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विषय  :- माँ सीता विधा   :- सार छन्द राम-राम सुन

विषय  :- माँ सीता
विधा   :- सार छन्द

राम-राम सुन बोल उठी फिर , देखो सीता माता ।
कौन छुपा बैठा उपवन में , नही सामने आता ।।
राम-राम सुन बोल उठी फिर .....

लगता तुम भी मायावी हो , छल करते हो हमसे ।
होते भक्त अगर तुम प्रभु के  , छुपे न होते हमसे ।।
नार पराई को हर लेना , लंकापति को   भाता ।
राम-राम सुन बोल उठी फिर.....

सुनो मातु मैं भक्त राम हूँ , तुम्हें खोजने आया ।
साथ शक्ति मैं इस लंका की , आज परखने आया ।।
देर नही अब और लगेगी , मैं विश्वास दिलाता ।
राम-राम सुन बोल उठी फिर ....

कह दो जाकर मेरे प्रभु से , मन मेरा  घबराता ।
पापी रावण की लंका में , और न ठहरा जाता ।।
आकर संग चले ले हमको  , वो हैं सबके दाता ।
राम-राम सुन बोल उठी फिर ....

कभी-कभी तो सोच-सोच कर , होती मन में उलझन ।
बिन उनके बीतेगा कैसे, मेरा अब यह जीवन ।।
क्यों इतनी अब देर लगाये , तोड़ लिए क्या नाता ।
राम-राम सुन बोल उठी फिर ....

०९/०१/२०२४      -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विषय  :- माँ सीता

विधा   :- सार छन्द


राम-राम सुन बोल उठी फिर , देखो सीता माता ।

कौन छुपा बैठा उपवन में , नही सामने आता ।।
विषय  :- माँ सीता
विधा   :- सार छन्द

राम-राम सुन बोल उठी फिर , देखो सीता माता ।
कौन छुपा बैठा उपवन में , नही सामने आता ।।
राम-राम सुन बोल उठी फिर .....

लगता तुम भी मायावी हो , छल करते हो हमसे ।
होते भक्त अगर तुम प्रभु के  , छुपे न होते हमसे ।।
नार पराई को हर लेना , लंकापति को   भाता ।
राम-राम सुन बोल उठी फिर.....

सुनो मातु मैं भक्त राम हूँ , तुम्हें खोजने आया ।
साथ शक्ति मैं इस लंका की , आज परखने आया ।।
देर नही अब और लगेगी , मैं विश्वास दिलाता ।
राम-राम सुन बोल उठी फिर ....

कह दो जाकर मेरे प्रभु से , मन मेरा  घबराता ।
पापी रावण की लंका में , और न ठहरा जाता ।।
आकर संग चले ले हमको  , वो हैं सबके दाता ।
राम-राम सुन बोल उठी फिर ....

कभी-कभी तो सोच-सोच कर , होती मन में उलझन ।
बिन उनके बीतेगा कैसे, मेरा अब यह जीवन ।।
क्यों इतनी अब देर लगाये , तोड़ लिए क्या नाता ।
राम-राम सुन बोल उठी फिर ....

०९/०१/२०२४      -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विषय  :- माँ सीता

विधा   :- सार छन्द


राम-राम सुन बोल उठी फिर , देखो सीता माता ।

कौन छुपा बैठा उपवन में , नही सामने आता ।।