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जब बसंत का मौसम आता , मन की पीडा हर जाता देख प्

जब बसंत का मौसम आता , मन की पीडा हर जाता   
देख प्रकृति का रूप सुनहरा,हृदय प्रफुल्लित हो जाता

खेतों में है फूली सरसो , देखी जो पहले बरसो ।
अब तो आँगन में भी गेंदा , कहता है अब मत तरसो।।
यह उपहार प्रकृति का हमको , कितनी खुशियां दे जाता ।।
जब बसंत का मौसम आता , मन की पीडा हर जाता ।।

गेंदा गुलाब और बनफूल , से मधुवन यह रम जाता 
अरहर और मटर में देखो , फूलों गुच्छा लग जाता ।।
हर डाली के नव पल्लव से , वन की शोभा बढ़ जाता 
जब बसंत का मौसम आता , मन की पीड़ा हर जाता 

जन-मन से लेकर वन्य जीव ,मगन सभी को है देखा ।
भँवरा तितली मधुमक्खी तो , प्रेमी पक्षी भी देखा ।।
मधुर-मिलन का ये मौसम तो , सब के मन को हर्षाता
जब बसंत का मौसम आता , मन की पीड़ा हर जाता ।।

१७/०१/२०२३     -     महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR
  जब बसंत का मौसम आता , मन की पीडा हर जाता   
देख प्रकृति का रूप सुनहरा,हृदय प्रफुल्लित हो जाता

खेतों में है फूली सरसो , देखी जो पहले बरसो ।
अब तो आँगन में भी गेंदा , कहता है अब मत तरसो।।
यह उपहार प्रकृति का हमको , कितनी खुशियां दे जाता ।।
जब बसंत का मौसम आता , मन की पीडा हर जाता ।।

जब बसंत का मौसम आता , मन की पीडा हर जाता देख प्रकृति का रूप सुनहरा,हृदय प्रफुल्लित हो जाता खेतों में है फूली सरसो , देखी जो पहले बरसो । अब तो आँगन में भी गेंदा , कहता है अब मत तरसो।। यह उपहार प्रकृति का हमको , कितनी खुशियां दे जाता ।। जब बसंत का मौसम आता , मन की पीडा हर जाता ।। #कविता

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