ललाट पर एक अदद बिंदिया की गोलाई उसके सुहाग्न होने काप्रमाणपत्र है तभी तो सुबह नींद से उठने क़े तुरंत बाद मुँह धोने से पहले वो अपनी बिंदिया को आईने मे देखकर उसकी उपस्तिथि का जायज़ा ले लेती है... अगर वो अपनी जगह से हिल कर आडी तिरछी हो गई है तो एक संतुलित मुस्कान क़े साथ वो उसे लालाट क़े उचित स्थान पर टिका देती है इस तरह एक सुहागिन की हर नई सुबह बिंदिया को सही दिशा मे टिकाने क़े बाद प्रारम्भ होती है ©Parasram Arora सुहागन ......