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अकेली थोड़ी हूँ, मुश्किलें साथ हैं मेरे, दर्द

अकेली थोड़ी हूँ,  
मुश्किलें साथ हैं मेरे,  
दर्द के साये में छुपी,  
ख़ामोशी हर लम्हा घेरें।  
  
बातें अब थमी-थमी सी हैं,  
हंसना तो जैसे भूल गई हूँ,  
राहें भी अजनबी सी लगती हैं,  
जिन्हें कभी मैं खुद चुना करती थी।  
  
रातों की तन्हाई अब संगिनी है,  
दिन का उजाला भी पराया सा लगता है,
ज़िन्दगी की ये भीड़ भी, अब अजनबी सी होगयी,  
ख़्वाबों का सफर, भी कहीं खो सा गया है।  
  
पर हारने वालों में नहीं हूँ मैं,  
ख़ामोशी में भी आवाज़ है मेरी,  
मुश्किलें चाहे जितनी हों गहरी,  
अकेली थोड़ी हूँ, लड़ रही हूँ अभी।

©silent_03 #safar #sad_feeling #silencespeaks
अकेली थोड़ी हूँ,  
मुश्किलें साथ हैं मेरे,  
दर्द के साये में छुपी,  
ख़ामोशी हर लम्हा घेरें।  
  
बातें अब थमी-थमी सी हैं,  
हंसना तो जैसे भूल गई हूँ,  
राहें भी अजनबी सी लगती हैं,  
जिन्हें कभी मैं खुद चुना करती थी।  
  
रातों की तन्हाई अब संगिनी है,  
दिन का उजाला भी पराया सा लगता है,
ज़िन्दगी की ये भीड़ भी, अब अजनबी सी होगयी,  
ख़्वाबों का सफर, भी कहीं खो सा गया है।  
  
पर हारने वालों में नहीं हूँ मैं,  
ख़ामोशी में भी आवाज़ है मेरी,  
मुश्किलें चाहे जितनी हों गहरी,  
अकेली थोड़ी हूँ, लड़ रही हूँ अभी।

©silent_03 #safar #sad_feeling #silencespeaks