Find the Best साहित्यकार Shayari, Status, Quotes from top creators only on Gokahani App. Also find trending photos & videos aboutद्विवेदी युग के साहित्यकार कौन है, साहित्यकार की परिभाषा, साहित्यकार का मतलब, साहित्यकार का अर्थ, साहित्यकार का पर्यायवाची,
अदनासा-
विडियो सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://www.instagram.com/reel/DB8cflXIoqD/?igsh=MTFiNWo5OHI4eXFqNg== #हिंदी #साहित्य #साहित्यकार #कवि #कविता #कविवर #बाबानागार्जुन #नागार्जुन #Instagram #अदनासा वीडियो डाउनलोड Extraterrestrial life
read moreअदनासा-
विडियो सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://www.instagram.com/reel/C9Ra1qmp8DF/?igsh=MW80aXl3Y3FuajN5bg== #हिंदी #साहित्य #लेखक #भीष्मसाहनी #प्रसारभारती #साहित्यकार #विचार #Instagram #Facebook #अदनासा
read moreNilam Agarwalla
White नाम गंवाते मंच का,ये साहित्यिक चोर। शर्म हया सब बेच दी, भ्रष्ट हुए घनघोर।। ये साहित्यिक चोर हैं, नहिं कोई परवाह। भूखें है शोहरत के, और न कोई चाह।। -निलम ©Nilam Agarwalla #साहित्यकार
Gurudeen Verma
White शीर्षक- जलजला, जलजला, जलजला आयेगा ----------------------------------------------------------------------- (शेर)- दे रही है संकेत हवा भी अब, शायद तूफ़ान आयेगा। होगा हर तरफ तबाही का मंजर, ऐसा भूचाल आयेगा।। शायद ही जिन्दा रहे मोहब्बत, जमीं पर किसी इंसान में। नफरत- दुश्मनी,हिंसा का कलयुग, अब जमीं पर आयेगा।। ------------------------------------------------------------------------ तप रही है जैसे धरती,आज इतनी आग से। आ रही है यही ,अब हर राग से।। आने वाला वक़्त कैसा काल लायेगा। जलजला, जलजला, जलजला आयेगा।।-- (2) तप रही है जैसे धरती---------------------।। बेशर्म और लापरवाह, जब घर का मुखिया होगा। भूख- प्यास से तड़पता, हर कोई घर में होगा।। ऐसा ही मंजर नजर जब, देश में आयेगा। जलजला, जलजला, जलजला आयेगा।।-- (2) तप रही है जैसे धरती---------------------।। कर लेंगे बन्द, आँख- कान- मुँह लोग जब। यकीन दुराचारियों पर, करने लगेंगे लोग जब।। भ्रष्टाचारी- पापियों का जब, राज हो जायेगा। जलजला, जलजला, जलजला आयेगा।।-- (2) तप रही है जैसे धरती---------------------।। सरेराह होंगे चिरहरण, मूकदर्शक शासक होगा। थानों- अदालतों पर जब, हैवानों का कब्जा होगा।। अन्याय- रावण राज पर, नीरो जब बंशी बजायेगा।। जलजला, जलजला, जलजला आयेगा।।-- (2) तप रही है जैसे धरती---------------------।। पाने को शौहरत- दौलत, कलमकार बिकने लगेंगे। गरीबी- बेरोजगारी पर जब, लिखने से डरने लगेंगे।। असत्य का गुणगान जब,मीडिया भी गाने लगेगा। जलजला, जलजला, जलजला आयेगा।। तप रही है जैसे धरती------------------।। जाति- धर्म- क्षेत्र के जब, बलवें होने लगेंगे। नफरत- दुश्मनी के जब, बीज बोने लगेंगे।। रक्तबीजों- नरपिशाचों से, कैसा कलयुग आयेगा। जलजला, जलजला, जलजला आयेगा।।-- (2) तप रही है जैसे धरती----------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #साहित्यकार
Gurudeen Verma
White शीर्षक - तारीफ तेरी और, क्या हम करें ----------------------------------------------------- तारीफ तेरी और, क्या हम करें। कैसे तुम्हारा दिल, खुश हम करें।। तुम्हारे सिवा हमको, नहीं है पसंद और। तारीफ तेरी और------------------।। यूँ तो हजारों फूल, गुलशन में हैं। रोशन चिराग यहाँ, और भी है।। मगर इतने हसीन ये, लगते नहीं। होता नहीं है दिल, खुश और से।। तारीफ तेरी और-----------------।। सूरत तुम्हारी यहाँ, माहताब सी। रोशन हो तुम, यहाँ आफ़ताब सी।। महकते हैं फूल, जब तुम हंसती हो। नूर जहां में तेरे जैसा और नहीं।। तारीफ तेरी और-------------------।। सरुर जो, तुम्हारी नज़रों में है। नहीं ऐसी खूबी, औरों में है।। मेरे दिल का ख्वाब, तुम ही हो। तुम्हारे सिवा मोहब्बत, और से नहीं।। तारीफ तेरी और-------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #साहित्यकार
Gurudeen Verma
