निकल चुकी हैँ हवाएं प्रेम कविताओं की घर मे बैठे रहते हैँ अब कहीं न जाए ब्लड प्रेशर देखते रहे ब्लड सुगर रोज नपवाये आँसू आहो का बाहुल्य अब खूब शोर मचाए बीते दिनों की यादे अब खूब सताये चबता अब कुछ नहीं.. बूढ़ी हुईं सभी इच्छाएं अब नए से कुछ लेना देना नहीं हैँ. बस . गुजरी आपबीतिया सुनाये. उबलती हुईं प्रेम धाराएं अब शिथिल हुईं इस बाहुबली बुढ़ापे को कैसे समझाये बाहुबली बुढ़ापा.......