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Raj k alfaz
ये रोशनी सच्चाई की लग रही है ना क्योकि"कलयुग"में"सत्य"की रोशनी शायद इतनी ही होगी ©Rajeev Bhardwaj #Luminance #Nojoto #nojotoshayari #nojohindi Manzoor Alam Delhi usFAUJI Irfan Saeed Writer ARVIND YADAV 1717 Vishalkumar "Vishal" #सुधा भारद्वाज
#Luminance #nojotoshayari #nojohindi Manzoor Alam Delhi usFAUJI Irfan Saeed Writer ARVIND YADAV 1717 Vishalkumar "Vishal" #सुधा भारद्वाज #विचार
read moreindira
indira
आँखे इतनी नशीली है ,जैसे कोई जाम हो मुस्कान इतनी मनमोहक है ,जैसे मुस्कान से ही कत्ल करने का इरादा हो चेहरा इतना खूबसूरत है ,जैसे बगिया में खिलता कोई गुलाब हो बिखरी जुल्फों और नैनो का संगम तो इतना कमाल का है जैसे सावन और बरसात का कोई अनूठा संगम हो होठो से जब निकलती है सुरीली आवाज ,मानो दिल सहसा थम सा जाता है सुनकर इतनी सुरिली आवाज इनकी कविताएं इतनी ज्ञानवान ,ऊर्जावान होती है जो बड़ी सहजता से समझा देती है सारे हालात सच कहूं तो प्रिया जी मुझको लगता है जैसे इस धरती पर आप साक्षात हो माँ सस्वती का अवतार #प्रिया गौर , #सुधा त्रिपाठी जी,#राजेश राजक जी,#कवि राहुल पाल जी ,#रेखा ह्रदय मंजुला,#अंकित सारस्वत जी, #सौरव तिवारीजी , ye kuch lines meri pyari bestiiiii ke liye #InspireThroughWriting
Mo k sh K an
सुन ओ पाखी भोर की, सरस सुधा बरसा कण कण में तू राग फूँक दे, श्रृष्टि को हर्षा जल में, थल में, अंबर में, रंग राग कर दे इन्द्रधनुष की आभा से तू आसमान भर दे नदिया बन तू सींच धरा को, मौसम ना तरसा सुन ओ पाखी भोर की, सरस सुधा बरसा वन उपवन में महक धूप सी, कनक कोकिला गाने दे सन्दल सी आभा सा चमके, सूरज को मुस्काने दे क्षितीज कृष्ण की बने बाँसुरी, तप ऐसा दर्शा कण कण में तू राग फूँक दे, श्रृष्टि को हर्षा सुन ओ पाखी भोर की, सरस सुधा बरसा कण कण में तू राग फूँक दे, श्रृष्टि को हर्षा #भोर #main_kaun_tu_khamakhan #मै_कौन_तू_खाँमखाँ #kavishala #hindinama #tassavuf
Aman Sachdeva
शिव प्रेम राग बैराग का है मधुर और कठिन, प्रेम की परिभाषा को शंकर कहो। एक प्रेमी शिवा, उर में सारा जगत, प्रेम के इस समर को भयंकर कहो। जब सती प्रेम में जल अमर हो गईं, प्रेम की वेदना में शिव खो गए, कँगने तोड़कर धरा मुर्छित हुई, देख सुख को दुखी अश्रुएँ रो गए। पूरा अनुशीर्षक में पढें। राग बैराग का है मधुर और कठिन, प्रेम की परिभाषा को शंकर कहो। एक प्रेमी शिवा, उर में सारा जगत, प्रेम के इस समर को भयंकर कहो। वे अधर तानकर मुस्कराएँ अगर, मधु गंगा की लहरों में बहने लगे; प्रीत के गीत वे स्वर से गाएँ अगर,
राग बैराग का है मधुर और कठिन, प्रेम की परिभाषा को शंकर कहो। एक प्रेमी शिवा, उर में सारा जगत, प्रेम के इस समर को भयंकर कहो। वे अधर तानकर मुस्कराएँ अगर, मधु गंगा की लहरों में बहने लगे; प्रीत के गीत वे स्वर से गाएँ अगर, #Love #Shivasati
read moreसुधा मिश्रा
जलते पाँव रेत में प्यास अटकी धूप में चलना है चलना है शाम-सबेरे चलना है ईक-ईक बूँद को तरसे रे जीवन है मालिक कैसी रचना तेरी कोई खेले उजालों से कोई झेले अँधेरे है ऊफ्फ कितने झमेले हैँ ईक-ईक बूँद की खातिर चलने तो मीलों हैं । ##सुधा-मिश्रा
मेरेलफ़्जोंसे
