सूरज रोके, उगने से ऐसी बनी कोई,रात नहीं.. एक ठोकर हो,तुम,गिर जाओ अब ऐसी भी,कोई बात नहीं.. चांद तो ठंडा रहता है अमावस,कोई,झंजावात नहीं सब का थोड़ा हिस्सा हैं कलयुग हैं,बाकी कोई, यहां निष्पाप नहीं हृदय हमेशा कोमल रखना धरे धैर्य,फिर क़दम बढ़ाना,जीवन चलता रहता हैं रुकना फिर आसान नहीं,तुम चमको सूरज से फिर उठो गगन पर राज करो,गूंज उठे नभ,शिखर सभी तुम फिर से हुंकार करो, पग धरो धरा पर,लेकिन अपने अधीन आकाश करो,मुझे भरोसा हैं,जीतोगे तुम फिर से आगाज़ करो,नहीं विषय ये एक कोई जीवन पर्याय संघर्षों का,नहीं टेकना घुटनें तुम मेरा सम्मान तुम्ही तक हैं तुम हर सूरत में प्रिय ही थे,तुम,सभी प्रकार से प्रिय रहोगे हैं मानव का धर्म यहीं,तुम नित्य नए आधार बनो गगन समूचा लघु लगेगा,गूंजेगी पृथ्वी पर चर्चा सरल हृदय और कठिन तपस्या,लिए सदा प्रयास करो जीवन में कठिनाई भी है,मूल्यवान सफलता सी स्वाद तभी आता हैं जब,दोनो पक्षों पर राज करो सूरज से चमको दमको,तुम थोड़े और प्रगाढ़ बनो.. अब, उठो... गगन पर राज करो, चालों उठो, गगन पर राज करो... ©ashita pandey बेबाक़ #Dussehra मोटिवेशनल कोट्स इन हिंदी फॉर स्टूडेंट्स