राजनीति बहुत जल्द आभिजात्य वर्ग तक सीमित होगा पार्टियों ने इस नई परिपाटी की शुरूवात कर दी है और आंतरिक लोकतंत्र और संघवाद का दंभ भरने वाली भाजपा इस होड़ मे सबसे आगे है ये आम आदमी की नहीं सेलीब्रिटियों की पार्टी होने वाली है।ये अच्छा है आप फिल्मों मे खेल मे बिजनेस में अकूत धन कूटों फिर कैरियर की ढलान में किसी पार्टी पर आ जाओ तुरंत टिकट उठाओ और लड़ लो चुनाव और जीत कर फिर संसदीय ग्लैमर मे आ जाओ ना जन से सरोकार ना देश के मसलों से।लोकसभा हो या राज्यसभा में मनोनित या निर्वाचित थोपे गये ये लोग देश पर बोझ की तरह बैठे है और श्रीमान उन हजारों लाखों कार्यकर्ताओं का क्या जिन्होंने अपने खून पसीने से पार्टी को सींचा हमेशा अपने लिये भी इक संभावना रखी कि कभी तो मै भी अपने क्षेत्र का अपने लोगों का प्रतिनिधित्व करूंगा देश के लिये कुछ सेवा दे सकुंगा कुछ नये विचार लेकर जाऊंगा ये करूंगा वो करूंगा पर अफसोस आपने उनके सपनों पर कुठाराघात किया है।जनता खैरात में खुश कार्यकर्ता नारों मे खुश नेता चापलूसी में खुश और पार्टियां अपने वोट बैंक में खुश । चायवाला भी कभी प्रधान हो सकता है ये एक सुनियोजित जुमला ही है साहेब। #सपनों का मर जाना