एबॉर्शन सुबह सुबह ही सुधा अपनी सास के साथ डॉक्टर के पास चेकअप के लिए आई थी. डॉक्टर जब सुधा की जांच कर रही थी तभी पीछे से प्रेमा बोली “देख री सुधा मुझे तो पोता ही चाहिए अभी से बोल देती हूँ और अगर लड़की हुई तो एबॉर्शन करवा देंगे.” इससे पहले की सुधा कुछ कहती डॉक्टर ने ही बोल दिया- “माँ जी अगर लड़की से इतनी नफरत है तो मेरे पास क्यों आयी है मैं भी तो एक औरत हूँ, आपकी बहू भी तो एक औरत ही है और तो और आप भी तो एक औरत है.” न जाने कैसे समझाया जाए आप लोगो को….. प्रेमा ने फिर कुछ न कहा सुधा को ले कर घर आ गय
एबॉर्शन सुबह सुबह ही सुधा अपनी सास के साथ डॉक्टर के पास चेकअप के लिए आई थी. डॉक्टर जब सुधा की जांच कर रही थी तभी पीछे से प्रेमा बोली “देख री सुधा मुझे तो पोता ही चाहिए अभी से बोल देती हूँ और अगर लड़की हुई तो एबॉर्शन करवा देंगे.” इससे पहले की सुधा कुछ कहती डॉक्टर ने ही बोल दिया- “माँ जी अगर लड़की से इतनी नफरत है तो मेरे पास क्यों आयी है मैं भी तो एक औरत हूँ, आपकी बहू भी तो एक औरत ही है और तो और आप भी तो एक औरत है.” न जाने कैसे समझाया जाए आप लोगो को….. प्रेमा ने फिर कुछ न कहा सुधा को ले कर घर आ गय #nojotophoto
read moreAjay Amitabh Suman
ये कविता एक माँ के प्रति श्रद्धांजलि है । इस कविता में एक माँ के आत्मा की यात्रा स्वर्गलोक से ईह्लोक पे गर्भ धारण , बच्ची , तरुणी , युवती , माँ , सास , दादी के रूप में क्रमिक विकास और फिर देहांत और देहोपरांत तक दिखाई गई है। अंत में कवि माँ की महिमा का गुणगान करते हुए इस कविता को समाप्त करता है। माँ आओ एक किस्सा बतलाऊँ,एक माता की कथा सुनाऊँ, कैसे करुणा क्षीरसागर से, ईह लोक में आती है? धरती पे माँ कहलाती है।
ये कविता एक माँ के प्रति श्रद्धांजलि है । इस कविता में एक माँ के आत्मा की यात्रा स्वर्गलोक से ईह्लोक पे गर्भ धारण , बच्ची , तरुणी , युवती , माँ , सास , दादी के रूप में क्रमिक विकास और फिर देहांत और देहोपरांत तक दिखाई गई है। अंत में कवि माँ की महिमा का गुणगान करते हुए इस कविता को समाप्त करता है। माँ आओ एक किस्सा बतलाऊँ,एक माता की कथा सुनाऊँ, कैसे करुणा क्षीरसागर से, ईह लोक में आती है? धरती पे माँ कहलाती है।
read morekanchan kushwaha
झुमका... #झुमका झुमका.... शाम को आँगन में अपनी आराम कुर्सी पर आराम से बैठे 70 वर्ष के रायचंद जी अपनी बीवी के हाथ की चुस्कियां लेते हुए आज पुरानी तस्वीरों को देख रहे थे,एक फोटो में वो उनकी पत्नी और उनके दोनों बच्चे एक साथ थे,पुरानी यादों में कुछ अच्छे पल होते है तो कुछ उदासी का सबब भी बन जाते है,वही उदासी उनके चेहरे पर घिर आई,रायचंद जी के दोनों बेटे अपने माता पिता से दूर घर बसा चुके थे और अपनी जिंदगी में खुश है,बिना ये देखे की माता पिता का क्या हाल है..!! एल्बम के पन्ने पलटते समय उनको अचानक एक फोटो मे
#झुमका झुमका.... शाम को आँगन में अपनी आराम कुर्सी पर आराम से बैठे 70 वर्ष के रायचंद जी अपनी बीवी के हाथ की चुस्कियां लेते हुए आज पुरानी तस्वीरों को देख रहे थे,एक फोटो में वो उनकी पत्नी और उनके दोनों बच्चे एक साथ थे,पुरानी यादों में कुछ अच्छे पल होते है तो कुछ उदासी का सबब भी बन जाते है,वही उदासी उनके चेहरे पर घिर आई,रायचंद जी के दोनों बेटे अपने माता पिता से दूर घर बसा चुके थे और अपनी जिंदगी में खुश है,बिना ये देखे की माता पिता का क्या हाल है..!! एल्बम के पन्ने पलटते समय उनको अचानक एक फोटो मे #nojotohindi #nojotoLove #nojotoenglish #nojotonews
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