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जब कभी हम साथ होते थे,हंसते थे,रोते थे,एक दूजे से

जब कभी हम साथ होते थे,हंसते थे,रोते थे,एक दूजे से रूठते भी थे,लेकिन फिर भी जिंदगी को जीते थे,जब कभी हम साथ होते थे,बिछड़ते थे तो लगता था की अब मिलेंगे ही नहीं,पूरी रात बैठ कर न जाने कौन सी बातें याद करके रोते थे,न जाने इतना वक्त कैसा गुजर गया,बचपन जाने कहां गुम हो गया,सोचा नहीं था कभी की एक दूजे से हम इतना जुदा हो जायेंगे,एक दूसरे की झलक देखने के लिए भी हम तरस जायेंगें,जब छोटे थे तो इस ज़िंदगी के बारे में सोचते थे,आज जब वक्त ने ला कर खड़ा कर दिया तो सोचते हैं,वो भी क्या दिन थे जब कभी हम साथ होते थे।

©Sapna Chauhan #bachpan ki kuch khatti mitthi yadein #
जब कभी हम साथ होते थे,हंसते थे,रोते थे,एक दूजे से रूठते भी थे,लेकिन फिर भी जिंदगी को जीते थे,जब कभी हम साथ होते थे,बिछड़ते थे तो लगता था की अब मिलेंगे ही नहीं,पूरी रात बैठ कर न जाने कौन सी बातें याद करके रोते थे,न जाने इतना वक्त कैसा गुजर गया,बचपन जाने कहां गुम हो गया,सोचा नहीं था कभी की एक दूजे से हम इतना जुदा हो जायेंगे,एक दूसरे की झलक देखने के लिए भी हम तरस जायेंगें,जब छोटे थे तो इस ज़िंदगी के बारे में सोचते थे,आज जब वक्त ने ला कर खड़ा कर दिया तो सोचते हैं,वो भी क्या दिन थे जब कभी हम साथ होते थे।

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