को मैंने जिया इस साथ को मैंने जिया इस बात को मैंने जिया इस भय भयावह रात में उस चॉद को मैंने जिया रूह में कंपन हुआ दर्द का तर्पण हुआ मर्म का परिचय हुआ इस रात का उन्माद स्पर्श मुझको कर रहा इस हार का प्रसाद मेरी जीत मुझको कह रहा #hindi #nojoto