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पाही पाही मिली कै कुसुम दियो बनाय जिस













पाही पाही मिली कै 
कुसुम दियो बनाय
जिसकी फैली महक से
उपवन गयो इतराय
कुसुम जब मुरझावै लगै
पाही को दर्द बुझाय
पाही तिनका तिनका  होय
अस्तित्व कुसुम बिलाय।

©vs dixit
  #पाही