आवारगी पसंद है मुझे भटकने लगा हूं मैं किसी का उम्मीद न बन सका लोगों की आंखों में खटकने लगा हूं मैं। शामील थी उसकी मोहब्बत मेरी रुह में बस इसलिए चमगादड़ की तरह लटकने लगा हूं मैं। ©KaviRaj Gupta #चमगादड़