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जब शब्दों से इश्क़ हुआ ,तो प्यार खुद से भी होने लगा

जब शब्दों से इश्क़ हुआ ,तो प्यार खुद से भी होने लगा,
ख़्वाब जो बिखर गए थे , उन्हें फ़िर से दिल सँजोने लगा,

बिगड़   गई    थी    जो    सूरत ,मेरे ज़ीस्त-ए-वज़ूद की,
वजूद   के    बिखरे  मोती दिल ,एक धागे में पिरोने लगा,

धूल   धूसरित     हो    गए    थे ,जो काग़ज़ मेरी यादों के,
क़लम का सहारा मिला था ,दिल उन यादों को धोने लगा,

गुमनाम   से    सफ़ऱ  में   जब रोशनी मेरे नाम पर पड़ी,
नेह    देख    इतना ,  दिल दामन खुशी से भिगोने लगा,

'कोरा क़ागज़'    भी    इतने   रंग   भर देगा मेरे जीवन मे,
मेरे ख्वाबो की तस्वीर खिली, दिल सजाने सपने सलोने लगा ।।
-पूनम आत्रेय

©poonam atrey
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#नोजोटोशायरी  Mahi Unnati Upadhyay heartlessrj1297 Ravikant Dushe Anshu writer  Niaz (Harf) Madhusudan Shrivastava Payal Das डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313) Mukesh Poonia  Noor Hindustani Maaahi.. Anuja sharma Rakesh Kumar Das Anil gamerz  Anil Ray ꧁ARSHU꧂ارشد Srk writes Neel हिमांशु Kulshreshtha  narendra bhakuni Rama Maheshwari vineetapanchal AD Kiran Nasiba Bibi  Rajesh Arora मनस्विनी Deep isq  Shay