दोँ बूँद जब टपकी ,आँखे नम कर गयी ...दिल का बोझ था..थोडा कम कर गयी.. सहारे पलको ने दिये थे काफी हद तक नकाब ओडे चहरा छुपाये गम कब तक.. कौशिशे बेजार,.चोट बरकरार.दर्द बार बार लबों पर बेवजह मुस्करहट,दिल बेकरार. हर शख्स लिये फिरता यहां तमाशे का बाजार.... #हीमा दोँ बूँद जब टपकी ,आँखे नम कर गयी ...दिल का बोझ था..थोडा कम कर गयी.. सहारे पलको ने दिये थे काफी हद तक नकाब ओडे चहरा छुपाये गम कब तक.. कौशिशे बेजार,.चोट बरकरार.दर्द बार बार लबों पर बेवजह मुस्करहट,दिल बेकरार. हर शख्स लिये फिरता यहां तमाशे का बाजार....