पढ़ना है अभी अभी है बनना हमे कलेक्टर आगे है बढ़ना कुछ दिन तक संग्राम चलाओ घर वालो को मौज दिखाओ घर बसने से पहले घर हो सपना ऐसा रोज दिखाओ टूटे सपना और टूटे तुम फिर मन मन ब्याह के स्वप्न सजाओ व्यर्थ बचाव भी धोखा है बढ़ना है तो बढ़ो क्या रोका है है सत्य ही कोई बड़ी लगन तो लगन लगाना धोखा है और है बस जो ऐवे ऐवे तो फिर बचना ही धोखा है ©दीपेश #शादी