Unsplash भूख और प्यास जो न थकती है कभी और न बुझती है कभी बल्कि प्रति पल बढ़ती जाती है ये भूख प्यास छुप जाती हैं पसीनो क़ी परतो मे कभी या फिर कमर मे बंधे गमछे मे जा लटकती है कभी लेकिन ये उफ़ नहीं करती कभी ©Parasram Arora भूख प्यास