White शीर्षक- जब साथ छोड़ दें अपने, तब क्या करें वो आदमी ------------------------------------------------------------------- (शेर)- मैं आज बदनाम हूँ वहाँ, जहाँ कल तक मुझको पूजा जाता रहा। कह सके किसी को कि सच क्या है, वहाँ नहीं कोई ऐसा अब रहा।। ----------------------------------------------------------------------- जब साथ छोड़ दें अपने, तब क्या करें वो आदमी। जब हाथ छोड़ दें अपने, तब क्या करें वो आदमी।। जब साथ छोड़ दें अपने----------------------------।। ये जो सपनें हम अपने, संजोते हैं क्यों किसलिए। यह जो घर हम अपना, बनाते हैं क्यों किसलिए।। जब दिल तोड़ दें अपने, तब क्या करें वो आदमी। जब साथ छोड़ दें अपने----------------------।। उनको गरूर हैं इसलिए, कि हम छोटे हैं उनसे। इसी वजह शायद वो, करते हैं रश्क यूं हमसे।। जब मुँह मोड़ लें अपने, तब क्या करें वो आदमी। जब साथ छोड़ दें अपने---------------------।। करते हैं क्यों सितम, अपनों पर अपने यहाँ। करते हैं क्यों बदनाम, अपनों को अपने यहाँ।। जब बर्बाद करें अपने, तब क्या करें वो आदमी। जब साथ छोड़ दें अपने--------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #साहित्यकार
Gurudeen Verma
White शीर्षक- मतलब हम औरों से मतलब, ज्यादा नहीं रखते हैं -------------------------------------------------------------------------- मतलब हम औरों से मतलब, ज्यादा नहीं रखते हैं। करें नहीं नाहक बातें, उम्मीद यही हम करते हैं।। मतलब हम औरों से मतलब--------------------------।। हमको मिले हैं ऐसे भी, जो रूप बदलकर यहाँ अपना। नाम कमाते हैं अपना, करते हैं मुकम्मल वो सपना।। हमको मतलब कुछ नहीं इससे, हम अपनी राह चलते हैं। मतलब हम औरों से मतलब--------------------------।। आबाद तुम खुद को कहो, बर्बाद लेकिन हम भी नहीं। परिवार तुम्हारे साथ है, लेकिन अकेले हम भी नहीं।। आज़ाद हैं हम भी यहाँ, अपनी मर्जी की हम करते हैं। मतलब हम औरों से मतलब------------------------।। जब उनको नहीं फुरसत तो, जरूरत नहीं हमें उनकी भी। नाम है उनका यहाँ इतना तो, नहीं कम हमारी हस्ती भी।। क्यों करें हम इनकी फिक्र, हम भी अपनी सोचा करते हैं। मतलब हम औरों से मतलब--------------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #साहित्यकार
Gurudeen Verma
White शीर्षक - यह अपना धर्म हम, कभी नहीं भूलें ---------------------------------------------------------------- वसुधैव कुटुम्बकम की, यह परम्परा। यह अपना धर्म हम, कभी नहीं भूलें।। जीने दें सबको जैसे, हम जीते हैं। इस भावना को हम, कभी नहीं भूलें।। वसुधैव कुटुम्बकम की----------------------।। सपनें हो साकार, सबके यहाँ पर। पैदा हुए हैं, हम सभी यहाँ पर।। आबाद खुशियाँ, यहाँ सबकी रहे। सन्देश मानवता का, हम नहीं भूलें।। वसुधैव कुटुम्बकम की--------------------।। लक्ष्य हम सभी का, कुछ ऐसा हो। नफरत, अहम, जिसमें कुछ नहीं हो।। चलना पड़े चाहे, काँटों पर भी। सच्चाई और ईमान, हम नहीं भूलें।। वसुधैव कुटुम्बकम की---------------------।। ऋषियों- वीरों की जननी, यह जमीं। फूले और फले है, यहाँ मजहब सभी।। सर्वभूतेषु आत्मा: की यह तालीम। जिंदगी में हम, कभी नहीं भूलें।। वसुधैव कुटुम्बकम की--------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #साहित्यकार
अदनासा-
विडिओ सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://www.instagram.com/reel/C6ZAZcPujdc/?igsh=MXZjZnhhajBtdjh5ZA== #हिंदी #धर्म #सनातन #साहित्य #चेतना #साहित्यकार #श्रीपुरुषोत्तमअग्रवालजी #Instagram #Facebook #अदनासा
read moreGurudeen Verma
शीर्षक- नकाबे चेहरा वाली, पेश जो थी हमको सूरत ------------------------------------------------------------------- नकाबे चेहरा वाली, पेश जो की थी हमको सूरत। हमको तो शक था पहले, नहीं है असली यह सूरत।। नकाबे चेहरा वाली ----------------------------------।। कैसे तुमने समझ लिया, हमको तुमसे कम विद्वान। हमने पढ़ाये है तेरे जैसे, चेहरे यहाँ कल को बहुत।। नकाबे चेहरा वाली ----------------------------------।। देखकर तेरी पेशगी, लगी तू हमको बहुत बेदर्द। नहीं तू प्यार के काबिल, नहीं तू प्यार की सूरत।। नकाबे चेहरा वाली ----------------------------------।। हमने तो सोचा नहीं था, होगी तू इतनी अहमी। नहीं तुझमें तहजीब, नहीं है तेरी हमको जरूरत।। नकाबे चेहरा वाली ----------------------------------।। तू ही करेगी हमारी गुलामी, मैं नहीं करता गुलामी। मुझमें नहीं है कोई कमी, बदल लें तू अपनी सूरत।। नकाबे चेहरा वाली ----------------------------------।। लूटना तू चाहती है हमको, अपने पर्दे की ओट से। बतायेंगे तेरी हकीकत तो, तब क्या होगी तेरी सूरत।। नकाबे चेहरा वाली ----------------------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #साहित्यकार