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खामोशी भी कुछ कहती है और कभी यह चुप रहती है, चु

 खामोशी भी कुछ कहती है
 और कभी यह चुप रहती है,
 चुप रहती है, चुप करती है,
 फिर, खामोशी अच्छी लगती है।

 स्पष्ट नहीं दिखती रेखाएँ,
 घुल जाती हैं सब सीमाएँ,
 घनिष्ठता में दम घुटने लगे, 
 फिर, दूरियाँ अच्छी लगती हैं।

साथ जताने बहुजन आये,
कोलाहल जब मन भरमाये
लगे भागने भीड़ से ये मन,
फिर, तन्हाई अच्छी लगती है। #अच्छी लगती है
 खामोशी भी कुछ कहती है
 और कभी यह चुप रहती है,
 चुप रहती है, चुप करती है,
 फिर, खामोशी अच्छी लगती है।

 स्पष्ट नहीं दिखती रेखाएँ,
 घुल जाती हैं सब सीमाएँ,
 घनिष्ठता में दम घुटने लगे, 
 फिर, दूरियाँ अच्छी लगती हैं।

साथ जताने बहुजन आये,
कोलाहल जब मन भरमाये
लगे भागने भीड़ से ये मन,
फिर, तन्हाई अच्छी लगती है। #अच्छी लगती है