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आज अयोध्या मग्न है , प्रकट हुए रघुनाथ । दर्शन की इ

आज अयोध्या मग्न है , प्रकट हुए रघुनाथ ।
दर्शन की इच्छा लिए , द्वार खडे़ शिवनाथ ।।१

नगर नगर क्यों ढूंढते , कहाँ नहीं है राम  ।
मन में अपने खोज तो , मिल जायेंगे राम ।।२

नगर अयोध्या सब चलो , पहुँच गये हनुमान ।
दशरथ नंदन  राम  का ,  जो करते  गुणगान ।।३

दशरथ नंदन राम के , व्याकुल है अब नैन ।
मिलें भक्त  हनुमान  तो , पा  जायेंगे  चैन ।।४

पुरुषों  में  उत्तम  रहें , पुरुषोत्तम  श्री  राम ।
शीश झुकाऊँ मैं सदा , जिधर लिखा हो नाम ।।५

जिनके दुर्गम काज को , करता जगत प्रणाम ।
ऐसे  दीना  नाथ  के  , चरणों  में  सुख  धाम ।।६

                     महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR आज अयोध्या मग्न है , प्रकट हुए रघुनाथ ।
दर्शन की इच्छा लिए , द्वार खडे़ शिवनाथ ।।१

नगर नगर क्यों ढूंढते , कहाँ नहीं है राम  ।
मन में अपने खोज तो , मिल जायेंगे राम ।।२

नगर अयोध्या सब चलो , पहुँच गये हनुमान ।
दशरथ नंदन  राम  का ,  जो करते  गुणगान ।।३
आज अयोध्या मग्न है , प्रकट हुए रघुनाथ ।
दर्शन की इच्छा लिए , द्वार खडे़ शिवनाथ ।।१

नगर नगर क्यों ढूंढते , कहाँ नहीं है राम  ।
मन में अपने खोज तो , मिल जायेंगे राम ।।२

नगर अयोध्या सब चलो , पहुँच गये हनुमान ।
दशरथ नंदन  राम  का ,  जो करते  गुणगान ।।३

दशरथ नंदन राम के , व्याकुल है अब नैन ।
मिलें भक्त  हनुमान  तो , पा  जायेंगे  चैन ।।४

पुरुषों  में  उत्तम  रहें , पुरुषोत्तम  श्री  राम ।
शीश झुकाऊँ मैं सदा , जिधर लिखा हो नाम ।।५

जिनके दुर्गम काज को , करता जगत प्रणाम ।
ऐसे  दीना  नाथ  के  , चरणों  में  सुख  धाम ।।६

                     महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR आज अयोध्या मग्न है , प्रकट हुए रघुनाथ ।
दर्शन की इच्छा लिए , द्वार खडे़ शिवनाथ ।।१

नगर नगर क्यों ढूंढते , कहाँ नहीं है राम  ।
मन में अपने खोज तो , मिल जायेंगे राम ।।२

नगर अयोध्या सब चलो , पहुँच गये हनुमान ।
दशरथ नंदन  राम  का ,  जो करते  गुणगान ।।३